
बच्चों का मस्तिष्क उनके विकास का सबसे नाजुक और जरूरी हिस्सा होता है। इस उम्र में उनका सीखने का कौशल, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और याददाश्त, सब कुछ तेजी से विकसित होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ अच्छी पढ़ाई और खेल-कूद ही नहीं, बल्कि सही पोषण भी बच्चों की सीखने की क्षमता पर गहरा असर डालता है? खासकर आयरन, जो बच्चों के स्वास्थ्य और मस्तिष्क के विकास के लिए बेहद जरूरी है। नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डी. श्रीकांत बताते हैं कि आयरन की कमी बच्चों में थकान, सुस्ती और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है। इस लेख में हैदराबाद के यशोदा अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ एवं नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डी. श्रीकांत (Dr. D. Srikanth, Sr. Consultant Pediatrician & Neonatologist, Yashoda Hospitals, Hyderabad) से जानिए, क्या बच्चों में आयरन की कमी से पढ़ाई पर असर पड़ता है?
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क्या बच्चों में आयरन की कमी से पढ़ाई पर असर पड़ता है? - Does low iron affect learning in kids
नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डी. श्रीकांत बताते हैं कि आयरन की कमी, खासकर बच्चों में, सीखने की क्षमता, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और याददाश्त को प्रभावित कर सकती है। डॉ. श्रीकांत के अनुसार, आयरन का सबसे अहम रोल ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट में होता है। आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल कम हो जाता है, जिससे मस्तिष्क तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी बच्चों के न्यूरोलॉजिकल डेवलपमेंट को धीमा कर सकती है। विशेषकर 2-6 साल की उम्र में, जब बच्चों का मस्तिष्क तेजी से विकास कर रहा होता है, लो आयरन का असर सीखने की क्षमता पर सीधे दिखाई देता है।
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1. ध्यान और फोकस पर असर
आयरन की कमी से बच्चों में थकान, सुस्ती और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई देखने को मिलती है। डॉ. श्रीकांत बताते हैं कि ऐसे बच्चों में पढ़ाई के दौरान ध्यान भटकना, कम समझ पाना और होमवर्क या एक्टिविटी में रुचि कम होना आम समस्या होती है। आयरन मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर, जैसे डोपामाइन और सेरोटोनिन के निर्माण में मदद करता है। इन न्यूरोट्रांसमीटर का लेवल कम होने से बच्चों में इमोशनल और कॉग्निटिव डेवलपमेंट प्रभावित होता है।
2. मेमोरी और सीखने पर असर
आयरन की कमी वाले बच्चों की वर्किंग मेमोरी और कॉग्निटिव फंक्शन सामान्य बच्चों की तुलना में कमजोर हो सकते हैं। डॉ. श्रीकांत के अनुसार, लो आयरन से मस्तिष्क पर असर पड़ता है, जो बच्चों की रीडिंग, राइटिंग और प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स के लिए जरूरी होते हैं।
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बच्चों में आयरन की कमी के लक्षण - Symptoms of Iron Deficiency in Children
डॉ. श्रीकांत कहते हैं कि पैरेंट्स को बच्चों में लो आयरन की शुरुआती पहचान करना जरूरी है। इसके संकेत हो सकते हैं-
- थकान और कम एनर्जी
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- चेहरे या होंठों का फीका होना
- बाल और नाखून कमजोर होना
- भूख में कमी
यदि ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो बच्चों में सीखने की क्षमता पर असर पड़ सकता है।

डॉक्टर की सलाह
आयरन की कमी को दूर करने के लिए सबसे पहले डाइट में बदलाव करना जरूरी है। डॉ. श्रीकांत बताते हैं कि आयरन से भरपूर डाइट जैसे पालक, मूंगफली, चुकंदर, चिकन और दालें बच्चों के लिए फायदेमंद हैं। इसके साथ ही, विटामिन C युक्त फल, जैसे संतरा, अमरूद, स्ट्रॉबेरी आयरन के अवशोषण को बढ़ाते हैं। डॉ. श्रीकांत सलाह देते हैं कि अगर डाइट से पर्याप्त आयरन नहीं मिल पा रहा है, तो डॉक्टर की सलाह से आयरन सप्लीमेंट भी दिया जा सकता है लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि सप्लीमेंट बिना डॉक्टर की सलाह के न दें, क्योंकि अधिक आयरन से पेट की समस्या या अन्य साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
निष्कर्ष
आयरन सिर्फ बच्चों के शारीरिक विकास के लिए नहीं, बल्कि उनकी सीखने की क्षमता और मानसिक विकास के लिए भी जरूरी है। नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डी. श्रीकांत की सलाह है कि माता-पिता बच्चों की डाइट और हेल्थ पर विशेष ध्यान दें। नियमित चेकअप, आयरन से भरपूर डाइट और जरूरी सप्लीमेंटेशन से बच्चे न केवल हेल्दी रहेंगे बल्कि उनका सीखने का लेवल भी बेहतर होगा।
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Dec 03, 2025 08:02 IST
Published By : Akanksha Tiwari