Teenage Kid Anxiety: टीनएज बच्चों में आजकल एंग्जायटी की समस्या तेजी से बढ़ रही है। बात चाहे पढ़ाई की हो, करियर की हो या फिर रिलेशनशिप की, टीनएज बच्चों में इन चीजों को लेकर काफी स्ट्रेस रहता है। उम्र के इस फेज में जहां बच्चों में हार्मोनल असंतुलन बहुत होता है वहीं बच्चों को समझ नहीं आता कि वह एंग्जायटी के साथ कैसे डील करें। बच्चों की बात नहीं है, बच्चों के माता-पिता भी समझ नहीं पाते कि इन तमाम चीजों के बीच वह अपने बच्चे से कैसे डील करें। क्योंकि उनके व्यवहार में नजर आ रहे इन बदलावों के साथ डील करना आसान नहीं होता और टीनएच बच्चों को लगता है कि उनके माता-पिता उन्हें समझ नहीं पा रहे। इन तमाम स्थितियों को समझने के लिए हमने Ms. Urvashi Musale, Stanford Certified Child & Teen Behavioural Psychologist and Founder of ProParent से बात की।
टीनएज बच्चों में एंग्जायटी की पहचान कैसे करें-Teenage Kid Anxiety Symptoms in Hindi
उर्वशी मुसले, बताती हैं टीनएज बच्चे एडोलिसेंट हैं और यह किशोरावस्था के वर्ष बदलावों से भरे होते हैं। नया शरीर, नई भावनाएं, नए दबाव, और अक्सर यह बदलाव अपने साथ कुछ ऐसा लेकर आते हैं जो ज़्यादातर माता-पिता नहीं देख पाते या समझने में मुश्किल होती है। जैसे कि एंग्जायटी। एंग्जायटी, एक ऐसी चीज है जिससे इस उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा जूझते हुए नजर आते हैं। लेकिन ज्यादातर माता-पिता को यह देखकर आश्चर्य होता है कि यह हमेशा वैसा नहीं होता जैसा वह उम्मीद करते हैं। यह हमेशा घबराहट या रोना नहीं होता। ऐसे में टीनएज एंग्जायटी में आप कई लक्षण महसूस कर सकते हैं जैसे कि
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- -सिरदर्द
- -पेट दर्द
- -चिड़चिड़ापन
- -अचानक से पूरे दिन अपने कमरे में रहने की इच्छा रखने वाला किशोर बच्चा।
कुछ किशोरों में शारीरिक लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे बार-बार दर्द, मतली या नींद न आना। बच्चे लगातार चिंतित दिख सकते हैं, मूडी हो सकते हैं, दोस्तों से दूर हो सकते हैं, या उन चीजों में रुचि खो सकते हैं जो उन्हें पहले पसंद थीं। साथ ही बच्चे शैक्षणिक दबाव, सोशल मीडिया पर सामाजिक तुलना और अवास्तविक अपेक्षाओं के अतिरिक्त तनाव को भी महसूस कर सकते हैं।
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टीनएज बच्चों में एंग्जायटी कैसे कंट्रोल करें-How to deal with Teenage Anxiety
हालांकि, किशोरों में चिंता को नियंत्रित किया जा सकता है, जब हम जानते हैं कि क्या देखना है और कैसे सावधानी से प्रतिक्रिया करनी है। तो आपको करना यह है कि
- -पहला कदम बिना किसी जल्दबाजी के सुनना है।
- -किशोरों को सुरक्षित महसूस करवाने की जरूरत है।
- -'ज़्यादा मत सोचो' कहकर बच्चों की बात को खारिच न करें बल्कि, उनसे विस्तार से बात करने की कोशिश करें। अगर आप उन्हें चुप करवाएंगे तो वह आपके खुलना बंद कर देंगे।
तो माता-पिता कैसे मदद कर सकते हैं?
घर पर एक शांत और स्वागत करने वाला माहौल बनाकर शुरुआत करें। इसका मतलब सभी सवालों के जवाब देना नहीं है, बल्कि बस मौजूद रहना है।कभी-कभी आपके बच्चे को बस यह चाहिए होता है कि आप उनके बगल में बैठें, हर बात का समाधान न करें। उन्हें मोटिवेट करें। यह सरल लग सकता है, लेकिन रोजमर्रा की आदतें बच्चे को बेचैन होने से बचा सकती हैं। नियमित नींद, पौष्टिक भोजन, हल्की शारीरिक गतिविधि और स्क्रीन ब्रेक सभी मूड को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। वास्तव में, 20-30 मिनट की गतिविधि, जैसे साइकिल चलाना, कॉलोनी में कुत्ते को टहलाना, या किसी पसंदीदा गाने पर नाचना, तनाव के स्तर को काफी कम कर सकता है।
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बच्चों में एंग्जायटी के दौरान इसे करने को प्रेरित करें। जैसे कि उन्हें बताएं कि चार गिनने तक सांस लेते रहें, फिर चार गिनने तक सांस रोकें और चार गिनने तक सांस छोड़ें। यह मिनटों में एक चिंतित मन को शांत कर सकता है। गहरी सांस लेने या ध्यान जैसी माइंडफुलनेस तकनीकें भी बच्चों में एंग्जायटी को कम कर सकती हैं। आपको महंगे उपकरणों की जरूरत नहीं है।