Is Dementia Genetic In Hindi: व्यक्ति को बढ़ता स्ट्रेस और काम को बोझ कई तरह की मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है। काम के बढ़ते प्रेशर और घर परिवार की जिम्मेदारियों में कई बार व्यक्ति को चीजें भूलने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस तरह के लक्षण को डिमेंशिया से कहा जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति अपनी चीजों को याद नहीं रख पाता है। डिमेंशिया एक आम शब्द है, जिसका उपयोग विभिन्न बीमारियों को दर्शाने के लिए किया जाता है जो याददाश्त, उसकी भाषा, चीजों को समझने और सोचने की क्षमताओं को नुकसान पहुंचाती हैं। कई बार इसके यह इतनी गंभीर हो जाती है कि व्यक्ति के ब्रेन के सेल्स आपस में सही तरह से कम्युनिकेट नहीं कर पाते हैं, जिससे व्यक्ति की सोच और व्यवहार में बदलाव देखने को मिलता है। डिमेंशिया होने के पीछे कई कारक जिम्मेदार होते हैं। इस लेख में मैक्स अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉक्टर विवेक कुमार से जानते हैं कि क्या डिमेंशिया अनुवांशिक कारणों से होता है?
क्या डिमेंशिया अनुवांशिक होती है? - Is Dementia Genetic In Hindi
सबसे पहले बता दें कि डिमेंशिया कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई लक्षणों का समूह है जो आपके ब्रेन की सामान्य कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। इसकी सबसे सामान्य प्रकार की बीमारी अल्जाइमर (Alzheimer’s Disease) है, जो सभी डिमेंशिया के मामलों में करीब 60-70% तक देखी जाती है। डिमेंशिया कई कारणों से हो सकती है। जिसमें अनुवांशिक कारणों को भी शामिल किया जा सकता है। डिमेंशिया के कुछ प्रकारों में जेनेटिक फैक्टर (genetic factors) की भूमिका होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर किसी को जिसकी फैमिली हिस्ट्री यह रोग है, उन्हें अवश्य ही डिमेंशिया होगा।
डिमेंशिया में व्यक्ति को अलग-अलग समस्याएं हो सकती हैं। इनको आगे बताया गया है।
टॉप स्टोरीज़
- याददाश्त कमजोर होना
- समय और स्थान की पहचान में कंफ्यूजन होना
- बोलने या समझने में कठिनाई
- निर्णय लेने की क्षमता में कमी
- व्यवहार या स्वभाव में बदलाव, आदि।
डिमेंशिया के प्रकार और अनुवांशिकता के बीच संबंध - Connect Between Dementia And Genetics In Hindi
अल्जाइमर डिजीज (Alzheimer's Disease)
यदि किसी के माता-पिता या भाई-बहन को अल्जाइमर है, तो उस व्यक्ति में इसका खतरा थोड़ा अधिक हो सकता है। माना जाता है कि कुछ विशेष तरह के जीन अल्जाइमर के जोखिम को बढ़ सकते हैं।
फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (FTD)
यह डिमेंशिया का एक दुर्लभ लेकिन अनुवांशिक प्रकार है। इसमें परिवार में पहले किसी सदस्य को FTD रहा हो, तो आगे की पीढ़ियों में इसका खतरा अधिक होता है। इसके लिए कुछ तरह के जीन म्यूटेशन को जिम्मेदार माना जाता है। ।
वैस्कुलर डिमेंशिया और लुई बॉडी डिमेंशिया
इन प्रकारों में अनुवांशिक कारण कम पाए जाते हैं। लेकिन हाई बीपी, डायबिटीज और स्ट्रोक जैसी स्थितियां जो परिवार में पहले किसी को हुई होती है, उनका जोखिम बढ़ा सकती हैं।
क्या अनुवांशिक डिमेंशिया रोका जा सकता? - Can Hereditary Dementia Be Prevented?
ऐसे में डॉक्टर्स बताते हैं कि डिमेंशिया के अनुवांशिक कारकों को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन जोखिम को कम जरूर किया जा सकता है। यदि आपकी फैमिली हिस्ट्री में डिमेंशिया है, तो आपको अपनी जीवनशैली में सुधार और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
डिमेंशिया के जोखिम से बचाव के उपाय - Prevention Tips Of Dementia Symptoms In Hindi
- ब्रेन एक्सरसाइज करें, जैसे पहेली हल करना, किताब पढ़ना, नई स्किल्स सीखना।
- शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। रोजाना वॉक, योग, डांस या कोई खेल अपनाएं।
- स्वस्थ भोजन करें। जैसे फल, सब्ज़ियां, ओमेगा-3 फैटी एसिड और कम फैट वाले आहार को डाइट में शामिल करें।
- रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद मस्तिष्क को ठीक से कार्य करने में मदद करती है।
- ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण रखें।
- तनाव को दूर करने के लिए ध्यान (meditation) और परिवार के साथ समय बिताएं।
इसे भी पढ़ें: डिमेंशिया कितने प्रकार के होते हैं? डॉक्टर से जानें
डिमेंशिया एक जटिल बीमारी है, और कुछ मामलों में यह अनुवांशिक हो सकती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यदि आपके परिवार में यह बीमारी रही हो तो आपको भी होगी। सही जीवनशैली, मानसिक सक्रियता और सतर्कता से इस बीमारी के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
FAQ
डिमेंशिया का सबसे आम कारण क्या है?
डिमेंशिया के प्रकार में वैस्कुलर डिमेंशिया एक सामान्य और आम प्रकार माना जाता है। यह ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन खराब होने के कारण होता है। साथ ही, इसमें स्ट्रोक भी हो सकता है।क्या अल्जाइमर रोग अनुवांशिक है?
अल्जाइमर के ज्यादातर मामले अनुवांशिकता से जुड़े नहीं होते हैं। इसके बजाय, यह जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों के साथ कई जीनों से प्रभावित हो सकता है।उम्र कैसे डिमेंशिया का कारण बनती है?
जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, वह समय के साथ शारीरिक रूप से भी कमजोर होता जाता है। ऐसे में व्यक्ति के सोचने समझने की शक्ति भी प्रभावित होती है। ऐसे में व्यक्ति को डिमेंशिया या अन्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।