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Ethiopia Volcanic Ash In India: सेहत ब‍िगड़ने से कैसे बचें और किसे है सबसे ज्यादा खतरा?

इथियोपिया की ज्वालामुखी राख भारत तक पहुंचने से लोगों में डर है। जानें राख से सेहत को होने वाले नुकसान, कौन से मरीज ज्‍यादा सावधान रहें और क‍िन सावधान‍ियों का ख्‍याल रखें?
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Ethiopia Volcanic Ash In India: सेहत ब‍िगड़ने से कैसे बचें और किसे है सबसे ज्यादा खतरा?

Ethiopia Volcanic Ash In India: इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित एक विशाल ज्वालामुखी हजारों साल बाद 23 नवंबर 2025 को फटा, जिससे एक बड़ा राख का बादल बना जो लगभग 14 किलोमीटर (45,000 फीट) की ऊंचाई तक गया। यह बादल लाल सागर के पूर्वी हिस्से में, अरब प्रायद्वीप और भारतीय उपमहाद्वीप की ओर फैल गया। ज्वालामुखी की राख गुजरात, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में देखी गई। इस ज्वालामुखी के फटने से राख और सल्फर डाइऑक्साइड का एक मोटा गुबार आसमान में ऊपर छा गया है। बंबई उच्च न्यायालय के वकील ज्योति चव्हाण ने कहा कि ज्वालामुखी विस्फोट के कारण वायु प्रदूषण बढ़ा है। ज्‍वालामुखी की राख शहरों में फैलने की खबरों से लोगों के मन में यह आशंका है क‍ि इससे सेहत को कैसे सुरक्ष‍ित रखा जाए और क‍िन लोगों को इससे ज्‍यादा खतरा हो सकता है? इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्‍प‍िटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ. राजेश हर्षवर्धन से बात की।


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भारत से खतरा टला

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ज्वालामुखी से निकली राख (एसओ2) का बादल अब पूरी तरह उत्तरी भारत से आगे बढ़ रहा है और खतरा टल गया है। इंडिया मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने कहा है कि इथियोपिया में ज्वालामुखी की एक्टिविटी से राख के बादल चीन की तरफ बढ़ रहे हैं। आईएमडी के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि राख के बादल चीन की तरफ बढ़ रहे हैं और जल्‍दी भारतीय आसमान से दूर चले जाएंगे। डॉ. राजेश हर्षवर्धन ने बताया क‍ि जानकारी के मुताब‍िक, लोगों को इससे डरने की जरूरत नहीं है, इस ज्‍वालामुखी की राख अब भारत से दूर बताई जा रही है और हवा का स्‍तर भी धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा।

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ज्‍वालामुखी की राख से सेहत को क्‍या खतरा हो सकता है?- Health Risks With Ethiopia Volcanic Ash

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  • ज्वालामुखी की राख बेहद महीन कणों, गैसों और रसायनों से बनी होती है, जो हवा में फैलकर सांस के साथ शरीर में जा सकते हैं।
  • यह राख आंखों में जलन, खांसी, गला खराब होना और सांस लेने में तकलीफ पैदा करती है।
  • दमा, ब्रोंकाइटिस या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों में सांस फुलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
  • राख त्वचा पर एलर्जी, रेडनेस और खुजली की समस्‍या भी पैदा कर सकती है।
  • राख के भारी कण नाक और फेफड़ों में जमकर इंफ्लेमेशन पैदा करते हैं, जिससे ऑक्सीजन का प्रवाह प्रभावित होता है।
  • लंबे समय तक संपर्क रहने पर फेफड़ों की क्षमता कम होने और इंफेक्‍शन का खतरा बढ़ जाता है।

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ज्‍वालामुखी की राख से होने वाले नुकसान से कैसे बचें?

  • ज्वालामुखी की राख से बचने के लिए सबसे पहला कदम है बाहर निकलने से बचना और घर में रहकर हवा को साफ रखना।
  • खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें और कमरे में गीले कपड़े या तौलिया लगाएं ताकि राख अंदर न आ सके।
  • बाहर निकलना जरूरी हो, तो एन95 मास्क, चश्मा और पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
  • आंखों में जलन हो, तो तुरंत साफ पानी से धोएं और आंख मलने से बचें।
  • घर लौटकर कपड़ों को बाहर ही झाड़ें और नहाकर राख के कणों को हटाएं।
  • पर्याप्‍त पानी पिएं ताकि शरीर में जमा सूक्ष्म धूल आसानी से बाहर निकल सके।

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क‍िन मरीजों को व‍िशेष सावधानी बरतने की जरूरत है ?

  • ज्वालामुखी की राख से सबसे ज्‍यादा खतरा अस्थमा, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी, दिल के मरीज, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और छोटे बच्चों को होता है।
  • इनके फेफड़े और हार्ट पहले से सेंस‍िट‍िव होते हैं, इसलिए राख के महीन कण आसानी से सांस नली में सूजन पैदा कर सकते हैं।
  • दिल के मरीजों में ऑक्सीजन की कमी से धड़कन बढ़ सकती है या सांस फूल सकती है।
  • गर्भवती महिलाएं प्रदूषित हवा से तुरंत प्रभावित हो सकती हैं, जिससे चक्कर या सांस संबंधी समस्या बढ़ सकती है।
  • ऐसे सभी मरीजों को घर में रहना, मास्क पहनना और अपनी नियमित दवाएं जारी रखना बहुत जरूरी है।

न‍िष्‍कर्ष:

इथियोपिया के ज्वालामुखी की राख का खतरा भारत पर से टल गया है। फ‍िर भी प्रदूष‍ित हवा में जाने से पहले मास्‍क लगाएं और अपने आसपास की हवा को शुद्ध रखें। अस्थमा, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी, दिल के मरीज व‍िशेष सावधानी बरतें।

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image credit: moneycontrol

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  • Nov 28, 2025 19:27 IST

    Published By : Yashaswi Mathur

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