भारतीय समाज में कई परंपराएं और धारणाएं पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं। इन्हीं में से एक धारणा यह भी है कि मछली खाने के बाद दूध पीना त्वचा के लिए नुकसानदायक होता है और इससे त्वचा पर सफेद दाग (विटिलिगो) या अन्य बीमारियां हो सकती हैं। यह धारणा इतनी गहराई से जड़ें जमा चुकी है कि लोग मछली और दूध को एक साथ लेने से बचते हैं। कुछ परिवारों में इसे एक सख्त नियम माना जाता है। कई लोगों के मन में इसको लेकर तरह-तरह के सवाल उठते हैं जैसे कि फिश खाने के बाद दूध पीने से क्या होता है? क्या मछली के ऊपर दूध पीने से सफेद धब्बे होते हैं? और क्या होगा अगर हम मछली और दूध एक साथ खाते हैं? ऐसी मान्यता है कि मछली और दूध का मिश्रण शरीर के लिए "विषाक्त" होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि मछली की तासीर "गर्म" और दूध की तासीर "ठंडी" मानी जाती है। इस असंतुलन के कारण त्वचा पर दुष्प्रभाव होने की बात कही जाती है। लेकिन क्या इस धारणा का कोई वैज्ञानिक आधार है, या यह केवल एक मिथक है?
आपको बता दें कि हमारे समाज में इसी तरह के कई मिथक या अंधविश्वास फैले हुए हैं। इसलिए, सेहत से जुड़े ऐसे ही मिथकों और अंधविश्वास के पीछे छिपे साइंस के बारे में बताने के लिए ओन्लीमायहेल्थ "अंधविश्वास या साइंस" सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के तहत हम आपको ऐसे ही अंधविश्वासों से जुड़े साइंस और वैज्ञानिक तथ्य बताने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस लेख में एलांटिस हेल्थकेयर, लाजपत नगर, नई दिल्ली की डर्मेटोलॉजिस्ट एंड एस्थेटिक फिजिशियन डॉ. चांदनी जैन गुप्ता (Dr Chandni Jain Gupta, MBBS, MD Dermatologist and Aesthetic physician, Elantis Healthcare, Lajpat Nagar, New Delhi) से जानिए, क्या मछली खाने के बाद दूध पीने से त्वचा की बीमारियां होती हैं या यह सिर्फ एक अंधविश्वास है।
मछली और दूध से जुड़ी परंपरागत धारणा
पुराने समय से कई लोगों का मानना था कि मछली और दूध का संयोजन "गर्म" और "ठंडी" तासीर का होता है, जो शरीर के अंदर असंतुलन पैदा कर सकता है। यह असंतुलन त्वचा पर दुष्प्रभाव डालता है, जिससे त्वचा पर सफेद दाग या त्वचा पर रैशेज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस धारणा के कारण कई लोग आज भी मछली और दूध को एक साथ लेने से बचते हैं।
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क्या कहता है विज्ञान?
डर्मेटोलॉजिस्ट एंड एस्थेटिक फिजिशियन डॉ. चांदनी जैन गुप्ता के अनुसार, मछली और दूध दोनों ही पोषण से भरपूर फूड्स हैं। मछली में प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन डी जैसे पोषक तत्व होते हैं, जबकि दूध कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन बी12 का एक अच्छा सोर्स होता है। इन दोनों का एक साथ सेवन करने से त्वचा पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। त्वचा पर सफेद दाग (विटिलिगो) होने का कारण मुख्य रूप से शरीर में मेलानिन उत्पादन की कमी है, जो एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है। इसका मछली और दूध के सेवन से कोई संबंध नहीं है। मछली और दूध के सेवन से डाइजेशन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
मछली के ऊपर दूध पी सकते हैं? - Can We Drink Milk After Eating Fish
डॉक्टर चांदनी जैन गुप्ता इस बात पर सहमत हैं कि मछली और दूध का संयोजन स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है। हालांकि, कुछ लोगों में इन दोनों के सेवन के बाद डाइजेशन से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। यह समस्या लोगों के शरीर की सेंसिटिविटी पर निर्भर करती है।
मछली और दूध के बीच कितने घंटे का अंतर होना चाहिए -What Is The Time Gap Between Fish And Milk
मछली और दूध के सेवन में कम से कम 2 से 3 घंटे का अंतर रखना बेहतर है। यह सुझाव पाचन प्रक्रिया को आसान बनाने और पेट की असुविधा से बचने के लिए दिया जाता है। मछली और दूध दोनों ही प्रोटीन से भरपूर होते हैं और इनका पाचन शरीर के लिए थोड़ा समय ले सकता है।
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अंधविश्वास के पीछे का मनोविज्ञान
अक्सर, अंधविश्वास पीढ़ी दर पीढ़ी बिना वैज्ञानिक प्रमाण के आगे बढ़ते हैं। मछली और दूध के मामले में भी यही हुआ है। किसी व्यक्ति को त्वचा पर एलर्जी होने के बाद यह धारणा बनी होगी कि यह दोनों का सेवन करने से हुआ है और धीरे-धीरे यह एक परंपरा बन गई।
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त्वचा पर सफेद दाग (विटिलिगो) के कारण
विटिलिगो एक त्वचा रोग है, जिसमें त्वचा पर सफेद दाग बन जाते हैं। यह रोग ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के कारण होता है। इसमें शरीर की इम्यूनिटी मेलानिन कोशिकाओं पर हमला करती है, जिससे त्वचा पर दाग पड़ने लगते हैं। इसका मछली और दूध के सेवन से कोई संबंध नहीं है।
निष्कर्ष
मछली और दूध का एक साथ सेवन करने से त्वचा पर सफेद दाग या अन्य बीमारियां नहीं होती हैं। यह पूरी तरह से एक अंधविश्वास है। हालांकि, यदि आपको एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। अंधविश्वास से बचें और अपनी सेहत के लिए विज्ञान आधारित निर्णय लें। इस तरह की धारणाओं को दूर करने और सही जानकारी तक पहुंचने के लिए जागरूकता जरूरी है। सर्दियों में त्वचा की देखभाल करें, लेकिन किसी भी अंधविश्वास के आधार पर अपनी डाइट में बदलाव न करें।