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पीरियड्स के दौरान हार्मोन्स नींद को कैसे प्रभावित करते हैं? डॉक्टर से जानें

पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोन बदलाव होते हैं, जो नींद के पैटर्न को बदल सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं पीरियड हार्मोन नींद को कैसे प्रभावित करते हैं? 
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पीरियड्स के दौरान हार्मोन्स नींद को कैसे प्रभावित करते हैं? डॉक्टर से जानें


रोजाना कम से कम 7 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद हमारे सेहत के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। नींद पूरी न होने के कारण आपको स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। वहीं, महिलाओं में पीरियड्स के दौरान नींद की गड़बड़ी होने की समस्या काफी आम है। दरअसल, महिलाओं के शरीर में पूरी महीने हार्मोनल बदलाव होते रहते हैं, जो उनकी नींद को प्रभावित (Do Period Hormones Make It Hard To Sleep) कर सकते हैं, खासकर पीरियड्स से पहले और बाद के समय में। ऐसे में महिलाओं में हार्मोन और नींद के बीच के संबंध को समझने के लिए हमने मराठाहल्ली (बेंगलुरु) के अपोलो क्रेडल कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी अपर्णा झा से बात की।

अच्छी नींद के लिए हार्मोन कैसे जिम्मेदार है?

गायनेकोलॉजी अपर्णा झा का कहना है कि, "पीरियड साइकिल के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन में उतार-चढ़ाव होता है, जो नींद सहित कई शारीरिक कार्यों को प्रभावित कर सकते हैं। पीरियड साइकिल के पहले यानी फॉलिक्युलर चरण के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है और ओव्यूलेशन से ठीक पहले कम होता है। ओव्यूलेशन के बाद, प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ता है, जो ल्यूटियल चरण में बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और पीरियड साइकिल शुरू होने पर फिर से कम हो जाता है। महिलाओं के शरीर में होने वाले ये हार्मोनल बदलाव शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों को ट्रिगर कर सकते हैं, जो नींद के पैटर्न को प्रभावित करते हैं।"

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हार्मोन में बदलाव और नींद की गड़बड़ी में क्या कनेक्शन है?

ल्यूटियल फेज के दौरान महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बढ़ता है, जो अक्सर बहुत ज्यादा नींद आने या थकान का कारण बनता है। प्रोजेस्टेरोन अपने सीडेटिव प्रभावों के लिए जाना जाता है, जो आप में आराम और उनींदापन की भावना को बढ़ाता है। हालांकि, शुरू में यह नींद आने में आसानी तो कर सकता है, लेकिन शरीर के तापमान में बदलाव के साथ यह आपके नींद में खलल का कारण भी बन सकता है। शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बढ़ने से कुछ महिलाओं को रात को सोते समय बहुत ज्यादा पसीना आ सकता ह, जिससे ज्यादा गर्मी लग सकती है और सोने में समस्या हो सकती है।

Period Hormone

इसके अलावा, पीरियड्स से ठीक पहले महिलाओं के शरीर में अचानक एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और तनाव को ट्रिगर कर सकता है। ये सभी समस्या नींद न आने या सोते रहने की समस्या को बढ़ा सकते हैं। खासकर, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) या प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) वाली महिलाओं को नींद न आने की ज्यादा समस्या महसूस हो सकती है।

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पीरियड साइकिल के दौरान नींद को कैसे प्रबंधित करें?

हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण नींद न आने की समस्या आम है, लेकिन उन्हें प्रबंधित करने के तरीके हैं। सबसे पहले, आप अपने सोने और जागने का शेड्यूल बनाए, सोने के समय पर कैफीन या हैवी फूड्स से परहेज करें और नाइट रूटीन फॉलो करें। लेकिन अगर आपको नींद नहीं आ रही है या बहुत ज्यादा नींद आ रही है तो आप एक्सरसाइज, तनाव प्रबंधन और यहां तक कि अपनी डाइट में मैग्नीशियम और विटामिन बी6 का सेवन बढ़ा सकते हैं।

निष्कर्ष

यह साफ है कि पीरियड्स साइकिल के दौरान हार्मोन्स नींद को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं के दौरान नींद को प्रभावित करने में हार्मोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन, यह समझकर कि एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन आपके शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं, महिलाएं नींद न आने की समस्या को कम कर सकती हैं।
Image Credit: Freepik

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