आजकल टीनएजर्स सबसे ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। टीनएजर्स यूट्यूब से पढ़ते हैं या फिर ऑनलाइन क्लास लेते हैं। साथ ही वे ऑनलाइन गेम्स में भी काफी समय बिताते हैं। दिन में तो कंप्यूटर पर बिजी रहते ही हैं और रात में मोबाइल पर गेम खेलने या फिर सोशल मीडिया पर चैट करते रहने में बिता देते हैं। इस तरह दिन-रात मोबाइल या कंप्यूटर पर व्यस्त रहने से उनकी नींद सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। कई बार देखा गया है कि पेरेंट्स भी बच्चों पर पढ़ाई का इतना ज्यादा प्रेशर डाल देते हैं कि वह रातभर जागकर पढ़ाई पूरी करते हैं। दरअसल इस तरह रातभर जागने की जीवनशैली को सेहत से जोड़कर देखा ही नहीं जाता। इस वजह से लंबे समय तक जब टीनएजर्स ऐसा पैटर्न फॉलो करते हैं, तो उन्हें रात में नींद न आने की समस्या आने लगती है। कई बार नींद न आने की बीमारी इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि ये टीनएजर्स की मानसिक सेहत पर भी असर डालने लगती है। इस समस्या को विस्तार से जानने के लिए हमने बात की दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के मनोचिकित्सक विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. आरती आनंद से।
टीनएजर्स में नींद न आने (अनिद्रा) का कारण
डॉ. आरती के अनुसार, उनके पास जितने भी केस आते हैं, उसमें सबसे ज्यादा मामले रातभर फोन पर सोशल साइट्स पर चैट करने या ऑनलाइन गेम्स खेलने के आते हैं। कई मामलों में देखा है कि टीनएजर्स अपने शारीरिक बदलावों को सहजता से नहीं ले पाते। वह दूसरों से अपनी तुलना करने लगते हैं। इस वजह से भी वह मानसिक तनाव में आ जाते हैं और पूरी रात सोचने में ही गुजार देते हैं। इसके अलावा उम्र के इस पड़ाव में उनकी पढ़ाई में भी काफी बदलाव होते हैं, ऐसे में पढ़ाई पूरी करने का दबाव भी उन्हें रातभर जगाकर रखता है।
सोशल साइट पर खुद को अपडेट और बेहतरीन दिखाने की होड़ उन्हें रातभर सोने नहीं देती और लगातार यह स्थिति उन्हें डिप्रेशन की ओर धकेल देती है। देर शाम कैफीन जैसे कि कॉफी, चाय या एनर्जी ड्रिंक्स लगातार पीने से भी रातभर नींद नहीं आती, जो इनसोमिया (insomnia) की बीमारी को बढ़ा देती है।
टीनएज बच्चों में अनिद्रा के लक्षण
डॉ. आरती पेरेंट्स को सलाह देती हैं कि ये अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने टीनेज बच्चों के लक्षणों को पहचानें।
- अगर बच्चा दिन में बहुत ज्यादा सोता है
- सुबह उठने के बाद भी नींद में ही रहता है
- बच्चे के मार्क्स कम हो रहे हैं
- पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पा रहा
अपने टीनएजर के स्कूल में उनके अध्यापकों से बात करें कि क्लास में बच्चे का फोकस कितना है या फिर वह कितना एक्टिव रहता है। अगर इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, तो मनोचिकित्सक से सलाह जरूर लें।
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अनिद्रा से छुटकारा पाने के टिप्स
डॉ. आरती कहती हैं कि मनोचिकित्सक टीनएजर्स से बात करते हैं, तो अक्सर उन्हें सबसे पहले जीवनशैली में थोड़े बहुत बदलाव करने की सलाह देते हैं, जो इस प्रकार हैं-
- रात को मोबाइल कमरे से बाहर रखें।
- अगर लैपटॉप पर काम करते हैं, तो उसे भी कमरे से बाहर रखें।
- टीनएजर्स मेडिटेशन या योगा नहीं करना चाहते, तो उन्हें किसी भी उनके मनपसंद खेल में भाग लेने के लिए मोटिवेट करें।
- डांस, जुंबा जैसी गतिविधियों से जोड़ें।
- ऑनलाइन दोस्तों की बजाय असल जिंदगी में दोस्तों के साथ घूमने और बातें करने की सलाह दें।
- रात में जंक फूड और जरूरत से ज्यादा खाने के लिए मना करें।
- सोने से पहले हेडफोन लगाकर गाने सुनने की आदत छोड़ें।
- अगर मामला ज्यादा गंभीर होता है, तो साईकोथेरेपी और दवाइयों के लिए रेफर किया जाता है।
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डॉ. आरती का टीनएजर्स को संदेश
टीनएजर्स को जीवन के इस फेज में अपनी ऐसी यादें बनानी चाहिए, जिन्हें वे पूरी जिंदगी सहेजकर रखें। पढ़ाई करें लेकिन साथ ही दोस्त भी बनाएं, उनसे बातें करें और घर से बाहर निकलकर थोड़ी कसरत या शारीरिक गतिविधियां जरूर करें।