
Is influenza life-threatening: हर साल मौसम बदलते ही बुखार, खांसी, जुकाम और बदन दर्द के साथ इंफ्लुएंजा (फ्लू) दस्तक दे देता है। ज्यादातर लोग इसे आम वायरल समझकर दो-तीन दिन में ठीक होने वाली बीमारी मान लेते हैं और बिना डॉक्टर से सलाह लिए दवाइयां लेने लगते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही दिखने में साधारण लगने वाला फ्लू कई बार अस्पताल तक पहुंचा सकता है और जान पर भी बन आ सकती है? हाल ही में मीडिया रिपोर्टस में दावा किया जा रहा है कि अमेरिका के अलबामा शहर में 11 साल के बच्चे की फ्लू इंफेक्शन से मौत हो गई है। इस लेख में यशोदा हॉस्पिटल, हैदराबाद के सीनियर कंसल्टेंट जनरल फिजिशियन, डॉ. के. शशि किरण (Dr. K. Seshi Kiran, Senior Consultant General Physician, Yashoda Hospitals, Hyderabad) से जानिए, क्या इंफ्लुएंजा से मौत हो सकती है?
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क्या इंफ्लुएंजा से मौत हो सकती है? - Is influenza life-threatening
डॉ. के. शशि किरण बताते हैं कि अधिकांश स्वस्थ लोगों में इंफ्लुएंजा के लक्षण एक से दो हफ्तों में ठीक हो जाते हैं। बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर दर्द और थकान इसके सामान्य लक्षण हैं लेकिन कुछ मामलों में फ्लू गंभीर रूप ले सकता है और निमोनिया, सांस लेने में दिक्कत या शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है। डॉ. शशि किरण बताते हैं कि फ्लू मौजूदा बीमारियों को और बिगाड़ सकता है, जिससे मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है।
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हालांकि, इंफ्लुएंजा आमतौर पर कमजोर या बीमार लोगों में ज्यादा खतरनाक होता है, लेकिन डॉ. शशि किरण के अनुसार कुछ मामलों में पूरी तरह हेल्दी व्यक्ति में भी फ्लू गंभीर रूप ले सकता है। अचानक तेज बुखार, सांस की तकलीफ या फेफड़ों में संक्रमण होने पर स्थिति जानलेवा बन सकती है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को फ्लू के लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
- जिन लोगों को अस्थमा या सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) जैसी पुरानी फेफड़ों की बीमारी है, उनमें फ्लू सांस की तकलीफ को गंभीर बना सकता है।
- इसी तरह डायबिटीज, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, किडनी, लिवर या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में फ्लू की जटिलताएं ज्यादा देखी जाती हैं।
- उम्र इंफ्लुएंजा की गंभीरता में अहम भूमिका निभाती है। पांच साल से कम उम्र के बच्चे और 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग फ्लू की चपेट में आने पर जल्दी गंभीर बीमार हो सकते हैं।
- बच्चों में इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होता, जबकि बुजुर्गों में इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। यही कारण है कि इन आयु वर्गों में फ्लू से अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु का खतरा ज्यादा रहता है।
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प्रेग्नेंट महिलाओं पर असर
प्रेग्नेंट महिलाएं और प्रसव के बाद दो हफ्ते तक का समय भी फ्लू के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। हार्मोनल बदलाव और इम्यून सिस्टम में परिवर्तन के कारण उनमें जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।

फ्लू से बचाव के लिए क्या करें? - How can you protect yourself from the flu
इंफ्लुएंजा से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका सालाना फ्लू वैक्सीनेशन है, खासकर हाई-रिस्क ग्रुप के लोगों के लिए। इसके साथ ही हाथों की साफ-सफाई, खांसते-छींकते समय मुंह ढकना, भीड़भाड़ से बचना और बीमार होने पर आराम करना बेहद जरूरी है। समय पर डॉक्टर से सलाह लेने से गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है।
निष्कर्ष
इंफ्लुएंजा एक सामान्य वायरल इंफेक्शन जरूर है, लेकिन यह हर किसी के लिए हल्का नहीं होता। सही समय पर पहचान, सतर्कता और बचाव के उपाय अपनाकर फ्लू से होने वाली गंभीर समस्याओं, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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FAQ
इन्फ्लुएंजा होने का क्या कारण है?
इन्फ्लुएंजा एक वायरल श्वसन संक्रमण है, जो इन्फ्लुएंजा वायरस के कारण होता है। यह नाक, गला और फेफड़ों को प्रभावित करता है और तेजी से फैलता है।फ्लू का टीका कब लगवाना चाहिए?
सालाना फ्लू वैक्सीन इन्फ्लुएंजा से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है और गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने व मृत्यु के खतरे को कम करता है।फ्लू होने पर कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए?
अगर तेज बुखार लंबे समय तक रहे, सांस लेने में दिक्कत हो, सीने में दर्द, चक्कर या ज्यादा कमजोरी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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Dec 30, 2025 13:13 IST
Published By : Akanksha Tiwari
