Changes during perimenopause in Hindi: मेनोपॉज महिलाओंं में होने वाली एक प्राकृतिक समस्या है। आमतौर पर मेनोपॉज 12 महीने तक बिना मेंस्ट्रुअल पीरियड के रहने के बाद मेनोपॉज की समस्या होती है। पेरिमेनोपॉज मेनोपॉज का ही एक स्टेज है, जिसमें महिलाओं की शरीर में कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं। पेरिमेनोपॉज के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मेोन का स्तर घटने लगता है, जिससे हॉट फ्लैशेज, मूड स्विंग और नींद आने में कठिनाई हो सकती है। क्या आप जानते हैं पेरिमेनोपॉज होने पर शरीर में कई प्रकार के बदलाव हो सकते हैं। आइये डायबिटीज और थायरॉइड स्पेश्लिस्ट डॉ. अक्षत चढ्ढा से जानते हैं इसके बारे में।
दिखाई देते हैं ये बदलाव
- इस स्थिति में तापमान गिरने और बढ़ने जैसी स्थिति हो सकती है। कई बार या तो ज्यादा ठंड लग सकती है या ज्यादा गर्मी।
- ऐसे में हॉट फ्लैशेज होने के साथ ही रात में सोने के दौरान पसीने भी आ सकते हैं।
- इस दौरान वजन बढ़ना खासतौर पर पेट की चर्बी बढ़ने के साथ ही Premenstrual Syndrome जैसी समस्या हो सकती है।
- थायरॉइड हार्मोन में बदलाव होने के साथ-साथ मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द हो सकता है।
- इस दौरान सिर में दर्द होने के अलावा कई बार ब्रेन फॉग और भूलने जैसी समस्या हो सकती है।
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इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
- पेरिमेनोपॉज होने पर आपको थकान, सुस्ती और नींद में बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
- कुछ मामलों में बाल पतले होने के साथ ही त्वचा में ड्राईनेस और कान में खुजली हो सकती है।
- कई बार टेस्टेस्टेरॉन लो होने के साथ ही फोबिया जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं।
- ऐसे में गुस्सा आने के साथ ही चिड़चिड़ापन जैसी समस्या हो सकती है।
हो सकती हैं पेट से जुड़ी समस्याएं
- पेरिमेनोपरॉज होने पर कई बार पेट फूलने और कब्ज जैसी समस्या हो सकती है।
- ऐसे में बिना किसी कारण रोना आने के साथ ही लो महसूस कर सकते हैं।
- ऐसे में चक्कर आने के साथ ही आंखों से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।
- कुछ मामलों में शरीर के अंगों में झुनझुनी भी हो सकती है।
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