Can Lump in Uterus Cause Frequent Urination: कई बार महिलाओं की बच्चेदानी में गांठ हो जाती है, जो शरीर को कई तरीके से प्रभावित करती है। बच्चेदानी में गांठ होने पर महिलाओं को हर समय थकान रहने के साथ ही पीरियड क्रैंप्स और हेवी ब्लीडिंग भी हो सकती है। कई बार बच्चेदानी में गांठ होने को बार-बार पेशाब आने से भी जोड़कर देखा जाता है। कुछ महिलाओं में बच्चेदानी में गांठ होने पर ज्यादा पेशाब आती है। बच्चेदानी में गांठ होने पर यूरीन से जुड़ी कई समस्याएं (Urine Related Problems Caused by Uterus Fibrosis) हो सकती हैं। आइये वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से जानते हैं इसके बारे में।
क्या बच्चेदानी में गांठ होने पर बार-बार पेशाब आती है? (Can lump in uterus cause frequent Urination)
डॉ. शोभा के मुताबिक बच्चेदानी में गांठ होने पर आपके ब्लेडर पर दबाव पड़ता है। इस स्थिति में ब्लेडर भरा नहीं होने के बाद भी ऐसा एहसास होता है कि ब्लेडर फुल है। ब्लेडर पर दबाव (Pressure on Bladder) पड़ने से आपको बार-बार पेशाब आ सकती है। बच्चेदानी में गांठ (Lump in Uterus) होने पर यूरीन का फ्लो प्रभावित या कई बार ब्लॉक भी हो जाता है। इसके चलते आपको थोड़ी-थोड़ी देर पर पेशाब करने जाना पड़ सकता है। यह समस्या आमतौर पर सभी तरह की गांठों में हो सकती है। मूत्राशय मार्ग हमेशा प्रेशर महसूस होना बच्चेदानी में गांठ का संकेत हो सकता है।
बच्चेदानी में गांठ होने पर होती है पेशाब से जुड़ी समस्याएं (Urine Related Problems Caused by lump in uterus)
- बच्चेदानी में गांठ (Lump in Uterus) होने पर पेशाब से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं।
- ऐसे में बार-बार पेशाब आने के साथ ही पेशाब करते समय जलन हो सकती है।
- बच्चेदानी में गांठ होने पर पेशाब करते समय यूरीन का फ्लो ब्लॉक (Blockage in Urine Flow) हो सकता है और असहजता हो सकती है।
- कुछ मामलों में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) होने की समस्या भी बढ़ जाती है।
- कई बार इससे किडनी से पेशाब ले जाने वाले यूटेरर पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
बच्चेदानी में गांठ के कारण (Causes of lump in uterus)
- बच्चेदानी में गांठ होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
- बच्चेदानी में कैंसर होने या पेल्विक फ्लोर में समस्या होने पर बच्चेदानी में गांठ हो सकती है।
- हार्मोनल इंबैलेंस होने या जीन में बदलाव आने पर भी यह समस्या हो सकती है।