स्तनपान कराने वाली महिलाओं की डाइट से जुड़े इन मिथकों पर आप भी कर लेते हैं भरोसा? तो जानें इनकी सच्चाई
प्रेग्नेंसी में किसी तरह की परेशानी न आए इसके लिए महिलाओं को हेल्दी डाइट दी जाती है। घर के बुजुर्ग और डॉक्टर्स भी ये मानते हैं की प्रेगनेंट महिला अगर खान पान का ख्याल रखें तो गर्भ में पलने वाला बच्चा स्वस्थ रहता है। लेकिन जैसे ही प्रेग्नेंसी का दौर खत्म होता है और बच्चे की डिलीवरी होती है तो महिलाओं को रूखा सूखा खाने के लिए दिया जाता है। कुछ जगहों पर डिलीवरी के बाद ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को दलिया, खिचड़ी और हरीरा दिया जाता है। भारतीय आज भी ऐसा माना जाता है कि ब्रेस्टफीडिंग मदर्स को खिचड़ी और दलिया जैसी चीजें ही देनी चाहिए। यह जच्चा और बच्चा दोनों के लिए स्वास्थ्यवर्धक है।
स्तनपान करवाने वाली महिलाओं की डाइट से जुड़ी कई तरह की बातें कही जाती हैं जिनमें से आधी सच तो आधी मिथक (Myth) से ज्यादा कुछ नहीं होतीं। लेकिन महिलाएं इन मथिकों को भी स मानती हैं और डिलीवरी के बाद भी रूखा सूखा ही खाती हैं। इसकी वजह से नई मां स्तनपान से जुड़ी गलतियां कर बैठती हैं जिससे बच्चे और मां दोनों की सेहत पर प्रभाव पड़ सकता है। यही वजह है आज हम आपको इस लेख में ब्रेस्टफीडिंग मदर्स की डाइट से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई बताने जा रहे हैं।
मिथकः स्तनपान के दौरान सिर्फ सादा भोजन किया जाना चाहिए।
सच्चाईः यह सच है कि मां को स्तनपान कराने के दौरान हेल्दी यानी पोषक तत्वों से भरी डाइट लेनी चाहिए, क्योंकि वह जो भी खाती है, शिशु को भी उसका लाभ मिलता है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि महिला अपने मन का कुछ नहीं खा सकती है। आपको सिर्फ इस बात का ध्यान रखना है कि आप जो भी खा रही हैं, उसका बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर न पड़े। अगर कोई नई चीज ट्राई करना चाहती हैं, तो बेहतर होगा कि एक बार अपने डॉक्टर से बात कर लें।
इसे भी पढ़ें: ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान मां की डाइट का बच्चे पर क्या असर पड़ता है? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर
मिथकः एक्सरसाइज करने से मां के दूध का स्वाद बदल जाता है।
सच्चाईः इस मिथक का सच्चाई से कोई सरोकार नहीं है। असल बात ये है कि एक्सरसाइज करना मां के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। यूनिसेफ की मानें, तो अब तक ऐसी कोई स्टडी सामने नहीं आई, जिससे यह पता चले कि एक्सरसाइज के कारण दूध का स्वाद बदल सकता है।
मिथकः बीमार होने पर मां को ब्रेस्टफीड नहीं कराना चाहिए।
सच्चाईः हालांकि, यह बात सही मानी जाती है कि बीमार होने पर शिशु को स्तनपान कराने से बचना चाहिए। लेकिन, यह बात बहुत मायने रखती है कि आखिर मां को क्या बीमारी है? जो भी बीमारी है, उस संबंध में उन्हें प्रॉपर ट्रीटमेंट लेना चाहिए, अच्छी तरह रेस्ट करना चाहिए और हेल्दी डाइट लेनी चाहिए। इस तरह, वे स्तनपान करा सकती हैं। हां, आपको इस संबंध में एक बार डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए।
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प्रेग्नेंसी में किसी तरह की परेशानी न आए इसके लिए महिलाओं को हेल्दी डाइट दी जाती है। घर के बुजुर्ग और डॉक्टर्स भी ये मानते हैं की प्रेगनेंट महिला अगर खान पान का ख्याल रखें तो गर्भ में पलने वाला बच्चा स्वस्थ रहता है। लेकिन जैसे ही प्रेग्नेंसी का दौर खत्म होता है और बच्चे की डिलीवरी होती है तो महिलाओं को रूखा सूखा खाने के लिए दिया जाता है। कुछ जगहों पर डिलीवरी के बाद ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को दलिया, खिचड़ी और हरीरा दिया जाता है। भारतीय आज भी ऐसा माना जाता है कि ब्रेस्टफीडिंग मदर्स को खिचड़ी और दलिया जैसी चीजें ही देनी चाहिए। यह जच्चा और बच्चा दोनों के लिए स्वास्थ्यवर्धक है।
स्तनपान करवाने वाली महिलाओं की डाइट से जुड़ी कई तरह की बातें कही जाती हैं जिनमें से आधी सच तो आधी मिथक (Myth) से ज्यादा कुछ नहीं होतीं। लेकिन महिलाएं इन मथिकों को भी स मानती हैं और डिलीवरी के बाद भी रूखा सूखा ही खाती हैं। इसकी वजह से नई मां स्तनपान से जुड़ी गलतियां कर बैठती हैं जिससे बच्चे और मां दोनों की सेहत पर प्रभाव पड़ सकता है। यही वजह है आज हम आपको इस लेख में ब्रेस्टफीडिंग मदर्स की डाइट से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई बताने जा रहे हैं।
मिथकः स्तनपान के दौरान सिर्फ सादा भोजन किया जाना चाहिए।
सच्चाईः यह सच है कि मां को स्तनपान कराने के दौरान हेल्दी यानी पोषक तत्वों से भरी डाइट लेनी चाहिए, क्योंकि वह जो भी खाती है, शिशु को भी उसका लाभ मिलता है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि महिला अपने मन का कुछ नहीं खा सकती है। आपको सिर्फ इस बात का ध्यान रखना है कि आप जो भी खा रही हैं, उसका बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर न पड़े। अगर कोई नई चीज ट्राई करना चाहती हैं, तो बेहतर होगा कि एक बार अपने डॉक्टर से बात कर लें।
मिथकः एक्सरसाइज करने से मां के दूध का स्वाद बदल जाता है।
सच्चाईः इस मिथक का सच्चाई से कोई सरोकार नहीं है। असल बात ये है कि एक्सरसाइज करना मां के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। यूनिसेफ की मानें, तो अब तक ऐसी कोई स्टडी सामने नहीं आई, जिससे यह पता चले कि एक्सरसाइज के कारण दूध का स्वाद बदल सकता है।
मिथकः बीमार होने पर मां को ब्रेस्टफीड नहीं कराना चाहिए।
सच्चाईः हालांकि, यह बात सही मानी जाती है कि बीमार होने पर शिशु को स्तनपान कराने से बचना चाहिए। लेकिन, यह बात बहुत मायने रखती है कि आखिर मां को क्या बीमारी है? जो भी बीमारी है, उस संबंध में उन्हें प्रॉपर ट्रीटमेंट लेना चाहिए, अच्छी तरह रेस्ट करना चाहिए और हेल्दी डाइट लेनी चाहिए। इस तरह, वे स्तनपान करा सकती हैं। हां, आपको इस संबंध में एक बार डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए।
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।