
सूरज की तेज रोशनी में जाने पर आपने भी आंखों पर दबाव महसूस किया होगा। अक्सर जब हम अचानक तेज रोशनी में जाते हैं तो आंखें अपने आप ही बंद हो जाती है। लेकिन कुछ देर तक सूरज की रोशनी में रहने के बाद आपकी आंखें सामान्य रूप काम करने लगती हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है जब कोई भी व्यक्ति जिसकी आंखें स्वस्थ हैं वो तेज रोशनी में अचानक जाता है तो ऐसा होता है। लेकिन जब आपकी आंखों में कोई समस्या होती है या आंखें रोशनी के प्रति सेंसिटिव होती हैं तो आपको कई दिक्कतें हो सकती हैं। ठीक इसी प्रकार अगर आप लगातार काफी समय के लिए रोजाना सूरज की तेज रोशनी में काम करते हैं या रहते हैं तो इसकी वजह से आपकी आंखों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। दरअसल सूरज की रोशनी में अल्ट्रावायलेट किरण (UV Light Exposure) सेहत के लिए नुकसानदायक मानी जाती हैं। ये यूवी एक्सपोजर आंखों से जुड़ी तमाम बीमारियों का कारण बन सकता है। यूवी एक्सपोजर आंखों से जुड़ी इन 5 बीमारियों का कारण बन सकता है। आइये जानते हैं इनके लक्षण और बचाव के तरीके के बारे में।
आंखों पर अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव (UV Light Exposure to Eyes)
अल्ट्रावायलेट किरणों के कारण आंखों से जुड़ी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अगर आप लगातार काफी दिनों के लिए तेज धूप में रहते हैं तो इसका प्रभाव आपकी आंखों पर देखने को मिल सकता है। सामान्य व्यक्ति जिसकी आंखें बिलकुल स्वस्थ हैं वह अगर ज्यादा दिनों के लिए यूवी किरणों के संपर्क में रहता है तो उसे भी कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। यूवी किरणों का एक्सपोजर आपकी आंखों को फोटोकेराटाइटिस, पिंग्यूकुला, पर्टिजियम, मोतियाबिंद और मैकुलर डिजनरेशन जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकता है। तेज रोशनी और यूवी किरणों से आंखों के ऊतकों और कॉर्निया तथा लेंस को भी नुकसान होता है। आज के समय में लोग आंखों की सेहत को लेकर उतने जागरूक नहीं हैं लेकिन आने वाले समय में यह समस्या और भी बढ़ सकती है। वैज्ञानिकों का माना है कि आने वाले समय में सूरज की पराबैंगनी किरणें धरती पर ज्यादा पड़ सकती हैं जिसके कारण आंखों के साथ-साथ स्किन से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं भी होंगी।
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सूरज की तेज रोशनी (यूवी एक्सपोजर) के कारण आंखों में होने वाली बीमारियां (Eye Conditions Associated with UV Light Exposure)
यूवी किरणों के ज्यादा संपर्क में रहने से आंखें प्रकाश के प्रति संवेदनशील भी हो सकती हैं और इसके अलावा आंखों में कई गंभीर बीमारियां भी पनप सकती हैं। अल्ट्रावायलेट किरणों या पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने से आंखों में होने वाली प्रमुख बीमारियां इस प्रकार हैं।
1. फोटोकेराटाइटिस (Photokeratitis)
सूरज की तेज रोशनी या यूवी किरणों के एक्सपोजर की वजह से होने वाली प्रमुख समस्या है फोटोकेराटाइटिस है। इस समस्या में कॉर्निया में सूजन हो जाती है जिसकी वजह से आंख के सामने स्पष्ट दिखने में समस्या होती है। फोटोकेराटाइटिस की समस्या में आंखों में लालिमा, नजर धुंधली होना और प्रकाश के प्रति सेंसिटिविटी और आंखों में हल्का दर्द हो सकता है। यह समस्या एक दिन लगातार यूवी किरणों के संपर्क में आने से भी हो सकती है। बीच या ढलान पर दिन भर धूप में रहने के कारण यह समस्या अक्सर लोगों में देखी जाती है। फोटोकेराटाइटिस को स्नो ब्लाइंडनेस भी कहा जाता है। यह आमतौर पर एक अस्थायी स्थिति है, लेकिन इस समस्या से निजात पाने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है। फोटोकेराटाइटिस की वजह से होने वाली बेचैनी से राहत के लिए कोल्ड कंप्रेस का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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2. पर्टिजियम (Pterygium)
लगातार सूरज की किरणों के संपर्क में बिना किसी सुरक्षा के रहने से आपको आंखों से जुड़ी गंभीर समस्या पर्टिजियम का सामना करना पड़ सकता है। इस समस्या में आपकी आंख के सामने के हिस्से से कॉर्निया पर एक पिंग्यूकुला विकसित हो जाता है। आंख के सफेद भाग से लेकर कॉर्निया तक यह बढ़ता रहता है। इसकी वजह से कॉर्निया पर निशान भी पड़ जाते हैं और इसकी वजह से आके चलकर आपकी दृष्टि भी खराब हो सकती है। पर्टिजियम की स्थिति गंभीर होने या इसके बढ़ते रहने पर आपको सर्जरी की आवश्यकता होती है। शुरुआत में इसकी पहचान कर आप दवाओं का सेवन कर इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं लेकिन जब यह समस्या फैल जाती है तो सर्जरी ही एकमात्र उपाय होता है।
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3. पिंग्यूकुला (Pinguecula)
लगातार तेज धूप और यूवी किरणों के संपर्क में रहने के कारण आपको पिंग्यूकुला की समस्या हो सकती है। इस बीमारी में आपकी आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचते हैं। इस समस्या में कंजंक्टिवा के भीतर एक सफेद या पीले रंग की परत सी बनने लगती है जिसे जिलेटिनस परत कहा जाता है। यह परत धीरे-धीरे आपकी आंख के सफेद हिस्से को ढकने लगती है। अधिक धूप वाले शुष्क, रेतीले और धूल-मिट्टी भरे वातावरण में रहने वाले लोगों को यह समस्या सबसे ज्यादा होती है। ऐसी जगहों पर बिना सुरक्षा के जाने से आपको भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। पिंग्यूकुला में आपकी आंखों में लाली, पानी निकलना और आंखों हल्का दर्द भी हो सकता है।

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4. मोतियाबिंद (Cataract)
सालों तक लगातार सूरज की तेज रोशनी में रहने के कारण आपको मोतियाबिंद की समस्या हो सकती है। जब आप बिना किसी सुरक्षा के धूप में लगातार काम करते हैं तो आपको यूवी किरणों के संपर्क में आने से आंखों से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा हो जाता है। बिना किसी सुरक्षा के यूवी किरणों के लगातार संपर्क में आने की वजह से मोतियाबिंद हो सकता है। हालांकि मोतियाबिंद की समस्या कई कारणों से होती है लेकिन लगातार काफी समय तक धूप में रहना भी इसका एक कारण है। मोतियाबिंद की समस्या से बचने के लिए आपको हरी पत्तेदार सब्जियां, फल और एंटीऑक्सीडेंट का खूब सेवन करना चाहिए। इस समस्या में दूरबीन विधि द्वारा सर्जरी कर इलाज किया जाता है।
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5. मैकुलर डिजनरेशन (Macular Degeneration)
लंबे समय तक तेज धूप और यूवी किरणों के संपर्क में रहने से आप मैकुलर डिजनरेशन की समस्या का शिकार हो सकते हैं। इस समस्या में रेटिना के ऊतकों को गंभीर नुकसान होता है। हमारी आंख के भीतर एक बहुस्तरीय परत होती है जिसे रेटिना कहा जाता है। रेटिना के पास के क्षेत्र को मैक्युला कहते है। इन जगहों के प्रभावित होने के कारण आंखों की नजर कमजोर होती है और इसके साथ ही कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। शुरुआत में इस समस्या के कारण आंखों में धब्बे पड़ने लगते हैं और नजर कमजोर होने लगती है। धीरे-धीरे इस समस्या के बढ़ने के कारण आपकी नजर पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
यूवी किरणों से आंखों को बचाने के उपाय (How to Protect Eyes from UV Light Exposure?)
सूरज की तेज रोशनी और अल्ट्रावायलेट किरणों से आंखों को बचाने के लिए आप इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
- अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए बाहर निकलते समय हमेशा धूप का चश्मा (यूवी 400) पहनें।
 - आंखों पर सीधी धूप पड़ने से बचाने के कैप पहनें।
 - सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच धूप में जाने से बचें।
 - आंखों के लिए फायदेमंद आहार का सेवन करें।
 - आंखों में किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर एक्सपर्ट डॉक्टर से संपर्क करें।
 
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इन उपायों को अपनाकर आप धूप और यूवी किरणों के कारण आंखों में होने वाली समस्याओं से बच सकते हैं। आंखों से जुड़ी किसी भी समस्या में खुद से किसी भी प्रकार की दवा का सेवन या आंखों में ड्राप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हमेशा एक्सपर्ट चिकित्सक की सलाह के बाद ही इनका इस्तेमाल करें।
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