How Does Your Period Change In Perimenopause In Hindi: जैसा कि आप यह जानते होंगे कि पेरिमेनोपॉज, मेनोपॉज के पहले के चरण को कहा जाता है। इस दौरान महिलाओं को कई तरह शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे, हॉट फ्लैशेज, नींद न आना, भूख में कमी और मूड स्विंग। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सभी पेरिमेनोपॉज के ही संकेत हैं। जैसे-जैसे वक्त बीतता जाता है, ये सभी समस्याएं अपने आप ठीक हो जाती है। बहरहाल, माना जाता है कि पेरिमेनोपॉज के दौरान पीरियड साइकिल भी प्रभावित होते हैं? सवाल ये है कि आखिर पेरिमेनोपॉज किस तरह पीरियड साइकिल को बदल सकता है और इसके पीछे किस तरह के कारक जिम्मेदार हैं? आइए, जानते हैं वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से।
पेरिमेनोपॉज क्यों होता है?- What Is Perimenopause In Hindi
पेरिमेनोपॉज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। धीरे-धीरे महिलाओं की ओवरीज काम करना बंद कर देती है। इसेस महिलाओं का ओव्यूलेशन पीरियड भी प्रभावित होता है। पेरिमेनोपॉज के कारण पीरियड्स साइकिल पर भी असर पड़ता है।
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पेरिमेनोपॉज के संकेत- Perimenopause Symptoms In Hindi
पेरिमेनोपॉज होने पर कई रह के संकेत नजर आ सकते हैं, जैसे-
- मूड स्विंग
- सेक्स के प्रति अरुचि
- याददाश्त का कमजोर होना
- किसी एक काम को फोकस के साथ न कर पाना
- सिरदर्द
- नाइट स्वेट आना
- वजाइनल ड्राईनेस
- जोड़ों में दर्द
- बार-बार पेशाब आना
पेरिमेनोपॉज में पीरियड साइकिल किस तरह बदलता है?- Menstrual Cycle Changes During Perimenopause In Hindi
पेरिमेनोपॉज, मेनोपॉज से पहले का फेज होता है। इस दौरान महिलाओं के पीरियड्स कई तरह से बदलते हैं। जैसे, यह चरण शुरू होते ही महिलाओं के पीरियड्स डिस्टर्ब होने लगते हैं। कभी उन्हें कई-कई महीनों तक पीरियड्स नहीं होते हैं, तो वहीं कभी 10-15 दिनों तक लगातार ब्लीडिंग हो सकती है। यही नहीं, कभी-कभी पेरिमेनोपॉज के फेज में महिला को सिर्फ स्पॉटिंग का सामना करना पड़ता है, तो कभी ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें नॉर्मल पीरियड्स हो रहे हैं। कुल मिलाकर, कहने की बात ये है कि पेरिमेनोपॉज के चरण पीरियड्स एक तरह से जारी नहीं रहते हैं। समय के हिसाब से इसमें बदलाव आते रहते हैं। इसका निगेटिव असर महिलाओं की ओव्यूलेशन पर भी पड़ता है। कई बार, इस चरण में महिलाओं के लिए कंसीव करना भी चैलेंजिंग हो जाता है। ध्यान रखें, अगर महिला को पीरियड्स हो रहे हैं, तो उन्हें ओव्यूलेशन होगा। इस चरण में कंसीव करने की संभावना सबसे अधिक होती है।
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पेरिमेनोपॉज में महिलाएं अपना ध्यान कैसे रखें
निश्चित रूप से यह नेचुरल प्रोसेस है। इस दौरान महिलाएं विशेष कुछ नहीं कर सकती हैं। इसके बावजूद, यहां बताए गए टिप्स को अपनाकर उनके लिए यह फेज आसान हो सकता है-
- पेरिमेनोपॉज को लेकर ज्यादा चिंतित न हों।
- शरीर में हो रहे बदलाव को सहज लें।
- अगर तकलीफ बढ़ जाए, तो इस संबंध में एक्सपर्ट से मिलें।
- इस प्रोसेस को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन एक्सपर्ट की मदद से लक्षणों के असर को कम किया जा सकता है।
- जब भी जरूरत महसूस हो, घर के किसी सदस्य के साथ अपनी परेशानी साझा करें।
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