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जर्नलिंग ने बदली जि‍ंदगी: सेल्फ हीलिंग से अनिद्रा से राहत तक, पढ़ें मेरा अनुभव और एक्सपर्ट गाइडेंस

OMH Self Tried: जर्नल‍िंग को कैसे बनाया सेल्‍फ हील‍िंग की दवा? जानें रोज ल‍िखने की आदत ने कैसे द‍िलाई अन‍िद्रा, ओवरथ‍िंक‍िंग से राहत, पढ़ें मेरा अनुभव और डॉक्‍टर गाइडेंस।
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जर्नलिंग ने बदली जि‍ंदगी: सेल्फ हीलिंग से अनिद्रा से राहत तक, पढ़ें मेरा अनुभव और एक्सपर्ट गाइडेंस

कुछ समय से काम और पारि‍वार‍िक ज‍िम्‍मेदार‍ियों के बीच मुझे खुद के ल‍िए समय ही नहीं म‍िला। यह एहसास भी नहीं हुआ क‍ि मैंने अपनी सेहत को क‍ितना नजरअंदाज कर द‍िया है? एक समय ऐसा भी आया जब पूरे द‍िन काम के बाद भी रात को सुकून भरी नींद नहीं आती थी। एक द‍िन, तो काम करते-करते मैं रो दी, क्‍योंक‍ि मैं अपना बेस्‍ट नहीं दे पा रही थी और जब मैं ऐसा नहीं कर पाती हूं, मुझे दुख होता है। दवा लेने के पक्ष में मैं कभी थी ही नहीं, तो पर‍िवार और दोस्‍तों से मदद मांगी। मेरे दोस्‍त की दादी साइकोलॉज‍िस्‍ट रहीं हैं। उन्‍होंने मुझे जर्न‍ल‍िंग करने की सलाह दी। हालांक‍ि मैं खुद भी ल‍िखना पसंद करती हूं, लेक‍िन इससे सेल्‍फ-हील‍िंग भी क‍ी जा सकती है, यह अनुभव मैंने पहली बार क‍िया। इसी अनुभव को आपके साथ शेयर करने जा रही हूं। मेरे अनुभव के साथ मैं आपको डॉक्‍टर की राय के आधार पर यह भी बताऊंगी क‍ि जर्नल‍िंग के जर‍िए आप भी कैसे स्‍ट्रेस, अन‍िद्रा और मानस‍िक समस्‍याओं से बाहर आ सकते हैं।


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Dr. Pragya Rashmi, Consultant Psychologist At Yashoda Hospitals, Hyderabad ने बताया क‍ि मैं सालों से मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) और नींद न आने (Sleeplessness) की समस्या से जूझ रहे मरीजों का इलाज कर रही हूं। इतने वर्षों में मैंने जर्नलिंग जैसे आसान टूल्स से लोगों की जि‍ंदगी को बदलते हुए देखा है। जर्नलिंग सिर्फ एक शौक नहीं है, बल्कि यह एक पावरफुल सेल्‍फ-हील‍िंग टूल है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें स्‍ट्रेस, चिंता या दबी हुई भावनाओं की वजह से नींद की समस्या होती है। जर्नलिंग बिखरे हुए विचारों को साफ शब्दों में बदलकर सुकून देती है और मानसिक स्पष्टता देती है, जिससे अनिद्रा पर सीधा असर पड़ता है।

मुझे बचपन से ल‍िखने का शौक है

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मुझे बचपन से ल‍िखना बहुत पसंद है। मेरे दादाजी पत्रकार और एक प्रत‍िष्ठ‍ित अखराब में संपादक रह चुके हैं। मैंने अपने घर की मेज को हमेशा अखराब, क‍िताबें, टाइपराइटर से भरा हुआ ही देखा है। 25 साल की उम्र में समझ आता है क‍ि क‍िताबें क‍ितनी अच्‍छी दोस्‍त होती हैं, वो आपका साथ न‍िभाती हैं और बदले में कुछ भी नहीं मांगती। बचपन की इन यादों को जब मैं याद कर रही थी, तो सोचा जर्नल‍िंग करके देखती हूं, क्‍या पता मन को सुकून म‍िल जाए? बस फ‍िर क्‍या था एक डायरी उठाई और ल‍िखना शुरू कर द‍िया।

ज‍िस द‍िन मैंने पहली बार जर्नल‍िंग (Journaling) खत्‍म क‍िया, मन को बहुत सुकून म‍िला। यह वही द‍िन था जब मैं काम के प्रेशर के बीच बैठकर यह सोच रही थी क‍ि मैं आख‍िर ऐसा क्‍या करूं ज‍िससे मन को आराम म‍िले। कभी-कभी अंदर का शोर, बाहर से ज्‍यादा परेशान करता है, लेक‍िन जो लोग जर्नल‍िंग करते हैं वो मेरी इस बात से सहम‍त होंगे क‍ि अंदर के शोर को केवल ल‍िखकर ही शांत क‍िया जा सकता है।

ल‍िखते हुए रो देती हूं और कभी बस हंसती रहती हूं: यशस्‍वी

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ल‍िखते जर्नलिंग करते हुए यह एहसास हुआ क‍ि वाकई यह एक सेल्‍फ हील‍िंग का बेहतरीन तरीका है। जो बातें मैं क‍िसी से कह नहीं सकती, उसे ल‍िखना काफी आसान हो गया। जर्नल‍िंग के जर‍िए मैं अपने द‍िनभर के अच्‍छे या बुरे अनुभव को डायरी में ल‍िखती हूं। अब जर्नल‍िंग करते हुए मुझे 6 महीने हो चुके हैं। अब मुझे रात को सुकून भरी नींद आती है। मैं ल‍िखते-ल‍िखते कभी-कभी रो देती हूं, तो कभी अचानक हंसने लगती हूं, लेकि‍न जो भी मन की बात है उसे कागज पर उतार देती हूं। इससे मुझे मानस‍िक शांति‍ म‍िलती है।

जर्नलिंग से सेल्‍फ हील‍िंग होती है, स्‍ट्रेस-अन‍िदा से राहत म‍िलती है: Dr. Pragya Rashmi

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असल में, जर्नलिंग अंदर चल रहे मानसिक संघर्ष को बाहर निकालने का काम करती है, जिससे सेल्‍फ-हील‍िंग आसान होती है। जब मरीज सो नहीं पाते, तो उनका दिमाग काम का दबाव, पारिवारिक परेशानियां या पुरानी घटनाओं को बार-बार दोहराता रहता है। Dr. Pragya Rashmi ने बताया क‍ि चीजों को लिखने से दिमाग का भावनात्मक हिस्सा एमिग्डाला (Amygdala) शांत होता है और लॉज‍िकल थ‍िक‍िंग से जुड़ा प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स (Prefrontal Cortex) एक्टिव होता है। रोज रात सिर्फ 10 से 15 मिनट जर्नलिंग करने से भी जल्दी नींद आने में मदद मिल सकती है।

ग्रैटिट्यूड जर्नल से जर्नलिंग की शुरुआत करें- Start Journaling With Gratitude Journal

  • Dr. Pragya Rashmi ने बताया क‍ि नींद की समस्या वाले लोगों के लिए वह कुछ खास तकनीक बताती हैं। सबसे पहले ग्रैटिट्यूड जर्नल ल‍िखने से शुरू करें।
  • दिन के अंत में उन तीन चीजों को लिखें, जिनके लिए आप आभारी हैं।
  • इसके बाद वरी डंपिंग (Worry Dumping) करें।
  • सोने से पहले 20 मिनट निकालकर अपनी सारी चिंताएं बिना जज किए लिख दें और फिर नोटबुक बंद कर दें, जैसे आपने चिंताओं को सुबह तक के लिए बंद कर दिया हो।
  • इससे बार-बार वही बातें सोचते रहने की आदत (Rumination) रुकती है, जो अन‍िद्रा की बड़ी वजह होती है।

जर्नल‍िंग में खुद से पूछें ये सवाल 

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गहरी हील‍िंग के लिए कुछ सवाल भी लिखें जैसे-

  • आज मेरी किस चीज ने खत्म की और मैं उसे कैसे छोड़ सकता या सकती हूं?
  • आज की कौन-सी छोटी जीत मैं सेलिब्रेट कर सकता या सकती हूं?
  • कुछ हफ्ते जर्नल‍िंग करने के बाद आप पैटर्न समझने लगते हैं, जैसे ज्‍यादा स्‍क्रीन टाइम या कॉफी पीना और पहले से बदलाव करना सीख जाते हैं। इसके साथ गुड स्‍लीप हाइजीन भी जरूरी है, जैसे रात 8 बजे के बाद इलेक्‍ट्रोन‍िक्‍स न इस्तेमाल करना और हल्की रोशनी रखना।

10 म‍िनट जर्नल‍िंग से शुरू करें- Start With 10 Minutes Journaling

  • कम ल‍िखकर शुरू करें।
  • अपनी स्‍लीप हैब‍िट्स नोट करें।
  • रोज 10 म‍िनट फ्री राइटअप से शुरू करें।
  • जर्न‍ल‍िंग की नोटबुक अलग रखें।
  • अगर तीन हफ्तों से ज्यादा समय तक अनिद्रा बनी रहे, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

न‍िष्‍कर्ष:

जर्नल‍िंग कोई भी कभी भी शुरू कर सकता है। यह एक आसान तरीका है ज‍िससे आप मानस‍िक समस्‍याओं को दूर कर सकते हैं और अपनी समस्‍याओं से बाहर न‍िकल सकते हैं। इसे पूरी तरह से एक्‍सपर्ट गाइडेंस के साथ शुरू क‍िया जा सकता है या फ‍िर आप खुद से भी जर्नल‍िंग की शुरुआत कर सकते हैं।

उम्‍मीद करती हूं क‍ि आपको यह जानकारी और मेरा अनुभव पढ़कर आनंद आया होगा। इस लेख को शेयर करना न भूलें।

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FAQ

  • जर्नल‍िंग क्‍या होता है?

    जर्नलिंग का मतलब है अपने व‍िचारों और भावनाओं को ल‍िखना। इससे मन हल्‍का होता है, तनाव कम होता है और खुद को समझने में मदद म‍िलती है।
  • जर्नल‍िंग कैसे करते हैं?

    क‍िसी शांत जगह पर बैठकर रोज 10 से 15 म‍िनट अपने मन की बात ल‍िखें। जो आप महसूस कर रहे हैं केवल वही ल‍िखें, सही या गलत की च‍िंता न करें।
  • जर्नल‍िंग के क्‍या फायदे हैं?

    जर्नल‍िंग करने से अन‍िद्रा और तनाव दूर होता है, ओवरथ‍िंक‍िंग से न‍िजात पा सकते हैं, सेल्‍फ-हील‍िंग में मदद और मानसिक स्पष्टता म‍िलती है।

 

 

 

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  • Current Version

  • Dec 19, 2025 14:29 IST

    Published By : Yashaswi Mathur

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