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बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या होता है? डॉक्टर से जानें इन 5 परेशानियों के बारे में

Garbhashay Mein Ganth: बच्चेदानी में गांठ होना एक गंभीर समस्या है। इसके होने पर कई महिलाओं को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं, जैसे-
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बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या होता है? डॉक्टर से जानें इन 5 परेशानियों के बारे में


Uterus Mein Ganth Ke Lakshan: बच्चेदानी में गांठ होना महिलाओं में होने वाली गंभीर बीमारी है। इस तरह की बीमारी की कभी भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि बच्चेदानी में गांठ होने पर न सिर्फ महिलाओं के पीरियड्स प्रभावित होते हैं, बल्कि उन्हें कई तरह की अन्य शारीरिक समस्याएं भी होने लगती हैं। इससे पहले कि हम बच्चेदानी की गांठ से संबंधित कुछ अन्य चीजों के बारे में जानें, आपको बता दें कि करीब 25 से 40 साल की उम्र की महिलाओं को बच्चेदानी में गांठ होने का जोखिम अधिक होता है। इस उम्र में महिलाओं को पीरियड्स होते हैं और बच्चेदानी में गांठ की वजह से वे इंफर्टिलिटी का शिकार हो सकती हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि बच्चेदानी में गांठ होने पर महिलाओं को किस-किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है? इस बारे में जानने के लिए हमने Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता से बात की। (Lump In Uterus In Hindi)

बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या प्रॉब्लम होती है- Bachedani Me Ganth Hone Ke Lakshan

What happens if you have a lump in your uterus 1 (4)

लंबे समय तक हैवी ब्लीडिंग होना

बच्चेदानी में गांठ होने से महिलाओं के पीरियड्स सबसे पहले प्रभावित होते हैं। उन्हें इस दौरान न सिर्फ हैवी ब्लीडिंग होती है, यह लंबे समय तक बनी रहती है। इस तरह की ब्लीडिंग को असामान्य ब्लीडिंग माना जाता है। अगर किसी महिला को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, तो उन्हें सजग हो जाना चाहिए और जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलना चाहिए।

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पेनफुल ब्लीडिंग

What Happens If You Have A Lump In Your Uterus In Hindi

बच्चेदानी में गांठ होने पर महिला को न सिर्फ असामान्य ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। इसके साथ-साथ उन्हें पेनफुल ब्लीडिंग भी होने लगती है। इसका मतलब है कि उन्हें पीरियड्स के दौरान कमर दर्द, पेट दर्द बना रहता है। कभी-कभी यह दर्द इतना तीव्र होता है कि असहनीय हो सकता है।

बार-बार पेशाब आना

बच्चेदानी में गांठ होने पर महिलाओं को सिर्फ पीरियड्स से जुड़ी दिक्कतें नहीं होती हैं। इसके साथ-साथ उन्हें बार-बार पेशाब आने की परेशानी शुरू हो जाती है। सवाल है, ऐसा क्यों होता है? डॉक्टर की मानें, तो बच्चेदानी में गांठ होने पर गॉल ब्लेडर पर इसका प्रेशर बनने लगता है। ऐसे में बार-बार पेशाब करने के बावजूद ऐसा लगता है जैसे अब तक ब्लेडर पूरी तरह खाली नहीं हुआ है। जबकि, पेशाब की मात्रा भी बहुत कम निकलती है।

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यौन संबंध बनाने में दर्द होना

What happens if you have a lump in your uterus 02 (3)

बच्चेदानी में गांठ होने पर महिलाओं को यौन संबंध बनाते हुए काफी दर्द का अहसास हो सकता है। यहां तक कि ब्लीडिंग भी हो सकती है। ध्यान रखें कि इंटरकोर्स के दौरान दर्द होना सही नहीं है। इसका मतलब है कि आपको अंदरूनी दिक्कत है और जल्द से जल्द इलाज की जरूरत है।

कमजोरी और थकान महसूस करना

बच्चेदानी में गांठ होने पर महिला को हैवी ब्लीडिंग और पीरियड क्रैंप्स हो सकते हैं। कई बार हैवी ब्लीडिंग की वजह से महिला को एनीमिया जैसी स्वास्थ्य समस्या हो जाती है, जो कि कमजोरी का कारण बनती है। अगर महिला को अन्य लक्षणों के साथ-साथ बहुत ज्यादा कमजोरी और थकान लगे, तो बेहतर है कि अपना उपचार करवाएं। साथ ही, कुछ घरेलू उपायों की मदद से अपनी खोई हुई एनर्जी को गेन करने की कोशिश करें।

All Image Credit: Freepik

FAQ

  • बच्चेदानी खराब होने का क्या संकेत है?

    बच्चेदानी खराब होने पर कई तरह के संकेत शरीर में नजर आने लगते हैं, जैसे इर्रेगुलर पीरियड्स, पेट के निचले हिस्से में दर्द, हैवी ब्लीडिंग, पेशाब करने के दौरान दिक्कतें और कंसीव करने में परेशानी, पीठ या पैर में दर्द होना आदि।
  • बच्चेदानी मजबूत करने के लिए क्या खाएं?

    बच्चेदानी को मजबूत करने के लिए आपको अपनी ओवर ऑल हेल्थ को बेहतर बनाना चाहिए। इसके लिए डाइट में हेल्दी चीजें शामिल करें, जैसे फल, सब्जियां, नट्स, बीज आदि। साथ ही, महिलाओं को डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स भी शामिल करना चाहिए और रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी भी पीना चाहिए।
  • बच्चेदानी में इंफेक्शन के क्या लक्षण होते हैं?

    बच्चेदानी में इंफेक्शन होने पर कुछ सामान्य लक्षण नजर आते हैं, जैसे पेट के निचले हिस्से या पेल्विक एरिया में दर्द होना, बुखार आना, ठंड लगना, बेचैनी महसूस करना आदि। ध्यान रखें कि अगर इंफेक्शन अंदर तक फैल जाता है, तो ऐसे में शरीर के अन्य ऑर्गन प्रभावित होने लगते हैं, जिससे हार्ट बीट पर भी असर पड़ने लगता है।

 

 

 

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