
How I treat insomnia: ''हर रात मुझे सोने में दिक्कत होती थी, मेरी आंखों में नींद भरी होती और थकान से शरीर टूट रहा होता और एक झटके से नींद आती और टूट जाती। मुझे समझ नहीं आता कि ये क्यों हो रहा है। कभी नींद आ भी जाती तो टिकती नहीं और कुछ ही घंटों में टूट जाती और फिर लंबे समय तक मैं नींद के लिए परेशान रहता। कई बार इस तरह से बीच रात में जागना मुझे परेशान करता है और अगले दिन मुझे इसकी थकान व चिड़चिड़ाहट महसूस होती।
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ये कारवां कई महीनों तक चलता रहा और नींद न आने की इस दिक्कत ने मेरी सेहत को भी प्रभावित करना शुरू किया। फिर एक दिन अचानक दोस्तों के साथ बातचीत में मुझे अहसास हुआ कि मैं भी उनमें से एक तरह इनसोम्निया (Insomnia) का शिकार हो रहा हूं। 'इसके बाद मैंने खुद को इस बढ़ती हुई समस्या से बचाने का निर्णय लिया और इस बीमारी से बचने के उपायों के बारे में रिसर्च की, वीडियो देखे और लोगों के सुझाव सुनें। कुछ सुझावों को मैंने अपने ऊपर लागू करने की कोशिश भी की जैसे कि सोने से पहले लाइट म्यूजिक सुनना, कुछ देर वॉक करना और मेडिटेशन करना। हालांकि, इनमें ये किसी का भी मुझपर बहुत ज्यादा असर नहीं हुआ। एक दिन मैं सोने से पहले कुछ पढ़ रहा था और सो गया। उस दिन रात में नींद नहीं खुली। अगले दिन भी मैंने यही काम किया और उस रात भी अचानक से मेरी नींद (Reading Therapy benefits for insomnia) नहीं टूटी। इस तरह मैंने रोज ये काम करना शुरू किया।''
इस तरह 30 साल के अभिषेक शुक्ला (Abhishek Shukla) को रीडिंग की आदत ने इनसोम्निया से बचा लिया। आइए, अब विस्तार से जानते हैं कैसे नींद न आने की समस्या में रीडिंग थेरेपी कितनी कारगर है और इस बारे में क्या है Dr. Pooja Pillai, Consultant - Internal Medicine, Aster CMI Hospital, Bangalore की राय।
धीमे-धीमे मुझे जल्दी और लंबी नींद आने लगी
30 साल के अभिषेक शुक्ला (Abhishek Shukla) जो कि पेशे से पत्रकार हैं लगातार नींद न आने की समस्या की वजह से परेशान थे और जब उन्होंने से पहले किताब पढ़ना शुरू किया तो उन्हें जल्दी और बेहतर नींद आने लगी। अभिषेक ने बताया कि ये सच में कारगर है और नींद पर इसका गहरा असर देखने को मिल सकता है। जब आप सोने से पहले किताब पढ़ते हैं तो आपकी आंखें धीमे-धीमे थककर चिकलने लगेगी और आप कब सो जाएंगे आपको मालूम भी नहीं पड़ेगा। इतना ही नहीं, धीमे-धीमे आपकी नींद लंबी होती जाएगी और आप नींद के बीच अचानक से नहीं जगेंगे। ऐसा करते-करते 21 दिन में आपकी स्लीप साइकिल सही हो जाएगी और आप हर दिन तय समझ पर सोना शुरू कर देंगे।

सच में फायदेमंद है रीडिंग थेरेपी: Dr. Pooja Pillai
अभिषेक शुक्ला की कहानी जानकर जब हमने इस बारे में डॉक्टर की राय जाननी चाहिए तो Dr. Pooja Pillai ने बताया कि सोने से पहले लगभग 30 मिनट तक किताब पढ़ना अनिद्रा से पीड़ित लोगों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। पढ़ने से मन शांत होता है और रोजमर्रा के तनाव, चिंताओं और अत्यधिक सोच से मुक्ति मिलती है, जो अक्सर लोगों को रात में जगाए रखती है। जब आप कोई शांत और हल्की किताब पढ़ते हैं, तो आपका दिमाग स्क्रीन और तनावपूर्ण विचारों से ध्यान हटाकर किसी आरामदायक गतिविधि पर केंद्रित हो जाता है, जिससे शरीर को आराम करने का संकेत मिलता है। यह आदत चिंता को कम करती है और स्ट्रेस हार्मोन को घटाती है, जिससे स्वाभाविक रूप से नींद आना आसान हो जाता है।
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पढ़ने से सोने का एक निश्चित समय तय हो जाता है: Dr. Pooja Pillai
आगे Dr. Pillai बताती हैं कि पढ़ने से सोने का एक निश्चित समय तय हो जाता है, जिससे दिमाग पढ़ने को नींद से जोड़ना सीख जाता है और नींद की दिनचर्या में सुधार होता है। मोबाइल फोन या टेलीविजन के विपरीत, किताब पढ़ने से आंखों को नीली रोशनी का सामना नहीं करना पड़ता, जो नींद के हार्मोन मेलाटोनिन को प्रभावित कर सकती है।
पढ़ने से आती है गहरी नींद: Dr. Pooja Pillai
यह मांसपेशियों को आराम भी देता है और हृदय गति को धीमा करता है, जिससे शरीर गहरी नींद के लिए तैयार होता है। अनिद्रा के रोगियों के लिए (Reading Therapy benefits for insomnia), सोने से पहले नियमित रूप से पढ़ने से नींद आने में लगने वाला समय कम हो सकता है और समय के साथ नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
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इस प्रकार से ये मानसिक उत्तेजना से बचने के लिए सरल, सकारात्मक या उत्तेजक न होने वाली सामग्री चुनना महत्वपूर्ण है। कुल मिलाकर, रीडिंग थेरेपी दवाओं के बिना नींद में सुधार करने का एक सुरक्षित, नेचुरल और प्रभावी तरीका है और जिन लोगों को भी ऐसी कोई भी समस्या हो रही हो उन्हें इसे जरूर ट्राई करना चाहिए।
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Dec 19, 2025 16:27 IST
Published By : Pallavi Kumari