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रात में बार-बार उठना महिलाओं की पीरियड साइकिल को कर रहा है खराब? जानें डॉक्टर की राय

नींद सिर्फ शरीर को आराम देने का साधन नहीं है बल्कि यह हार्मोनल हेल्थ, मानसिक संतुलन और फर्टिलिटी को भी सीधे प्रभावित करती है। यहां जानिए, क्या रात में बार-बार जगने से महिलाओं की पीरियड साइकिल गड़बड़ा सकती है?
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रात में बार-बार उठना महिलाओं की पीरियड साइकिल को कर रहा है खराब? जानें डॉक्टर की राय


आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाओं की नींद पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। देर रात तक मोबाइल चलाना, ऑफिस का काम पूरा करना, बच्चे और परिवार की जिम्मेदारियां, ये सब नींद के चक्र को तोड़ते हैं। नतीजा यह होता है कि शरीर को जरूरी आराम नहीं मिल पाता और हार्मोनल संतुलन बिगड़ने लगता है। बार-बार नींद टूटना मेलाटोनिन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स को प्रभावित करता है, जो मासिक धर्म को कंट्रोल करते हैं। महिलाओं को अक्सर लगता है कि उनकी पीरियड साइकिल के बिगड़ने की वजह केवल हार्मोनल बदलाव, तनाव या खानपान की गड़बड़ी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी नींद की क्वालिटी भी आपके मासिक धर्म पर असर डाल सकती है? खासतौर पर जब रात में बार-बार नींद टूटे या बीच-बीच में जागने की आदत हो, तो इसका सीधा असर पीरियड्स पर पड़ सकता है। इस लेख में दिल्ली के आनंद निकेतन में स्थित गायनिका: एवरी वुमन मैटर क्लीनिक की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन (Dr. (Col.) Gunjan Malhotra Sarin, Senior Consultant, Obstetrics and Gynecologist, Gynecology: Every Woman Matters Clinic, located in Anand Niketan, Delhi) से जानिए, क्या रात में बार-बार जगने से महिलाओं की पीरियड साइकिल गड़बड़ा सकती है?

क्या रात में बार-बार जगने से महिलाओं की पीरियड साइकिल गड़बड़ा सकती है? - Does Disturbed Sleep Affect Women Period Cycle

डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन बताती हैं कि नींद सिर्फ शरीर को आराम देने का साधन नहीं है बल्कि यह हार्मोनल हेल्थ, मानसिक संतुलन और फर्टिलिटी को भी सीधे प्रभावित करती है। खासतौर पर महिलाओं में नींद का सीधा असर पीरियड साइकिल यानी मासिक धर्म पर देखा गया है। अगर कोई महिला लगातार रात में बार-बार उठती है या उसे गहरी नींद नहीं आती, तो इसका असर उसके हार्मोन और मासिक चक्र पर पड़ सकता है।

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महिलाओं का मासिक धर्म पूरी तरह से हार्मोनल बदलाव पर आधारित होता है। नींद के दौरान शरीर में मेलाटोनिन और कॉर्टिसोल जैसे हार्मोन का लेवल संतुलित होता है। साथ ही, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे प्रजनन हार्मोन भी नींद से प्रभावित होते हैं। जब नींद बार-बार टूटती है, तो इन हार्मोन का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे पीरियड साइकिल अनियमित होने की संभावना बढ़ जाती है।

  • नींद का हार्मोन मेलाटोनिन फर्टिलिटी के लिए अहम है। लगातार नींद में खलल होने पर इसका लेवल कम हो सकता है।
  • बार-बार जागने से शरीर तनाव की स्थिति में चला जाता है। कॉर्टिसोल बढ़ने पर ओव्यूलेशन प्रभावित हो सकता है।
  • नींद की कमी इन हार्मोन्स को डिस्टर्ब करती है, जिससे पीरियड्स समय से पहले या देर से आ सकते हैं।
  • खराब नींद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटाती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है।

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sleep affect women period cycle

रिसर्च के अनुसार

कई रिसर्च यह साबित कर चुकी हैं कि जो महिलाएं शिफ्ट वर्क (जैसे नाइट ड्यूटी) करती हैं, उनमें मासिक धर्म अनियमित होने और फर्टिलिटी पर असर पड़ने का खतरा ज्यादा होता है। नींद का पैटर्न बिगड़ने से महिलाओं में हार्मोनल डिसऑर्डर जैसे पीसीओएस (PCOS) और अनियमित पीरियड्स का जोखिम बढ़ जाता है।

निष्कर्ष

रात में बार-बार जगना सिर्फ थकान और सुस्ती का कारण नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की पीरियड साइकिल को भी बिगाड़ सकता है। इसलिए अगर आप चाहती हैं कि आपका पीरियड चक्र नियमित रहे, तो गहरी और सुकून भरी नींद लेना जरूरी है। सही लाइफस्टाइल, बैलेंस डाइट और समय पर सोने-जागने की आदत इस दिशा में बड़ा बदलाव ला सकती है।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • रात में जागने से कौन-से हार्मोन सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं?

    मेलाटोनिन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन नींद से गहराई से जुड़े हैं। इनके असंतुलन से मासिक धर्म में गड़बड़ी आ सकती है।
  • क्या केवल दवाइयां लेकर पीरियड अनियमितता को ठीक किया जा सकता है?

    दवाइयां केवल अस्थायी राहत देती हैं। स्थायी सुधार के लिए नींद की क्वालिटी, डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी है।
  • अगर नींद की समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो क्या करना चाहिए?

    अगर लगातार अनिद्रा या रात में बार-बार नींद टूटने की समस्या बनी रहती है और पीरियड्स भी अनियमित हो रहे हैं, तो गायनेकोलॉजिस्ट या स्लीप स्पेशलिस्ट से सलाह लेना जरूरी है।

 

 

 

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  • Current Version

  • Sep 18, 2025 15:42 IST

    Published By : आकांक्षा तिवारी

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