Tooth Implant In Diabetes: यह बात तो आपने सुनी होगी कि शुगर के मरीजों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जैसे उन्हें यूटीआई का रिस्क काफी ज्यादा होता है और स्किन प्रॉब्लम भी अक्सर परेशान करती रहती है। सीडीसी की मानें, तो डायबिटीज के मरीजों की इम्यूनिटी बहुत कमजोर होती है और ब्लड शुगर के स्तर में फ्लक्चुएशन के कारण नव डैमेज हो जाती है। इसी वजह से उन्हें यूटीआई और अन्य इंफेक्शन और स्किन प्रॉब्लम का रिस्क रहता है। यही नहीं, डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर का स्तर हाई होने के कारण मुंह में बैक्टीरिया ग्रोथ और एसिड प्रोडक्शन भी ज्यादा होता है। ऐसे में उन्हें दांतों से संबंधित बीमारी भी बनी रहती है। तो शुगर के मरीजों टीथ इम्प्लांट करवाने में भी दिक्कतें आते हैं? यानी क्या वे आसानी से टीथ इम्प्लांट करवा सकते हैं? और टीथ इम्प्लांट करवाने के दौरान उन्हें किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए? आइए, ग्रेटर नोएडा पश्चिम स्थित सर्वोदया अस्पताल में Consultant - Dental Sarvodaya Hospital डॉ. प्रीति सिंह से जानते हैं शुगर की प्रॉब्लम में टीथ इम्प्लांट करवाने से जुड़ी सभी जरूरी बातें।
क्या शुगर के मरीज टीथ इम्प्लांट करवा सकते हैं?- Is It Safe For Diabetics To Have Dental Implants
शुगर के मरीज टीथ इम्प्लांट करवा सकते हैं या नहीं, यह जानने से पहले यह समझें कि आखिर टीथ इम्प्लांट क्या होता है और किन स्थितियों में इसकी जरूरत पड़ती है? डॉ. प्रीति सिंह की मानें, "टीथ इम्प्लांट एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें एक नकली दांत को जबड़े की जॉ बोन में फिक्स किया जाता है, ताकि टूटे हुए दांत को रिप्लेस किया जा सके।" अब जानते हैं कि क्या शुगर के मरीजों के लिए टीथ इम्प्लांटेशन करवाना आसान होता है? इस बारे में डॉ. प्रीति सिंह बताती हैं, "शुगर के मरीज भी सामन्य लोगों की तरह टीथ इम्प्लांट करवा सकते हैं। हालांकि, टीथ इम्प्लांट करवाने से पहले उन्हें अपने ब्लड शुगर के स्तर को मैनेज करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि अगर टीथ इम्प्लांटेशन के दौरान शुगर को सही तरह से मैनेज न किया जाए, तो इसकी वजह से सर्जरी के दौरान कॉम्प्लीकेशन बढ़ सकती हैं। यहां तक कि हीलिंग प्रोसेस भी धीमा हो जाती है और संक्रमण का रिस्क भी बना रहता है।"
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शुगर के मरीज टीथ इम्प्लांट करवाते वक्त किन बातों का ध्यान रखें
ब्लड शुगर करें कंट्रोल
शुगर के मरीजों को टीथ इम्प्लांट करवाते समय अपने शुगर के स्तर को मैनेज करना चाहिए। डॉ. प्रीति सिंह सलाह देती हैं, ‘टीथ इम्प्लांट के दौरान ब्लड शुगर का स्तर स्टेबल होना बहुत जरूरी तभी नकली दांत लगाना आसान होता है और इसकी हीलिंग भी सही गति से होती है।
ओवर ऑल हेल्थ
शुगर के मरीजों को टीथ इम्प्लांट के दौरान अपने ओवर ऑल हेल्थ का भी ध्यान रखना चाहिए। ओवर ऑल हेल्थ की सही जानकारी के लिए डेंटिस्ट आपको कुछ जरूरी टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इसमें ब्लड शुगर टेस्ट के साथ-साथ बीपी के स्तर की जांच भी की जाती है। इसके अलावा, पूरी मेडिकल हिस्ट्री पर भी गौर किया जाता है।
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रिस्क के बारे में जानें
शुगर के मरीजों को टीथ इम्प्लांट करवाने से पहले इससे संबंधित सभी तरह के रिस्क के बारे में जानकारी ले लेनी चाहिए। आपने नोटिस किया होगा कि शुगर के मरीजों की रिकवरी प्रोसेस काफी धीमी होती है, क्योंकि उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। उन्हें पता होना चाहिए कि टीथ इम्प्लांट के बाद उनकी रिकवरी में समय लग सकता है और इंफेक्शन का खतरा भी बना रहता है।
निष्कर्ष
शुगर के मरीज भी निःसंकोच प्लानिंग के साथ टीथ इम्प्लांट करवा सकते हैं। हालांकि, उन्हें कुछ बातों पर गौर करना चाहिए, जैसे अपने ब्लड शुगर के स्तर को बैलेंस रखना चाहिए और सर्जरी के बाद ओरल हाइजीन का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसके अलावा, डॉक्टर टीथ इम्प्लांट के बाद जो मेडिसिन देते हैं, उन्हें समय पर लेना चाहिए। इससे बेहतर तरीके से रिकवरी होती है।
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FAQ
डेंटल इम्प्लांट के नुकसान क्या हैं?
वैसे तो डेंटल इम्प्लांट पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावशाली होता है। लेकिन, डेंटल इम्प्लांट के कारण कुछ परेशानियां हो सकती हैं, जैसे मसूड़ों में दर्द, सूजन आदि। हालांकि, ये सभी समस्याएं अस्थाई होती हैं और डॉक्टर द्वारा दी गई दवा की मदद से सब ठीक हो जाते हैं।क्या ज्यादा शुगर से मसूड़ों की बीमारी होती है?
जब शुगर का स्तर स्टेबल नहीं होता है, तो इसका बुरा असर ओवर ऑल हेल्थ पर पड़ता है। इसकी वजह से दांत डैमेज हो सकते हैं, दांतों के इनामेल कमजोर हो सकते हैं। वास्तव में, शुगर के मुंह में एसिड्स प्रोडक्शन बढ़ जाता है, जिससे दांतों में कमजोरी और सीरियस हेल्थ इश्यूज हो सकते हैं।डेंटल इम्प्लांट करवाना चाहिए या नहीं?
जब किसी को दांतों से संबंधित समस्या हो जाती है और दांत टूट जाते हैं, उसी स्थिति में डेंटल इम्प्लांट करवाना पड़ता है। इस सर्जिकल प्रासेस में कोई दिक्कत नहीं होती है। हालांकि, इससे संबंधित कुछ रिस्क होते हैं। इस संबंध में डेंटिस्ट से बात करना बेहतर होता है।