
प्रेग्नेंसी का समय हर महिला के लिए बेहद खास होता है, यह न केवल भावनात्मक और मानसिक रूप से एक गहरा अनुभव होता है, बल्कि इस दौरान महिला के शरीर में कई तरह के शारीरिक बदलाव भी देखने को मिलते हैं। कुछ महिलाओं के लिए यह समय सहज होता है, जबकि कुछ को इस दौरान थकान, हार्मोनल असंतुलन, स्किन संबंधी समस्याएं और अन्य कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। प्रेग्नेंसी के दौरान सबसे आम शिकायतों में से एक है स्किन से जुड़ी समस्याएं। इस समय शरीर में हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का लेवल काफी बढ़ जाता है, जो सीधे तौर पर स्किन की प्रकृति को प्रभावित करता है। कुछ महिलाओं को इस दौरान चेहरे पर चमक दिखाई देती है, वहीं कुछ को एक्ने, खुजली, पिग्मेंटेशन और सेंसिटिव स्किन जैसी समस्याएं हो जाती हैं।
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इन्हीं समस्याओं में से एक है सूरज की रोशनी के प्रति स्किन का ज्यादा संवेदनशील हो जाना। बहुत-सी महिलाएं महसूस करती हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान थोड़ी देर धूप में निकलने पर भी उनकी स्किन पर टैनिंग, झाइयां या जलन हो जाती है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या सच में प्रेग्नेंसी के दौरान त्वचा सूरज के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाती है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने दिल्ली के आनंद निकेतन में स्थित गायनिका: एवरी वुमन मैटर क्लीनिक की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन (Dr. (Col.) Gunjan Malhotra Sarin, Senior Consultant, Obstetrics and Gynecologist, Gynecology: Every Woman Matters Clinic, located in Anand Niketan, Delhi) से बात की-
क्या प्रेग्नेंसी में स्किन ज्यादा सूरज के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है? - Does Pregnancy Make Your Skin More Sensitive To Sun
प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और MSH जैसे हार्मोनों का लेवल बढ़ जाता है। ये हार्मोन मेलानिन के उत्पादन को बढ़ा देते हैं। मेलानिन उत्पादन जितना अधिक होगा, त्वचा उतनी ही सूरज की किरणों के प्रति संवेदनशील हो जाएगी। यही कारण है कि प्रेग्नेंसी के दौरान हल्की सी धूप में भी स्किन पर टैनिंग, डार्क स्पॉट्स या झाइयां दिखने लगती हैं। सूरज से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट (UV) किरणें सामान्य स्थिति में भी स्किन को नुकसान पहुंचाती हैं। लेकिन जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है, तो इन किरणों का प्रभाव दोगुना हो जाता है। जिससे कुछ अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
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- झाइयां या डार्क पैच
- सनबर्न या स्किन का लाल पड़ जाना
- स्किन की खुजली या जलन
- स्किन पर ड्राईनेस और रैशेज
- उम्र बढ़ने के लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं
इन सबका सीधा कारण है बढ़ा हुआ हार्मोनल असंतुलन, और सूर्य की रोशनी से बढ़ता तनाव।
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कौन-सी महिलाएं अधिक प्रभावित होती हैं?
हर महिला को प्रेग्नेंसी में सूरज से एक जैसा असर नहीं होता। कुछ महिलाएं ज्यादा संवेदनशील होती हैं।
- जिनकी त्वचा पहले से ही गोरी या संवेदनशील हो
- जिन्हें पहले मेलास्मा हो चुका हो
- जो दिनभर बाहर काम करती हों
- जिनका प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोनल असंतुलन ज्यादा हो
- जिनका खानपान और स्किन केयर सही नहीं हो
सावधानी और बचाव के उपाय
अगर आप प्रेग्नेंट हैं और आपकी स्किन सूरज की रोशनी से ज्यादा प्रभावित हो रही है, तो घबराने की जरूरत नहीं है।
- गर्भावस्था के दौरान भी डॉक्टर की सलाह अनुसार स्किन पर कम से कम SPF 30 वाला ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन लगाना जरूरी है। बाहर निकलने से 15-20 मिनट पहले इसे लगाएं और हर 2-3 घंटे में दोबारा अप्लाई करें।
- सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 4 बजे तक सूर्य की किरणें सबसे तीव्र होती हैं। इस समय बाहर निकलने से बचें, और यदि जरूरी हो तो छाता, टोपी या स्कार्फ का उपयोग करें।
- हल्के, सूती और ढीले कपड़े पहनें जो आपकी त्वचा को कवर रखें। इससे UV किरणें सीधी त्वचा पर नहीं पड़ेंगी।
- पर्याप्त पानी पिएं और विटामिन C, विटामिन E और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर डाइट लें जो स्किन को सूरज से बचाने में मदद करते हैं।
- प्रेग्नेंसी में हार्मोनल संतुलन पहले से ही डिस्टर्ब होता है, ऐसे में हार्श केमिकल वाले स्किन प्रोडक्ट्स जैसे ब्लीच, स्किन लाइटनिंग क्रीम आदि से दूर रहें।
निष्कर्ष
प्रेग्नेंसी में स्किन की सूरज के प्रति संवेदनशीलता एक सामान्य लेकिन ध्यान देने वाली स्थिति है। हार्मोनल बदलाव इस समय स्किन को नाजुक बना देते हैं और अगर उचित देखभाल न की जाए तो धूप से त्वचा पर स्थायी असर हो सकता है। लेकिन थोड़ी सावधानी, सही खानपान और स्किन केयर रूटीन अपनाकर आप इस समस्या से बच सकती हैं।
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FAQ
प्रेग्नेंसी का पहला संकेत क्या है?
प्रेग्नेंसी का पहला संकेत आमतौर पर पीरियड्स का रुक जाना होता है। यदि किसी महिला का पीरियड नियमित रूप से आता है और अचानक बंद हो जाए, तो यह गर्भधारण का संकेत हो सकता है। इसके अलावा कुछ अन्य प्रारंभिक लक्षणों में मतली (खासकर सुबह के समय), थकान, स्तनों में कोमलता या भारीपन, बार-बार पेशाब आना, हल्का पेट दर्द या ऐंठन और मूड में बदलाव शामिल हैं। कुछ महिलाओं को हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग भी हो सकती है, जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहा जाता है।क्या लड़कियों के प्राइवेट पार्ट का काला होना सामान्य है?
हां, लड़कियों या महिलाओं के प्राइवेट पार्ट का काला या गहरा रंग होना पूरी तरह से सामान्य है। शरीर के इस हिस्से की स्किन में ज्यादा मेलानिन होता है, जिससे इसका रंग गहरा होता है। हार्मोनल बदलाव, उम्र, रगड़, हेयर रिमूवल, टाइट कपड़े पहनना या प्रेग्नेंसी जैसे कारणों से यह रंग और भी गहरा हो सकता है। यह कोई बीमारी या अस्वस्थता का संकेत नहीं है। हर महिला के शरीर में रंग और बनावट अलग-अलग होती है, इसलिए इसके बारे में चिंता करना जरूरी नहीं है।प्रेग्नेंसी के दौरान क्या खाना चाहिए?
प्रेग्नेंसी के दौरान संतुलित और पौष्टिक डाइट लेना बहुत जरूरी होता है, ताकि मां और बच्चे दोनों का सही विकास हो सके। इस दौरान फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन्स से भरपूर भोजन करना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें, फल, दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स, अंडा, सूखे मेवे, साबुत अनाज और नारियल पानी फायदेमंद होते हैं। खूब पानी पीना और हाइड्रेटेड रहना जरूरी है। जंक फूड, ज्यादा तला-भुना, कैफीन और कच्चे या अधपके फूड्स से बचना चाहिए। डॉक्टर की सलाह अनुसार सप्लीमेंट्स भी लेना चाहिए।
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Dec 19, 2025 11:50 IST
Modified By : Akanksha TiwariDec 19, 2025 11:50 IST
Published By : Akanksha Tiwari