शहर या गांव हर किसी को किसी न किसी बात को लेकर तनाव बना ही रहता है। लोगों को काम का दबाव, पारिवारिक जिम्मेदारियां या उज्जवल भविष्य को लेकर चिंता बनी रहती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह तनाव हमारी भावनात्मक सेहत (Emotional Health) पर कैसा असर डालता है? इमोशनल हेल्थ में आपकी खुशी के साथ ही इमोशनल फिलिंग्स को समझना, उन्हें नियंत्रित करना और जीवन में आने वाली मुश्किलों में मानसिक संतुलन बनाए रखने को भी शामिल किया जाता है। लेकिन जब स्ट्रेस अनियंत्रित हो जाता है, तो यह सीधे आपकी इमोशनल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है। इस लेख में डॉ राहुल कक्कड़, कंसलटेंट साइकैटरिस्ट एंड साइकोथैरेपिस्ट नारायणा अस्पताल से जानते हैं कि तनाव किस तरह से आपकी इमोशनल हेल्थ को प्रभावित करता है?
तनाव और इमोशनल हेल्थ के बीच संबंध - Connection Between Stress And Emotional Health In hindi
तनाव का हमारी मानसिक और इमोनशल स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब कोई तनावपूर्ण स्थिति सामने आती है, तो शरीर "फाइट या फ्लाइट" मोड में चला जाता है, जिससे हार्मोन जैसे कॉर्टिसोल (Cortisol) और एड्रेनालिन (Adrenaline) बढ़ जाते हैं। यह प्रतिक्रिया थोड़े समय के लिए हो तो मददगार हो सकती है, लेकिन लंबे समय तक तनाव शरीर और दिमाग को थका देता है।
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तनाव के भावनात्मक प्रभाव क्या होते हैं? - How Does Stress Affect Emotional Health In Hindi
चिड़चिड़ापन और गुस्सा
तनावग्रस्त व्यक्ति अक्सर छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाता है या चिढ़ने लगता है। यह परिवार और कार्यस्थल दोनों में रिश्तों को प्रभावित करता है।
अत्यधिक चिंता और बेचैनी
बार-बार चिंता करना, किसी भी स्थिति में सबसे खराब की कल्पना करना, ये तनाव के आम लक्षण हैं। यह मानसिक रूप से व्यक्ति को थका देता है।
अवसाद (Depression)
लगातार तनाव से व्यक्ति निराशा में चला जाता है। उसे किसी चीज़ में आनंद नहीं आता, आत्म-विश्वास गिरने लगता है और अकेलेपन का अहसास बढ़ता है। ऐसे में व्यक्ति को डिप्रेशन हो सकता है।
निर्णय लेने की क्षमता पर असर
तनाव के दौरान मस्तिष्क की सोचने-समझने की क्षमता कमजोर पड़ती है। व्यक्ति जल्दबाजी में गलत फैसले ले सकता है।
भावनात्मक रुप से कमजोर होना
तनाव में व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाता है। ऐसे में कई बार अत्यधिक रोना, अपनी भावनाओं को छुपाना, आदि लक्षण देखने को मिलते हैं।
नींद और भूख में बदलाव होना
तनाव के कारण व्यक्ति या तो बहुत कम सोता है या ज़रूरत से ज्यादा, भूख भी घट जाती है या बढ़ जाती है। इससे और अधिक मानसिक असंतुलन होता है।
इमोशनल हेल्थ को बेहतर करने के उपाय - How To Improve Emotional Health in Hindi
- कभी-कभी तनाव का कारण स्पष्ट होता है, कभी नहीं। एक डायरी में अपने विचार और भावनाएं लिखें। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि आप कब और क्यों तनाव महसूस करते हैं।
- नकारात्मकता तनाव को बढ़ाती है। खुद से सकारात्मक बातें करें, आत्म-संवाद (self-talk) को सुधारें और आशावादी दृष्टिकोण अपनाएं।
- योग, वॉकिंग, डांस या कोई भी फिजिकल एक्टिविटी शरीर में एंडोर्फिन (खुशी के हार्मोन) बढ़ाती है, जिससे तनाव कम होता है।
- मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग करें। 5 से 10 मिनट रोजाना ध्यान या गहरी सांस लेना ब्रेन को शांत करता है और भावनाओं को स्थिर करता है।
- किसी अपने से बात करना बहुत बड़ी राहत दे सकता है। कभी-कभी केवल सुनने वाला भी काफी होता है।
- अगर तनाव से खुद नहीं निपटा जा रहा है, तो मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से संपर्क करने में झिझकें नहीं।
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तनाव से बचना संभव नहीं, लेकिन इसे पहचानकर स्वीकार करना और सकारात्मक ढंग से मैनेज करके अनपी इमोशनल हेल्थ को इससे प्रभावित होने से बचाया जा सकता है। जब हम अपने इमोशन्स को समझते हैं और संभालते हैं, तब ही हम सच्चे अर्थों में मानसिक रूप से स्वस्थ कहलाते हैं। ऐसे में डॉक्टर्स बताते हैं कि व्यक्ति जब भी तनाव महसूस करें तो उसे अनदेखा न करें।
FAQ
ज्यादा स्ट्रेस लेने से कौन सी बीमारी होती है?
आप क्रोनिक स्ट्रेस का सामना कर रहे हैं, तो आप अवसाद, नींद में समस्या और हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।बहुत ज्यादा चिंता हो तो क्या करें?
गहरी सांस लेने का अभ्यास आपको चिंता की तत्काल भावनाओं को मैनेज करने में मदद कर सकता है। इसके लिए आप प्राणायाम और मेडिटेशन भी कर सकते हैं।