
मधुमेह से पीड़ित लोगों (Diabetic Patients) को नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर (Blood Sugar) पर नजर जरूर रखनी चाहिए और इसे नियंत्रित (Control) रखने की कोशिश करनी चाहिए। अनियंत्रित ब्लड शुगर (Uncontrolled Blood Sugar) की वजह से मधुमेह रोगी दो तरह की जटिलताएं (Complications) महसूस कर सकते हैं- तीव्र (Intense) और दीर्घकालिक यानी लंबे समय तक चलने वाली (Long-Life) परेशानियां। अगर डायबिटीज या हाई ब्लड शुगर लेवल को सही तरीके से मैनेज नहीं किया गया तो दीर्घकालीक समस्याएं (Long Life Problems) होने की संभावना बढ़ जाती हैं। ऐसे में अनियंत्रित डायबिटीज आंखों (Eyes), किडनी (Kidney), हृदय (Heart), त्वचा (Skin) सहित कई अंगों (Other Limbs) को नुकसान पहुंचा सकता है। अनियंत्रित मधुमेह नसों (Nerves) को भी नुकसान पहुंचा सकता है। फोर्टिस हॉस्पिटल, जयपुर के कंसल्टेंट एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, डॉक्टर मनोज कुमार खंडेलवाल बताते हैं कि ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव से हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) और कीटोएसिडोसिस (Ketoacidosis) जैसी गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। इनके लिए आपातकालीन देखभाल यानी इमरजेंसी केयर (Emergency Care) की जरूरत होती है। अगर इसका समय रहते उपचार नहीं किया गया तो ऐसे में हालात गंभीर हो जाते हैं और व्यक्ति को दौरा पड़ने (Seizures) लगते हैं और वह अपना बोध खोने (Losing Sense) लगता है। इतना ही नहीं ऐसे में जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए डायबिटीज को कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि हाई ब्लड शुगर लेवल से हम कई दूसरी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। जानें इन बीमारियों के बारे में जो ब्लड शुगर लेवल के अनियंत्रित होने पर होती हैं-
लो ब्लड शुगर यानी हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia)
समय से भोजन न करने पर और शरीर में इंसुलिन के स्तर (Insulin Level) के बढ़ने से मधुमेह रोगियों के ब्लड शुगर में अचानक से गिरावट आ सकती है। इसके अलावा ऐसी दवाइयों का सेवन करना, जो शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाते हैं, ये भी हाइपोग्लाइसीमिया का कारण हो सकता है। लो ब्लड शुगर के लक्षण है :
- - धुंधली दृष्टि (Blurred Vision)
- - तेजी से दिल धड़कना (Fast Heartbeat)
- - सिरदर्द (Headache)
- - कंपकंपी (Shiver)
- - चक्कर आना (Dizziness)
अगर ब्लड शुगर बहुत कम हो जाता है, तो व्यक्ति को बेहोशी होना, दौरे पड़ना या कोमा में जाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। मधुमेह की दवाइयां जो इंसुलिन के स्तर को बढ़ाती नहीं हैं, इनसे हाइपोग्लाइसीमिया को कोई खतरा नहीं होता है।
केटोएसिडोसिस (Ketoacidosis)
यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें शरीर शर्करा या ग्लूकोज (Glucose) को ईंधन (Fuel) के रूप में उपयोग नहीं कर पाता है। क्योंकि इसमें शरीर में कोई इंसुलिन नहीं होता या अपर्याप्त इंसुलिन (Insufficient Insulin) होता है। अगर आपकी कोशिकाएं (Celles) ऊर्जा से भर जाती हैं, तो आपका शरीर वसा का विखंडन (Fat Fragmentation) शुरू कर देता है। इससे शरीर में विषैले एसिड्स बनने लगते हैं। जिन्हें कीटोन बॉडीज कहा जाता है। इसकी वजह से ये समस्याएं हो सकती हैं :
- - डिहाइड्रेशन (Dehydration)
- - पेट दर्द (Stomach Pain)
- - सांस लेने में परेशानी (Respiratory Distress)
आंखों से संबंधित परेशानियां (Eye problems)
मधुमेह के अनियंत्रित होने पर आंखों से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। डायबिटीज आंखों में रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा यह आंखों की बहुत सी परेशानियों की वजह भी बन सकता है। इसमें ये परेशानियां हो सकती हैं
मोतियाबिंद (Cataracts)
मधुमेह के रोगियों में मोतियाबिंद होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। मोतियाबिंद की वजह से आंख का स्पष्ट लेंस (Clear lens) अपारदर्शी (Opaque) बन जाता है, जो रोशनी को अंदर जाने से रोकता है और इससे देखने में कठिनाई होती है। हल्के मोतियाबिंद का इलाज धूप के चश्मे (Sunglasses) और ग्लेयर-कंट्रोल लेंस (Glare-Control Lenses) से किया जा सकता है। लेकिन गंभीर मोतियाबिंद के इलाज के लिए लेंस प्रत्यारोपण (Lens Implants) की जरूरत हो सकती है।
ग्लूकोमा (Glaucoma)
डायबिटीज रोगियों में आंखों से संबंधित बीमारी ग्लूकोमा होना बेहद सामान्य है। ग्लूकोमा में आंख में दबाव जमा (Accumulated Pressure in Eye) हो जाता है, जो रेटिना (Retina) और आंख की तंत्रिका (Eye Nerve) में रक्त के प्रवाह (Blood Flow) को सीमित कर देता है। ग्लूकोमा की वजह से धीरे-धीरे आंखों की रोशनी खत्म होती है। मधुमेह के रोगियों में ग्लूकोमा होने की संभावना दोगुनी होती है।
डायबिटीक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy)
डायबिटीक रेटिनोपैथी एक अंब्रैला टर्म (Umbrella Term) है, जो डायबिटीज की वजह से होने वाली सभी रेटिना संबंधी समस्याओं के लिए बनी है। इसके पहले के चरणों में आंख के पीछे की छोटी रक्त वाहिकाएं (Blood Vessels) बड़ी हो जाती हैं और इनमें पॉकेट बन जाता है। जिससे सूजन और रक्तस्राव होने लगता है। इतना ही नहीं इसकी वजह से आंखों की रोशनी भी बाधित होने लगती है।
मैक्यूलर एडिमा (Macular Edema)
मैक्यूला (रेटिना) आंख का वह हिस्सा है, जो लोगों को चेहरा देखने और पढ़ने में मदद करता है। यह दूर की वस्तुओं और रंगों को देखने के लिए भी जरूरी होता है। मैक्यूलर एडिमा डायबिटीज रेटिनोपैथी का परिणाम है। मैक्यूलर एडिमा में मैक्युला की परतों में तरल पदार्थ (Liquid) जमा हो जाते हैं और इससे रेटिना में सूजन आ जाती है।
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डायबिटीक किडनी इलनेस (Diabetic Kidney Disease)
लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर लेवल रहने से किडनी को नुकसान हो सकता है। शरीर से विषैले पदार्थों (Toxins) को बाहर निकालने के लिए किडनी (Kidney) का सही से काम करना बहुत जरूरी होता है। लेकिन डायबिटीज किडनी की इस क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है। हाई ब्लड शुगर लेवल की वजह से किडनी यूरीन से निकलने वाले प्रोटीन जैसे पदार्थों को छान नहीं पाता है। डायबिटीज के साथ-साथ हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से किडनी की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। मधुमेह किडनी की बीमारी की मुख्य वजह है। अगर डायबिटीज का इलाज नहीं किया गया, तो डायबिटीक किडनी डिजीज होने की संभावना होती है, जो किडनी फेल होने की वजह बन सकती है। यह एक ऐसा स्टेज है, जहां डायलिसिस (Dialysis) की जरूरत पड़ती है।
न्यूरोपैथी (Neuropathy)
डायबिटीज की वजह से हमारी नसों को भी नुकसान पहुंच सकता है। शरीर और खून में अत्यधिक मात्रा में शुगर होने से नसों को नुकसान हो सकता है। यह पाचन क्रियाओं को नियंत्रित करती हैं। इसकी वजह से पैरों में कई समस्याएं होने लगती है।
- - झुनझुनाहट (Tingle)
- - सुन्न होना (Numbness)
- - दर्द (Pain)
- - जलन
अगर पैरों के सुन्न होने की समस्या गंभीर हो जाती है, तो आपको पैरों पर चोट भी महसूस नहीं हो पाएगी। आप चोट भी महसूस करने में सक्षम नहीं हो पाएंगे। इसकी वजह से दूसरी बीमारियां भी जन्म ले सकती हैं।
रक्त वाहिकाओं को नुकसान (Damage to Blood Vessels)
हाई ब्लड शुगर लेवल रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे रक्त परिसंचरण (Blood Circulation) में परेशानी होने लगती है। इतना ही नहीं इससे पैरों की जटिलताओं, दिल का दौरा और स्ट्रोक (Stroke) होने का खतरा बढ़ जाता है।
पैर से संबंधित समस्याएं (Foot Problems)
डायबिटीज पैरों से संबंधित समस्याओं का कारण भी बन सकता है। शरीर में ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने से हमारे शरीर के विभिन्न अंगों तक ब्लड सर्कुलेशन होने में परेशानी होती है, जिसकी वजह से पैर संबंधी समस्याओं का अधिक खतरा हो जाता है।
डायबिटीज कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर लेवल होने पर कई समस्याएं जन्म ले सकती हैं। इसलिए ऐसे में आपको प्रेवेंटिव केयर करने की जरूरत होती है। ये मधुमेह संबंधी सभी जटिलताओं को नियंत्रित करने और उनसे बचने में मदद कर सकती है। अगर आप स्वस्थ जीवन जी रहे हैं और अपने ब्लड शुगर लेवल को सही तरीके से मैनेज कर रहे हैं, तो आपको इन जटिलताओं का खतरा कम होता है। अगर आप डायबिटीज रोगी हैं, तो अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने की कोशिश करें और स्वस्थ रहें। इससे आप कई दूसरी गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।
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