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ब्रेस्टफीडिंग करते समय क्यों घटता है शरीर का कैल्शियम? डॉक्टर से जानें कारण और बचाव

मां बनना किसी भी महिला के जीवन का सबसे सुंदर अनुभव होता है लेकिन इसके साथ ही जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं। यहां जानिए, स्तनपान के समय शरीर में कैल्शियम की कमी के मुख्य कारण क्या है?
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ब्रेस्टफीडिंग करते समय क्यों घटता है शरीर का कैल्शियम? डॉक्टर से जानें कारण और बचाव


शिशु के जन्म के बाद उसके हेल्दी विकास के लिए मां का दूध सबसे जरूरी होता है। जन्म से लेकर कम से कम 6 महीने तक केवल स्तनपान ही बच्चे के लिए संपूर्ण पोषण का सोर्स माना जाता है। मां का दूध न केवल शिशु की इम्यूनिटी को बढ़ाता है, बल्कि उसके मस्तिष्क, हड्डियों और पाचन तंत्र के विकास में भी अहम भूमिका निभाता है। हालांकि इस दौरान ज्यादातर महिलाओं को अपनी सेहत से जुड़ी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें से एक आम लेकिन अक्सर नजरअंदाज़ की जाने वाली समस्या है शरीर में कैल्शियम की कमी। कई महिलाएं महसूस करती हैं कि स्तनपान के कुछ सप्ताह या महीनों बाद उन्हें हड्डियों में दर्द, थकान, दांतों की कमजोरी या मांसपेशियों में ऐंठन जैसी परेशानियां होने लगी हैं। इसका एक बड़ा कारण है शरीर में कैल्शियम का लेवल लगातार कम होना।

स्तनपान के दौरान मां का शरीर प्रतिदिन दूध के माध्यम से शिशु को कैल्शियम प्रदान करता है। अगर डाइट के जरिए इसकी पूर्ति न की जाए, तो इसका असर हड्डियों की मजबूती (haddi majboot karne ke liye kya karen) पर असर पड़ता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि स्तनपान के दौरान कैल्शियम की कमी किन कारणों से होती है और इससे बचाव के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने लखनऊ के मा-सी केयर क्लीनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर और स्तनपान सलाहकार डॉ. तनिमा सिंघल (Dr. Tanima Singhal, Pregnancy educator and Lactation Consultant at Maa-Si Care Clinic, Lucknow) से बात की-

स्तनपान के समय शरीर में कैल्शियम की कमी के मुख्य कारण - Calcium Deficiency during Breastfeeding

डॉ. तनिमा सिंघल बताती हैं कि कैल्शियम शरीर के लिए एक बेहज जरूरी मिनरल है जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने के साथ-साथ मांसपेशियों की एक्टिविटी, नर्व सिग्नलिंग और हार्मोन संतुलन में भी अहम भूमिका निभाता है। स्तनपान के दौरान मां का शरीर दूध के जरिए अपने कैल्शियम से शिशु को यह पोषक तत्व देता है। यही कारण है कि यदि डाइट से पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम न मिल पाए, तो मां के शरीर में इसकी कमी (calcium ki kami) हो सकती है। स्तनपान करते समय मां का शरीर प्रतिदिन कैल्शियम दूध के रूप में शिशु को प्रदान करता है। यदि इस कमी की भरपाई डाइट या सप्लीमेंट से न की जाए, तो यह धीरे-धीरे शरीर की हड्डियों से कैल्शियम खींचकर पूर्ति करता है, जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।

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  • कई महिलाएं प्रसव यानी शिशु के जन्म के बाद खुद की डाइट पर उतना ध्यान नहीं देतीं जितना कि जरूरी होता है। कैल्शियम युक्त फूड्स जैसे दूध, दही, पनीर, मेवे आदि की कमी से शरीर में यह मिनरल तेजी से घटने लगता है।
  • कैल्शियम के अवशोषण के लिए विटामिन D बेहद जरूरी होता है। अगर मां के शरीर में विटामिन D की कमी है, तो कैल्शियम शरीर में रहते हुए भी उपयोग नहीं हो पाता।
  • स्तनपान के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोन में बदलाव होते हैं जो मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही थकावट और नींद की कमी से भी शरीर का पोषण संतुलन बिगड़ता है।

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calcium ki kami

हमें कैसे पता चलेगा कि हमें कैल्शियम की कमी है? - what is the sign of lack of calcium

यदि स्तनपान के दौरान महिला के शरीर में कैल्शियम की कमी हो रही हो, तो कुछ सामान्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं। महिला के शरीर में हड्डियों और जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन या झनझनाहट, दांतों की कमजोरी या गिरना, नाखूनों का टूटना, थकान और कमजोरी के अलावा बार-बार मूड बदलना या चिड़चिड़ापन और पीठ या कमर में लगातार दर्द की समस्या हो सकती है। इन लक्षणों को हल्के में न लें। ऐसा इसलिए, क्योंकि लंबे समय तक कैल्शियम की कमी ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है।

स्तनपान के लिए कितना कैल्शियम चाहिए? - How much calcium is needed for breastfeeding

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, एक स्तनपान कराने वाली महिला को रोजाना लगभग 1200 से 1300 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है। यह मात्रा केवल भोजन से पूरी करना मुश्किल हो सकता है, इसलिए सही डाइट और कभी-कभी सप्लीमेंट की जरूरत पड़ती है।

जल्दी कैल्शियम बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए? - what to eat to increase calcium in body

1. डेयरी प्रोडक्ट्स

शाकाहारी लोगों के लिए दूध, दही, पनीर और छाछ जैसे फूड्स में भरपूर कैल्शियम होता है। दिन में कम से कम दो बार डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करें।

2. हरी पत्तेदार सब्जियां

पालक, मेथी, सरसों, बथुआ जैसी सब्जियां भी अच्छी मात्रा में कैल्शियम प्रदान करती हैं। इन सब्जियों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। लेकिन ध्यान रखें कि बरसात के मौसम में पत्तेदार सब्जियों का सेवन न करें।

3. सूखे मेवे और सीड्स

बादाम, अखरोट और चिया सीड्स कैल्शियम के अच्छे सोर्स हैं। इन्हें स्नैक्स या दूध के साथ लिया जा सकता है।

4. दालें और सोया प्रोडक्ट्स

मसूर, चना, मूंग, अरहर जैसी दालें और टोफू से भी शरीर को कैल्शियम मिलता है।

5. विटामिन D

कैल्शियम के साथ-साथ शरीर में विटामिन D का पर्याप्त लेवल बनाए रखना भी जरूरी है ताकि कैल्शियम का अवशोषण सही ढंग से हो सके। इसके लिए रोज सुबह की धूप में 15–20 मिनट बैठें या डॉक्टर की सलाह से विटामिन D सप्लीमेंट लें।

निष्कर्ष

स्तनपान के समय मां के शरीर में कैल्शियम की कमी एक सामान्य परंतु गंभीर रूप लेने वाली समस्या है। अगर इसका समय रहते इलाज न किया जाए तो भविष्य में हड्डियों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। बैलेंस डाइट, धूप में बैठना, नियमित एक्सरसाइज और डॉक्टर की सलाह से इस कमी से बचा जा सकता है।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • ब्रेस्टफीडिंग के क्या फायदे हैं?

    शिशु और मां दोनों के लिए स्तनपान फायदेमंद होता है। यह शिशु को जरूरी पोषण, एंटीबॉडीज और इम्यूनिटी प्रदान करता है, जिससे उसे इंफेक्शन और बीमारियों से बचाव मिलता है। स्तनपान शिशु के मस्तिष्क और शारीरिक विकास में सहायक होता है। मां के लिए यह प्रसव के बाद तेजी से रिकवरी में मदद करता है और ब्रेस्ट तथा ओवेरियन कैंसर के जोखिम को कम (breastfeeding ke fayde in hindi) करता है।
  • ब्रेस्टफीडिंग क्यों जरूरी है?

    ब्रेस्टफीडिंग शिशु के विकास के लिए जरूरी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि मां का दूध शिशु को संपूर्ण पोषण और रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। यह नवजात को डायरिया, निमोनिया, कुपोषण और एलर्जी जैसी बीमारियों से बचाता है। मां का दूध पचाने में आसान होता है और इसमें मौजूद एंटीबॉडीज शिशु की इम्यूनिटी बढ़ाते हैं। यह मां के लिए भी फायदेमंद है, साथ ही यह एक नेचुरल प्रक्रिया है जो मां और शिशु के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत करती है।
  • ब्रेस्ट साइज कब तक बढ़ता है? - breast size kab tak badhta hai

    ब्रेस्ट साइज मुख्य रूप से किशोरावस्था के दौरान, यानी 8 से 18 वर्ष की आयु तक बढ़ता है लेकिन कुछ महिलाओं में स्तनों का आकार 20 वर्ष की उम्र के बाद भी धीरे-धीरे बढ़ सकता है। इसके बाद भी प्रेग्नेंसी, स्तनपान, वजन बढ़ना या हार्मोनल परिवर्तन के कारण ब्रेस्ट साइज में बदलाव हो सकता है। 

 

 

 

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