भारत में सुबह उठते ही बच्चों को दूध का गिलास, पढ़ाई से लौटे छात्रों को एनर्जी के लिए दूध और बुजुर्गों को हड्डियों की मजबूती के लिए दूध पिलाना हमारे खानपान की परंपरा का हिस्सा रहा है। यहां तक कि जब बच्चा ठोस आहार शुरू करता है, तो मां अक्सर पूछती है कि क्या बच्चे ने दूध पिया? यानी दूध को पोषण का दूसरा नाम मान लिया गया है। लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि क्या सचमुच हर उम्र में दूध पीना जरूरी है? या यह सिर्फ बचपन तक ही सीमित होना चाहिए? दरअसल, दूध में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन्स और फॉस्फोरस जैसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के विकास और सेहत के लिए बेहद अहम हैं।
हालांकि आजकल कई लोग दूध न पीने के विकल्प तलाश रहे हैं। कुछ लोगों को लैक्टोज इंटॉलरेंस होता है, जिसकी वजह से दूध पीने पर गैस, पेट दर्द या दस्त की समस्या होती है। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि हरी सब्जियां, दही, पनीर, तिल या सोया जैसे विकल्पों से भी उतना ही पोषण मिल सकता है। यही कारण है कि यह बहस अक्सर सुनने को मिलती है कि क्या हर उम्र में दूध पीना जरूरी है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने, दिल्ली की क्लिनिकल डाइटिशियन और न्यूट्रिशनिस्ट रक्षिता मेहरा (Rakshita Mehra, Clinical Dietitian and Nutritionist, Delhi) से बात की-
क्या हर उम्र में दूध पीना जरूरी है? - Is Drinking Milk Necessary At Every Age
डाइटिशियन और न्यूट्रिशनिस्ट रक्षिता मेहरा कहती हैं, ''दूध एक बेहतरीन पोषण का सोर्स है, लेकिन हर उम्र में इसकी जरूरत अलग-अलग होती है। अगर किसी को दूध पचाने में समस्या है तो जबरदस्ती पीने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसके अन्य विकल्प अपनाए जा सकते हैं।'' डाइटिशियन के अनुसार, बच्चों के लिए दूध बेहद जरूरी है क्योंकि इसमें मौजूद कैल्शियम और प्रोटीन उनकी ग्रोथ, हड्डियों की मजबूती और दिमागी विकास में मदद करते हैं। छोटे बच्चों को रोजाना कम से कम 300–400 मिलीलीटर दूध दिया जाना चाहिए। यह उनकी इम्यूनिटी को भी सपोर्ट करता है और लंबाई के साथ-साथ हड्डियों के विकास में सहायक होता है।
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किशोरावस्था में दूध
टीनएज में शरीर तेजी से बदलता है। इस दौरान बोन डेंसिटी मजबूत करना बेहद जरूरी होता है ताकि भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाव हो सके। रक्षिता मेहरा बताती हैं, ''लड़कियों के लिए खासतौर पर टीनएज में दूध का सेवन करना जरूरी है क्योंकि मेनोपॉज के बाद कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। अगर किशोरावस्था से ही दूध पीने की आदत हो, तो आगे चलकर शरीर मजबूत रहता है।''
'टीनएज में दूध
वयस्क अवस्था में दूध जरूरी तो है, लेकिन अनिवार्य नहीं। इस उम्र में यदि बैलेंस डाइट ली जा रही है, जिसमें हरी सब्जियां, दालें, दही, पनीर, तिल और सोयाबीन शामिल हों, तो दूध न पीने पर भी पोषण की कमी नहीं होगी। हालांकि दूध पीने से जल्दी एनर्जी मिलती है।
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बुजुर्गों के लिए दूध
डाइटिशियन रक्षिता मेहरा कहती हैं, ''बुजुर्गों को दिन में एक गिलास दूध जरूर लेना चाहिए। इससे कैल्शियम और विटामिन D की कमी पूरी होती है और नींद भी अच्छी आती है।''
दूध का सेवन कब नहीं करना चाहिए? - Who must not drink milk
हर किसी के लिए दूध लाभकारी नहीं होता। लैक्टोज इंटॉलरेंस वाले लोगों को दूध पीने के बाद पेट दर्द, गैस या दस्त की समस्या हो सकती है। ऐसे लोग लैक्टोज-फ्री दूध या बादाम, सोया और ओट्स मिल्क का विकल्प अपना सकते हैं। इसी तरह, जिन लोगों को किडनी की समस्या है, उन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना ज्यादा दूध नहीं लेना चाहिए क्योंकि इसमें मौजूद प्रोटीन और फॉस्फोरस किडनी पर दबाव डाल सकते हैं।
निष्कर्ष
दूध पीना हर उम्र में फायदेमंद है, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं कहा जा सकता। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह ज्यादा जरूरी है, जबकि युवाओं और वयस्कों के लिए बैलेंस डाइट पर्याप्त हो सकती है। अगर दूध शरीर को सूट करता है तो रोजाना एक से दो गिलास पीना अच्छा है, लेकिन यदि समस्या होती है तो विकल्पों का सहारा लिया जा सकता है।
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FAQ
अगर दूध पचता नहीं है तो क्या करें?
जिन लोगों को दूध नहीं पचता या जिन्हें लैक्टोज इंटॉलरेंस है, वे लैक्टोज-फ्री दूध या बादाम, सोया, ओट्स मिल्क जैसे विकल्प चुन सकते हैं।दूध पीने का सबसे सही समय कौन सा है?
रात को गर्म दूध पीना सबसे अच्छा माना जाता है। यह नींद में सुधार करता है और पाचन तंत्र को संतुलित रखता है। हालांकि जिन लोगों को दूध पीने के बाद भारीपन या एसिडिटी की समस्या होती है, उन्हें दिन में हल्की मात्रा में लेना चाहिए।दूध का सबसे अच्छा विकल्प क्या है?
लैक्टोज-फ्री दूध, बादाम दूध, सोया दूध या ओट्स मिल्क अच्छे विकल्प हैं।