Weight Loss Transformation Real Story: आज के समय में मोटापा केवल एक शारीरिक समस्या नहीं, बल्कि कई बीमारियों का कारण भी है। भारी-भरकम शरीर वाले इंसान का कुछ कदम चलना भी मुश्किल हो जाता है, सांस फूल जाती है, थकान इतनी हावी हो जाती है कि छोटी-सी एक्टिविटी भी पहाड़ जैसी लगती है। यही नहीं, मोटापा डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज जैसी कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बनता है। यह समस्या न केवल शरीर को कमजोर करती है, बल्कि आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को भी गहरा आघात पहुंचाती है।
गाजियाबाद के 57 वर्षीय योगेश त्यागी की जिंदगी भी लंबे समय तक ऐसे ही संघर्षों से घिरी रही। 170 किलो वजन के साथ उनका हर दिन मानो बोझ उठाने जैसा था। चंद कदम चलते ही सांस फूल जाती थी और थकान हर पल उनके साथ रहती थी। उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि बिना किसी की मदद के रोजमर्रा का काम करना असंभव (weight loss ke liye kya kare) हो गया। लेकिन कहते हैं कि सही समय पर सही मार्गदर्शन मिल जाए, तो जिंदगी की दिशा बदल जाती है। योगेश त्यागी की जिंदगी में यह उम्मीद लेकर आए मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज, नई दिल्ली के रोबोटिक और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी विभाग के सीनियर डायरेक्टर, डॉ. आशीष गौतम (Dr. Ashish Gautam, Senior Director, Robotic and Laparoscopic Surgery, Max Super Speciality Hospital, Patparganj, New Delhi)। डॉ. गौतम ने न केवल उनका वजन घटाया, बल्कि उन्हें आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता भी लौटाई।
मोटापे की वजह से आत्मसम्मान पर असर
योगेश त्यागी का वजन 170 किलो तक पहुंच चुका था। इतने अधिक वजन के साथ उनकी दिनचर्या बेहद कठिन हो गई थी। चंद कदम चलने पर ही सांस फूलने लगती थी और थकान हमेशा बनी रहती थी। उन्हें डायबिटीज की गंभीर समस्या थी और शरीर का भारीपन उन्हें शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी तोड़ रहा था। 57 साल की उम्र में उनके मन में यह डर घर करने लगा था कि आगे का जीवन दर्द, थकान और दूसरों पर निर्भरता के साए में ही बीतेगा। मोटापा सिर्फ शरीर पर बोझ नहीं डालता बल्कि आत्मसम्मान पर भी गहरा आघात करता है। योगेश के लिए बिना मदद के रोजमर्रा का कोई काम करना मुश्किल था। धीरे-धीरे वे खुद को बोझ समझने लगे। आत्मविश्वास कम होता गया और उनका मनोबल टूटने लगा। परिवार और समाज में एक्टिव रहने के बजाय उन्हें खुद पर असहायता का बोझ महसूस होने लगा। यह स्थिति उन्हें भीतर ही भीतर खा रही थी।
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मोटापे के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी - Bariatric surgery for overweight
ऐसे समय में योगेश त्यागी की जिंदगी में नई उम्मीद लेकर आए डॉ. आशीष गौतम, जो मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज, नई दिल्ली में रोबोटिक, बेरिएट्रिक और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के सीनियर डायरेक्टर हैं। योगेश ने डॉ. आशीष गौतम से परामर्श के बाद बेरिएट्रिक सर्जरी का निर्णय लिया। यह सर्जरी उन मरीजों के लिए बेहद कारगर है, जो ज्यादा मोटापे और उससे जुड़ी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हों और सामान्य डाइट व एक्सरसाइज से वजन कम न कर पा रहे हों। सर्जरी के बाद शरीर और पाचन प्रक्रिया में बदलाव होता है, जिससे मरीज का शरीर धीरे-धीरे वजन कम करने लगता है।
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82 किलो वजन कम कर पाया आत्मनिर्भर जीवन
सर्जरी के बाद योगेश त्यागी का जीवन पूरी तरह बदल गया। उनका वजन लगभग 82 किलो तक कम हो गया। 170 किलो से गिरकर उनका वजन सामान्य स्तर पर आने लगा। सबसे बड़ी बात यह रही कि अब वे खुद से चल-फिर सकते हैं और किसी की सहायता पर निर्भर नहीं हैं। उनके अंदर खोया हुआ आत्मसम्मान और आत्मविश्वास वापस आ चुका है। अब वे खुद को पहले से कहीं ज्यादा एक्टिव और स्वतंत्र महसूस करते हैं।
योगेश बताते हैं, ''57 साल की उम्र में मुझे यह डर सताने लगा था कि बाकी का जीवन दर्द और दूसरों पर निर्भरता का होगा। आज मैं खुलकर सांस ले सकता हूं, बिना थके चल सकता हूं और परिवार के साथ समय का आनंद उठा सकता हूं। यह मेरे लिए किसी नए जीवन से कम नहीं है।''
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डॉ. आशीष गौतम का कहना
डॉ. गौतम का मानना है कि बैरिएट्रिक सर्जरी सिर्फ वजन घटाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह मरीज को एक नई लाइफस्टाइल देने का माध्यम है। यह सर्जरी उन लोगों के लिए वरदान साबित होती है, जिनका वजन इतना बढ़ चुका हो कि सामान्य तरीकों से कम करना संभव न हो।
निष्कर्ष
योगेश त्यागी का ''Fat to Fit'' सफर इस बात का प्रमाण है कि मोटापे की जंजीरों को तोड़ा जा सकता है। 170 किलो से 82 किलो वजन कम करना किसी चमत्कार से कम नहीं, लेकिन यह चमत्कार आधुनिक चिकित्सा और दृढ़ इच्छाशक्ति से संभव हुआ। आज योगेश त्यागी न केवल स्वस्थ हैं, बल्कि उनका आत्मविश्वास और जीवन जीने का नजरिया भी बदल चुका है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हम हिम्मत न हारें और सही मार्गदर्शन मिले, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं है।