
शरीर की मांसपेशियों को सपोर्ट देने और एक्टिव बनाए रखने के लिए बोन हेल्थ का ठीक होना बेहद आवश्यक होता है। लेकिन, आज के दौर में देर रात तक कम करने और भोजन में पौष्टिक चीजों को शामिल न करने की वजह से युवा हो या बुजुर्ग सभी को हड्डियों से जुड़ी बीमारियां का जोखिम बढ़ गया है। डाइट में कैल्शिम, आयरन और अन्य मिनरल्स की कमी के साथ ही पर्याप्त समय धूप में न बैठने की वजह से लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी देखने को मिलती है। यह विटामिन कैल्शियम के अवशोषण में सहायक होता है। लेकिन, बीते कुछ सालों से लोगों में हड्डियों से जुड़ी समस्याओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। कमजोर हड्डियां फ्रैक्चर, ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis), जोड़ों में दर्द और चलने-फिरने में कठिनाई जैसे गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। ऐसे में लोगों को समय रहते सतर्क होना आवश्यक है। इस लेख में वेव क्योर सेंटर के ऑर्थोपैडिक सीनियर कंसल्टेंट डॉ अंकित पाठक से जानते हैं कि हड्डियों की जांच के लिए आपको कौन से टेस्ट कराने की आवश्यकता (Important Bone Health Tests) होती है।
हड्डियों की सेहत जांचने वाले प्रमुख टेस्ट - Important Tests for Bone Health In Hindi
डेक्सा स्कैन (DEXA Scan या Bone Densitometry)
बोन की डेंसिटी की जांच के लिए यह टेस्ट किया जाता है। DEXA (Dual-Energy X-ray Absorptiometry) एक तरह की एक्सरे तकनीक है, जिससे मालूम चलता है कि हड्डियों में कैल्शियम व अन्य मिनरल्स की क्या स्थिति है। ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों के पतले होने की पहचान करने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। 50 से अधिक उम्र की महिलाओं और 60 से अधिक उम्र के पुरुषो के लिए यह टेस्ट किया जाता है। इसके कराते समय व्यक्ति को पीठ के बल लेटाकर मशीन के जरिए स्कैन किया जाता है।

सीरम कैल्शियम टेस्ट (Serum Calcium Test)
यह ब्लड टेस्ट शरीर में मौजूद कैल्शियम की मात्रा को मापता है। कैल्शियम हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी मिनरल्स होता है, इसकी कमी हड्डियों को कमजोर और खोखला बना सकती है। इस टेस्ट से हाइपो या हाइपरकैल्सीमिया की पहचान की जाती है।
विटामिन D टेस्ट
शरीर में विटामिन डी के स्तर की जांच के लिए रक्त सैंपल को लेकर जांच की जाती है। विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण के लिए मददगार होता है। विटामिन D की कमी से हड्डियां कमजोर होती हैं। इसकी वजह से बच्चों में रिकेट्स और बड़ों में ऑस्टियोमलेशिया की समस्या हो सकती है। यदि किसी बच्चे या बुजुर्ग को बार-बार फ्रैक्चर हो रहा हो या हड्डियों में दर्द की शिकायत हो तो यह टेस्ट किया जाता है।
फॉस्फेट टेस्ट (Serum Phosphorus Test)
यह शरीर में फॉस्फोरस की मात्रा को मापता है, जो हड्डियों और दांतों के निर्माण में सहायक होता है। दरअसल, यह कैल्शियम के साथ मिलकर यह हड्डियों की मजबूती बढ़ाता है। लेकिन, जब शरीर में इसकी कमी या अधिकता होती है तो इससे हड्डियों में समस्या हो सकती है।
पीटीएच टेस्ट (Parathyroid Hormone Test)
यह टेस्ट पेराथायरॉयड ग्रंथि द्वारा उत्पादित हार्मोन की जांच करता है जो शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस के संतुलन को नियंत्रित करता है। यदि पीटीएच असामान्य है तो यह हड्डियों से कैल्शियम खींचकर खून में भेज सकता है। यह हड्डियों को कमजोर करने का कारण बन सकता है।
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हड्डियों से जुड़ी समस्या से बचने के लिए आप नियमित रूप से योग करें. इसके अलावा, हरी सब्जियां, दूध, दही, छाछ, का सेवन करें। साथ ही कम से कम 20 मिनट धूप में अवश्य बैठें। इससे हड्डियों का कमजोर होना कम होगा। साथ ही, डॉक्टर के बताए हुए सप्लीमेंट्स का नियमित रूप से सेवन करें। हर महिला व पुरुष को 50 की आयु के बाद इन टेस्ट्स को अवश्य कराना चाहिए।
FAQ
क्या हड्डियों की कमजोरी केवल बुजुर्गों को होती है?
नहीं, यह युवाओं और बच्चों को भी हो सकती है अगर आहार और जीवनशैली सही न हो।क्या डेक्सा स्कैन दर्द देता है?
नहीं, यह एक बिल्कुल दर्दरहित और सुरक्षित टेस्ट है।हड्डियों को मजबूत करने के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्व कौन से हैं?
कैल्शियम, विटामिन D, फॉस्फोरस और प्रोटीन हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
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