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Pcos और Pcod में पीरियड साइकिल को ट्रैक करना क्यों जरूरी है? जानें डॉक्टर से

इर्रेगुलर पीरियड्स पीसीओएस और पीसीओडी से भी जुड़े होते हैं। जानें ऐसे में पीरियड साइकिल ट्रैक करना किस तरह फायदेमंद हो सकता है।
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Pcos और Pcod में पीरियड साइकिल को ट्रैक करना क्यों जरूरी है? जानें डॉक्टर से

How Does PCOS Affect the Menstrual Cycle: पीरियड्स इर्रेगुलर होने के कई कारण होते हैं। पोषक तत्वों की कमी, ज्यादा तनाव लेने या किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण पीरियड्स इर्रेगुलर हो सकते हैं। इनके अलावा, पीसीओएस और पीसीओडी जैसी समस्याओं में भी पीरियड्स इर्रेगुलर रहते हैं। ये हार्मोनल इंबैलेंस से जुड़ी समस्याएं हैं जिस कारण ओवरी में सिस्ट हो जाते हैं। ओवरी में सिस्ट होने के कारण एग फर्टिलाइज होकर पीरियड्स नहीं ला पाते हैं। इसके कारण पीरियड्स इर्रेगुलर रहने लगते हैं। जिन लोगों को पीसीओएस या पीसीओडी होता है, उनकी पीरियड्स की डेट फिक्स नहीं होती है। कभी उन्हें पीरियड्स में कम ब्लीडिंग होती है तो कभी ज्यादा ब्लीडिंग होती है। ऐसे में एक्सपर्ट्स पीरियड्स साइकिल को ट्रैक करने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं पीसीओएस और पीसीओडी में पीरियड साइकिल को ट्रैक करना क्यों फायदेमंद है? इस बारे में जानने के लिए हमने बात कि मैक्स हॉस्पिटल (गुरुग्राम) की एसोसिएट डायरेक्टर और ऑरा स्पेशलिटी क्लिनिक (गुरुग्राम) की डायरेक्टर डॉ रितु सेठी (गायनेकोलॉजिस्ट और आब्स्टेट्रिशन) से।

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पीसीओएस या पीसीओडी में पीरियड साइकिल को ट्रैक करना क्यों जरूरी है? Importance To Track Period Cycle In Pcos and Pcod

पैटर्न को समझना आसान होता है

पीसीओएस या पीसीओडी दोनों ही हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या है। इनमें पीरियड्स इर्रेगुलर रहने या मिस होने जैसी समस्याएं होती हैं। पीरियड साइकिल को ट्रैक करने से पीरियड्स को ट्रैक करने में मदद मिलती है। इससे पीरियड्स की डेट याद रखने और पीरियड साइकिल के बदलने पैटर्न को समझना आसान होता है।

ओव्यूलेशन समझना आसान होता है

पीसीओएस या पीसीओडी में ओव्यूलेशन में रूकावट आती है। लेकिन पीरियड साइकिल को ट्रैक करते रहने से ओव्यूलेशन को ट्रैक करने में भी मदद मिलती है। इससे आप समझ पाते हैं कि आपको एग रिलीज हो रहे हैं या नहीं। जो महिलाएं कंसीव करने की कोशिश कर रही हैं उनके लिए यह बहुत जरूरी है।

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ट्रीटमेंट में मदद मिलती है

इन हार्मोनल इंबैलेंस के लिए ट्रीटमेंट लेने की जरूरत होती है। इसके लिए कई लोग बर्थ कंट्रोल पिल्स या हार्मोन्स बैलेंस पिल्स लेते हैं। इन दवाओं से हार्मोन्स को बैलेंस करने और पीरियड्स को रेगुलर रखने में मदद मिलती है। लेकिन ये बदलाव कितना असर कर रहे हैं इसे जानने के लिए पीरियड साइकिल को ट्रैक करते रहना जरूरी है।

लक्षणों को पहचानने में मदद मिलती है

इन समस्याओं में हैवी ब्लीडिंग, पेट दर्द, मूड स्विंग्स जैसे लक्षण नजर आते हैं। ये सभी लक्षण पीरियड साइकिल में हर बार अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन ट्रैकिंग से यह समझने में मदद मिलती है कि लक्षण कब ज्यादा बिगड़ते हैं और उन्हें कैसे कंट्रोल किया जा सकता है। इससे पीसीओएस या पीसीओडी से जुड़ी समस्याओं को समझने और उन्हें कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

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रिस्क फैक्टर समझने आसान होता है

अनियमित माहवारी के कारण डायबिटीज, एंडोमेट्रियल कैंसर और दिल से जुड़ी समस्याओं जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है। लेकिन ट्रैक करते रहने से इन जोखिमों से बचने और इलाज लेने में मदद मिलती है।

इन कारणों की वजह से पीरियड साइकिल को ट्रैक करने में मदद मिलती है। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो शेयर करना न भूलें।

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