शरीर को स्वस्थ और सुचारू रूप से काम करने में शरीर के सभी अंगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आपके शरीर में मौजूद किडनी का भी बहुत ही महत्वपूर्ण रोल होता है। किडनी का काम शरीर में यूरिन निर्माण से लेकर खून में मौजूद गंदगी और शरीर के विषाक्त पदार्थों फिल्टर कर बाहर निकलना होता है। किडनी शरीर में हॉर्मोन निर्माण से लेकर रासायनिक संतुलन बनाए रखने का काम करती है। लंबे समय से किडनी की बीमारी के होने को 'क्रोनिक किडनी डिजीज' कहते हैं। इस स्थिति में आपके गुर्दे (किडनी) को स्थाई रूप से गंभीर नुकसान पहुंचता है। क्रोनिक किडनी की बीमारी में किडनी के फेल होने और सही से काम न कर पाने का खतरा रहता है। यह एक गंभीर स्थिति मानी जाती है। आप इस बीमारी से बचने के लिए आयुर्वेद का सहारा ले सकते हैं। आयुर्वेद में शरीर के हर अंग से जुड़ी समस्या का इलाज बताया गया है। क्रोनिक किडनी डिजीज में आयुर्वेद के मुताबिक हल्दी में मौजूद करक्यूमिन का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है, आइये जानते हैं इसके बारे में।
क्रोनिक किडनी डिजीज और इसके लक्षण (Chronic Kidney Disease Symptoms)
क्रोनिक किडनी रोग की वजह से धीरे-धीरे किडनी के काम करने की क्षमता खत्म होने लगती है। जिसकी वजह से आपको हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज की समस्या और एनीमिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। शरीर में दो किडनी होती है जिनका काम शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकलना और यूरिन का निर्माण करना होता है। क्रोनिक किडनी रोग में मरीज में आमतौर पर ये लक्षण देखने को मिलते हैं।
- मांसपेशियों में ऐंठन
- मतली और उल्टी
- भूख न लगना
- आपके पैरों और टखनों में सूजन
- बार-बार पेशाब आने की समस्या
- पर्याप्त पेशाब न आना
- सांस लेने में तकलीफ
- नींद में परेशानी
- इसके अलावा डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या

क्रोनिक किडनी रोग का कारण (Chronic Kidney Disease Causes)
शरीर में किडनी का काम विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करके बाहर निकलना होता है। किडनी खून में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को भी फिल्टर करके बाहर निकालने का काम करती है। किडनी में मौजूद सूक्ष्म फिल्टरिंग इकाई जिसे नेफ्रॉन कहते हैं को नुकसान पहुंचने पर किडनी की बीमारी होती है। क्रोनिक किडनी रोग या किडनी की गंभीर बीमारी की स्थिति में कई स्थितियां जिम्मेदार होती है। क्रोनिक किडनी रोग के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं।
- हाई ब्लड प्रेशर की वजह से भी किडनी की बीमारियों का खतरा रहता है।
- डायबिटीज की समस्या से ग्रसित व्यक्ति को किडनी से जुड़ी बीमारी हो सकती है।
- पेशाब में इंफेक्शन या पेशाब में रुकावट की वजह से किडनी से जुड़ी बीमारी का खतरा।
- नशे वाले ड्रग्स का इस्तेमाल।
- मलेरिया और पीला बुखार होने पर किडनी से जुड़ी बीमारी का खतरा।

क्रोनिक किडनी रोग में हल्दी में मौजूद करक्यूमिन का इस्तेमाल (Curcumin to Treat Chronic Kidney Disease)
आयुर्वेद के मुताबिक क्रोनिक किडनी की बीमारी में हल्दी में मौजूद करक्यूमिन का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। करक्यूमिन के इस्तेमाल से इसमें मौजूद तत्व किडनी रोग में विकसित होने वाले अणुओं और एंजाइम को खत्म करने का काम करता है। जो लोग पहले से किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं उनके लिए हल्दी का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि हल्दी में पर्याप्त मात्रा में मौजूद पोटैशियम, सोडियम के साथ मिलकर शरीर में लिक्विड के स्तर को बनाये रखने में मदद करता है। आयुर्वेद के मुताबिक हल्दी में मौजूद करक्यूमिन के इस्तेमाल से ये फायदे मिलते हैं।
सूजन कम करने में बहुत फायदेमंद है करक्यूमिन - किडनी की बीमारी में सूजन सबसे प्रमुख समस्या मानी जाती है। किडनी में सूजन होने पर स्थिति और गंभीर होने लगती है। ऐसी स्थिति में करक्यूमिन का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है। करक्यूमिन का इस्तेमाल करने से सूजन को नियंत्रित करने वाला मास्टर प्रोटीन शरीर में जाता है जो सूजन को नियंत्रित करने का काम करता है। इसके इस्तेमाल से सूजन तो कम होती ही है और किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते हैं।
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सुपर एंटी-माइक्रोबियल एजेंट - करक्यूमिन में सुपर एंटी-माइक्रोबियल एजेंट के गुण होते हैं। जो रोगाणुओं को नष्ट करने का काम करते हैं। इसके इस्तेमाल से किडनी की बीमारी के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को खत्म किया जा सकता है जिसके बाद बीमारी का खतरा कम हो जाता है। यूरिन इंफेक्शन की समस्या में भी करक्यूमिन का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का काम करते हैं। करक्यूमिन में जीवाणुरोधी और एंटीसेप्टिक प्रभाव होते हैं जिसमें जीवाणु और वायरल संक्रमण से लड़ने की प्राकृतिक क्षमता होती है।
करक्यूमिन किडनी को नुकसान से बचाता है - करक्यूमिन में एंटीऑक्सीडेंट शरीर से मुक्त कणों को खत्म करने का काम करता है जिसकी वजह से गुर्दे को नुकसान पहुंचने से रोकने में फायदा मिलता है। करक्यूमिन के इस्तेमाल से ग्लूटाथियोन की मात्रा संतुलित होती है और ग्लूटाथियोन, पेरोक्साइड को सक्रिय करता है जिससे मुक्त कणों को हटाने में फायदा मिलता है। चूंकि यह ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है और इससे नेफ्रोसिस के इलाज में मदद मिलती है।
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करक्यूमिन पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में फायदेमंद - करक्यूमिन प्रोटीन के उत्पादन को प्रभावित करके किडनी में सिस्ट के निर्माण को रोकता है जो सेलुलर विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं। साथ ही, यह इन सिस्ट को बड़ा होने से रोकता है और इस प्रकार करक्यूमिन को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के उपचार के लिए प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी के इलाज में करक्यूमिन का इस्तेमाल - लंबे समय तक डायबिटीज की समस्या की वजह से किडनी से जुड़ी रोग हो जाते हैं और इसे ही डायबिटिक नेफ्रोपैथी कहा जाता है। इस समस्या में किडनी के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। इस समस्या में करक्यूमिन का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है और इसके इस्तेमाल से ऑक्सीडेटिव तनाव कम होता है।
क्रोनिक किडनी रोग में कैसे करें करक्यूमिन का इस्तेमाल? (How to Use Curcumin to Treat Chronic Kidney Disease?)
किडनी को स्वस्थ और हेल्दी बनाये रखने के लिए हल्दी का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आप किडनी की गंभीर बीमारी में भी इलाज के तौर पर हल्दी में मौजूद करक्यूमिन का इस्तेमाल कर सकते हैं। हल्दी से तैयार इस ड्रिंक का रोजाना सेवन करने से क्रोनिक किडनी रोग में फायदा मिलता है। इसके लिए सबसे पहले उबलते हुए पानी में एक चम्मच शुद्ध हल्दी (पिसी हुई) डालें और इसे लगभग 10 से 15 मिनट के लिए उबालें। इसके बाद इस पानी में स्वादानुसार काली मिर्च या नींबू के रस को मिलकर इसका सेवन करें। इसके अलावा किडनी की बीमारी में आप हल्दी को कई तरीकों से अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
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चूंकि किडनी से जुड़ी कुछ समस्याओं में हल्दी का अधिक इस्तेमाल करने से शरीर में पोटैशियम की मात्रा का संतुलन बिगड़ सकता है। इसलिए किडनी स्टोन और अन्य स्थितियों में इसका इस्तेमाल करने से पहले किसी एक्सपर्ट चिकित्सक की सलाह जरूर लें। यह लेख किसी भी प्रकार का चिकित्सकीय सलाह नहीं प्रदान कर रहा। ऊपर बताये गए नुस्खे का इस्तेमाल करने से पहले आप अपने चिकित्सक से संपर्क जरूर करें।
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