आजकल की बिजी लाइफस्टाइल, असंतुलित खानपान और बढ़ते तनाव का सीधा असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। खासतौर पर फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ी हैं। कई महिलाएं पीरियड्स की अनियमितता, हार्मोनल असंतुलन और गर्भधारण में कठिनाई का सामना कर रही हैं। इन्हीं समस्याओं में एक गंभीर समस्या बच्चेदानी में गांठ (Uterine Lump) बनने की होती है, जो महिला की प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है। बच्चेदानी में गांठ की समस्या का अगर समय रहते निदान न किया जाए, तो यह महिलाओं की फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है और गर्भधारण में समस्या बन सकती है। इस लेख में लखनऊ के मा-सी केयर क्लीनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर और स्तनपान सलाहकार डॉ. तनिमा सिंघल (Dr. Tanima Singhal, Pregnancy educator and Lactation Consultant at Maa-Si Care Clinic, Lucknow) से जानिए, बच्चेदानी में गांठ क्यों बनती है?
बच्चेदानी में गांठ क्यों बनती है? - What Causes a Lump In The Uterus
डॉक्टर तनिमा सिंघल बताती हैं कि बच्चेदानी में गांठ महिलाओं में एक आम समस्या होती जा रही है, यह गांठें कई प्रकार की हो सकती हैं, जैसे फाइब्रॉइड (Fibroids), सिस्ट (Cyst) या ट्यूमर आदि। इनमें से कुछ गांठें दिक्कत नहीं करती हैं, जबकि कुछ गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती हैं। गर्भाशय में गांठ होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें हार्मोनल असंतुलन, आनुवंशिक कारण, मोटापा, अनियमित लाइफस्टाइल और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं।
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1. फाइब्रॉएड्स - Fibroids
गर्भाशय में गांठों का सबसे सामान्य कारण फाइब्रॉएड्स होते हैं। ये गांठें गर्भाशय की मांसपेशियों में विकसित होती हैं। फाइब्रॉएड्स आकार में छोटे से बड़े हो सकते हैं और ये कई बार गर्भधारण में परेशानी का कारण भी बन सकते हैं। फाइब्रॉएड्स के कारण महिला को भारी और दर्दनाक पीरियड्स, पेट में दबाव, बार-बार पेशाब आना और कब्ज की समस्या हो सकती है। यदि महिला में कोई लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर से जांच करवाना बेहद जरूरी होता है। इलाज में दवाएं, हार्मोनल उपचार या सर्जरी की जरूरत हो सकती है।
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2. एंडोमेट्रियोसिस - Endometriosis
एंडोमेट्रियोसिस तब होता है जब गर्भाशय की परत (एंडोमेट्रियम) गर्भाशय के बाहर अन्य अंगों पर विकसित होने लगती है। इस स्थिति में, यह परत अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब्स या पेट के अन्य हिस्सों में बढ़ सकती है। इसके परिणामस्वरूप गांठ या टिशू में सूजन हो सकती है, और इसके कारण भारी रक्तस्राव, दर्द और बांझपन की समस्या हो सकती है। एंडोमेट्रियोसिस का इलाज आमतौर पर दवाइयों और सर्जरी के माध्यम से किया जाता है।
3. गर्भाशय में पॉलीप्स - Uterine Polyps
गर्भाशय में पॉलीप्स छोटे-छोटे ऊतक होते हैं जो गर्भाशय की अंदरूनी परत से उभरते हैं। इनकी वजह से हैवी ब्लीडिंग, अनियमित पीरियड्स और गर्भधारण में समस्या हो सकती है। गर्भाशय के पॉलीप्स का इलाज आमतौर पर हार्मोनल थेरेपी से या सर्जरी द्वारा किया जाता है।
4. गर्भाशय का कैंसर - Uterine Cancer
गर्भाशय में गांठ का एक और संभावित कारण गर्भाशय का कैंसर हो सकता है, जो दुर्लभ होता है। यह बीमारी आमतौर पर महिलाओं में मेनोपॉज के बाद होती है। गर्भाशय का कैंसर गंभीर स्थिति हो सकती है, इसलिए इस स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इसके लक्षणों में अनियमित ब्लीडिंग, पेट में दर्द और वजन कम होना शामिल हो सकते हैं। गर्भाशय के कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के माध्यम से किया जाता है।
5. गर्भाशय में संक्रमण - Infection in the Uterus
बच्चेदानी में इंफेक्शन भी गांठ का कारण बन सकता है। संक्रमण के कारण सूजन और गांठ विकसित हो सकती है। संक्रमण की स्थिति में महिला को तेज दर्द, बुखार और बदबू वाला डिस्चार्ज हो सकता है। यदि समय रहते इलाज न किया जाए, तो संक्रमण गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। इसका इलाज एंटीबायोटिक्स के माध्यम से किया जा सकता है।
6. हार्मोनल असंतुलन - Hormonal Imbalance
हार्मोनल असंतुलन भी गर्भाशय में गांठ का एक कारण हो सकता है। खासकर प्रजनन हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के असंतुलन से गर्भाशय की कोशिकाओं का विकास असामान्य रूप से हो सकता है, जिससे गांठें बन सकती हैं। हार्मोनल असंतुलन का इलाज हॉर्मोनल थेरेपी या दवाइयों से किया जा सकता है।
निष्कर्ष
बच्चेदानी में गांठ के कई कारण हो सकते हैं और इनका निदान समय रहते करना जरूरी होता है। अगर किसी महिला को पेट में गांठ, दर्द या अनियमित ब्लीडिंग का सामना हो, तो उसे तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। सही समय पर इलाज करने से महिला की सेहत पर गंभीर प्रभाव नहीं पड़ता और वह जल्दी ठीक हो सकती है।
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