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इमोशनल स्ट्रेस फर्टिलिटी ट्रीटमेंट पर कैसे असर डालता है? डॉक्टर से जानें

आज के समय में इनफर्टिलिटी की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है, जिसके कारण माता-पिता बनने के लिए कई कपल्स IVF जैसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का सहारा लेते हैं। लेकिन, इमोशनल स्ट्रेस इन ट्रीटमेंट पर कैसे असर डालता है, आइए जानते हैं- 
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इमोशनल स्ट्रेस फर्टिलिटी ट्रीटमेंट पर कैसे असर डालता है? डॉक्टर से जानें


How Emotional Stress Affect Fertility Treatment in Hindi: आज के समय में महिला और पुरुष दोनों में इनफर्टिलिटी की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में कंसीव करने और माता-पिता बनने का सुख पाने के लिए कई कपल्स IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का सहारा ले रहे हैं। IVF जैसी तकनीक आज के समय में उन कपल्स के लिए वरदान बन गया है, जो नेचुरल तरीके से कंसीव नहीं कर पा रहे हैं। यह ट्रीटमेंट मेडिकल साइंस की एक बड़ी उपलब्धि है, जिसने कई लोगों की जिंदगी में बच्चे की कमी को पूरा करने की कोशिश की है। लेकिन, माता-पिता न बन पाने का दुख और ट्रीटमेंट के सफल होने की टेंशन अक्सर इस ट्रीटमेंट के दौरान इमोशनल तौर पर मुश्किल हो जाती है। IVF ट्रीटमेंट के दौरान बार-बार टेस्ट करवाना, हार्मोनल इंजेक्शन, रिपोर्ट्स का इंतजार करना और हर बार अच्छी खबर मिलने की उम्मीद मानसिक स्वास्थ्य पर दबाव डालती है, जिस कारण इमोशनल स्ट्रेस काफी ज्यादा बढ़ जाता है। आज के इस लेख हम हम इंदौर के बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर की फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. आस्था जैन से जानने की कोशिश करते हैं कि इमोशनल स्ट्रेस फर्टिलिटी ट्रीटमेंट को कैसे प्रभावित करता है?

इमोशनल स्ट्रेस का फर्टिलिटी ट्रीटमेंट पर असर

फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. आस्था जैन का कहना है कि, "तनाव लेने के कारण हमारा शरीर कोर्टिसोल नाम के हार्मोन को रिलीज करता है। अगर हमारे शरीर में यह हार्मोन लंबे समय तक बना रहता है तो यह प्रजनन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में कोई कपल अगर IVF ट्रीटमेंट करवा रहा है तो इसके दौरान पहले से ही शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं। ऐसे मेें अगर मानसिक तनाव भी इसमें शामिल हो जाए तो इसका असर महिलाओं के अंडों की क्वालिटी, कंसीव करने की संभावना और ट्रीटमेंट के सक्सेस पर पड़ सकता है।" इसलिए, IVF ट्रीटमेंट या बेबी की प्लानिंग कर रहे कपल को कम तनाव लेने की सलाह दी जाती है।

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IVF का इमोशनल हेल्थ पर असर

डॉ. आस्था जैन के अनुसार, IVF ट्रीटमेंट शारीरिक और मानसिक रूप से काफी थका देने वाला होता है, जिसका प्रभाव आपके इमोशनल हेल्थ पर भी पड़ता है जैसे-

  • IVF के दौरान हर चेकअप किसी बड़े इम्तिहान से कम नहीं लगता है। मरीज हर बार डॉक्टर के पास इसी उम्मीद से जाते हैं कि इस बार सब चीजें सही निकलें।
  • IVF ट्रीटमेंट के दौरान सोशल प्रेशर भी तनाव बढ़ने का काम करता है। रिश्तेदारों, दोस्तों और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा, 'अब तक कोई खुशखबरी नहीं, या कब खुशखबरी दे रहे हो?' इस तरह के सवाल मानसिक तनावको बढ़ा देते हैं।
  • IVF ट्रीटमेंट एक महंगी प्रक्रिया है, और एक से ज्यादा बार करने पर यह किसी भी व्यक्ति के लिए आर्थिक रूप से दबाव देने वाला हो सकता है। IVF प्रक्रिया में होने वाला खर्च किसी भी महिला के लिए तनाव बढ़ाने वाला होता है।
Emotional-Stress-Affect-Fertility-Treatment

IVF ट्रीटमेंट के दौरान इमोशनल सपोर्ट क्यों जरूरी है?

डॉ. आस्था जैन के अनुसार, IVF ट्रीटमेंट के दौरान न सिर्फ आप शारीरिक रूप से खुद को कमजोर महसूस करते हो, बल्कि ये मानसिक रूप से भी आपको कमजोर बना देता है। ऐसे में इमोशनल सपोर्ट आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में अहम भूमिका निभाता है जैसे-

  • जिस तरह शरीर को दवाइयों की जरूरत होती है, वैसे ही दिल और दिमाग को भी इस समय एक सपोर्ट की जरूरत होती है।
  • अगर मरीज को समझने वाले लोग आसपास होते हैं तो उसका डर और एंग्जाइटी काफी हद तक कम हो सकती है।
  • इमोशनल काउंसलिंग से व्यक्ति अपने मन की बातें खुलकर बोल पाता है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है।
  • इमोशनल सपोर्ट मदद करता है IVF से गुजर रहे लोगों के मन को शांत रखने में, जिससे शरीर भी ट्रीटमेंट के दौरान बेहतर तरीके से रिएक्ट करता है।

IVF ट्रीटमेंट के दौरान कैसे रखें मन को शांत

डॉ. आस्था जैन के अनुसार, कई बार IVF ट्रीटमेंट से गुजर रही महिलाएं खुद को अकेला महसूस करती है, ऐसे में अपने मन को शांत करने और एंग्जाइटी को कम करने के लिए वे इन टिप्स को अपना सकती हैं-

  • गहरी सांस लें और मेडिटेशन करें
  • योग और हल्की एक्सरसाइज जैसी शारीरिक गतिविधियां करें
  • जरूरत महसूस होने पर किसी प्रोफेशनल काउंसलर से मदद लें
  • सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखने की कोशिश करें, ताकि नेगेटिव चीजों से दूर रहे
  • किताबें पढ़ें, म्यूजिक सुनें या अपने मनपसंद का कोई भी काम करें।

निष्कर्ष

नेचुरल तरीके से माता-पिता न बन पाने वाले कपल्स के लिए IVF एक उम्मीद की किरण होती है। लेकिन इस ट्रीटमेंट के दौरान कपल्स खासकर महिलाएं कई बार इमोशनल तौर पर कमजोर हो जाती है, जिसका प्रभाव उनके ट्रीटमेंट पर भी पड़ सकता है। अगर हम इन भावनाओं को समझें, उन्हें स्वीकार करें और सही समय पर सही मदद लें तो न सिर्फ IVF ट्रीटमेंट आसान होता है, बल्कि आप पर भी मानसिक बोझ कम पड़ता है।

Image Credit: Freepik

FAQ

  • प्रेग्नेंसी में टेंशन लेने से क्या होता है?

    प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव लेने से मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। तनाव लेने के कारण समय से पहले डिलीवरी, जन्म के समय बच्चे का वजन बहुत कम होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • महिलाओं में इनफर्टिलिटी क्या है?

    आम तौर पर, जब एक महिला की उम्र 35 साल से कम है और एक साल तक सही तरीके से गर्भ धारण नहीं कर पाती है, तो कपल को 'इनफर्टिलिटी' समस्या हो सकती है। अगर महिला की उम्र 35 साल से ज्यादा है और वह 6 महीने से ज्यादा समय तक नॉर्मल तरीके से कंसीव नहीं कर पाती है, तो यह भी इनफर्टिलीटी की समस्या है।
  • आईवीएफ क्या होता है

    आईवीएफ, या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, एक प्रजनन प्रक्रिया है, जिसमें अंडे और शुक्राणु को शरीर के बाहर, लैब में फर्टिलाइजड किया जाता है, और फिर भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसप्लांट किया जाता है। यह ट्रीटमेंट उन कपल्स के लिए एक विकल्प है, जो नॉर्मल तरीके से कंसीव नहीं कर पाते हैं।

 

 

 

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