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क्या मेनोपॉज के बाद भी बच्चेदानी में गांठ (फाइब्रॉएड ) हो सकता है? जानें डॉक्टर से

Can You Still Have Fibroids After Menopause In Hindi: मेनोपॉज के बाद भी बच्चेदानी में गांठ होने का जोखिम रहता है। हालांकि ऐसा बहुत कम मामलों में देखने को मिलता है। जानें मेनोपॉज के बाद भी बच्चेदानी में गांठ क्यों होता है और इसके लिए क्या किया जा सकता है-
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क्या मेनोपॉज के बाद भी बच्चेदानी में गांठ (फाइब्रॉएड ) हो सकता है? जानें डॉक्टर से


Fibroids After Menopause In Hindi: मेनोपॉज वह चरण होता है, जब पूरी तरह पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं। इसका मतलब है कि महिला का शरीर अब पर्याप्त मात्रा में एस्ट्रोजन का उत्पादन नहीं कर रहा है। मेनोपॉज होने के बाद महिला की प्रजनन क्षमता पूरी तरह खत्म हो जाती है, जिस वजह से गर्भवती नहीं हो सकती है। ऐसे में प्रजनन से जुड़ी समस्या होने का जोखिम पूरी तरह खत्म हो जाता है। इसके बावजूद, यह सवाल अहम है कि क्या मेनोपॉज होने के बाद भी महिला को बच्चेदानी में गांठ होने की समस्या हो सकती है? असल में बच्चेदानी में गांठ यानी फाइब्रॉएड एक ऐसी समस्या है, जो बच्चेदानी में होती है। इससे महिला की प्रजनन दर प्रभावित होता है। तो, आइए जानते हैं कि मेनोपॉज के बाद भी फाइब्रॉएड होने का जोखिम होता है या नहीं? इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।

क्या मेनोपॉज के बाद भी बच्चेदानी में गांठ हो सकता है?- Can You Still Have Fibroids After Menopause In Hindi

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जैसा कि हमने कुछ देर पहले ही जिक्र किया है कि मेनोपॉज के बाद पीरियड्स पूरी तरह बंद हो जाते हैं। ऐसे में महिला के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बहुत ज्यादा गिर जाता है। पर्याप्त मात्रा में एस्ट्रोजन न होने के कारण महिला को कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं, जैसे वजाइनल ड्राइनेस आदि। वहीं फाइब्रॉएड की बात करें, तो यह हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली समस्या है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि मेनोपॉज के बाद बच्चेदानी में गांठ होने का जोखिम बहुत कम हो जाता है। इसके बावजूद, मेनोपॉज होने के बाद महिला को बच्चेदानी में गांठ होने की समस्या हो सकती है। इस बात को स्पष्ट तरीके से समझाते हुए डॉ. शोभा गुप्ता कहती हैं, "हां, यह सच है कि मेनोपॉज के बाद फाइब्रॉएड का जोखिम कम होता है। लेकिन, यह समस्या कभी नहीं होगी, यह नहीं कहा जा सकता है। सवाल है, मेनोपॉज के बाद बच्चेदानी में गांठ कैसे हो सकती है?" डॉ. शोभा गुप्ता आगे समझाती हैं, "असल में मेनोपॉज के बावजूद महिला के शरीर में मौजूद कई ऐसे टिश्यूज हैं, जो एस्ट्रोजन का उत्पादन करते हैं। हालांकि, इसकी मात्रा बहुत कम होती है। फिर भी बच्चेदानी में गांठ होने का जोखिम रहता है। हां, यह कहा जा सकता है कि इसकी संभावना दर बहुत कम होती है।" मेनोपॉज के बाद बच्चेदनी में गांठ होने पर पेट में दर्द और ब्लीडिंग जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। ऐसे लक्षण नजर आने पर महिला को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

इसे भी पढ़ें: बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या करें और क्या नहीं? जानें डॉक्टर से 

मेनोपॉज और बच्चेदानी में गांठ के बीच संबंध

  • अगर किसी महिला को मेनोपॉज के बाद बच्चेदानी में गांठ होती है, तो यह गंभीर समस्या नहीं खड़ी कर सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि बच्चेदानी में गांठ सिकुड़ जाते हैं, जिससे होने वाली समस्याएं कम हो जाती हैं।
  • मेनोपॉज के बाद भी बच्चेदानी में गांठ का जोखिम उन महिलाओं को अधिक होता है, जो ओवरवेट होती हैं। इसके अलावा, जो महिलाएं हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ले रही हैं, उन्हें भी बच्चेदानी में गांठ होने का रिस्क रहता है।

मेनोपॉज के बाद बच्चेदानी में गांठ होने के लक्षण

  1. मेनोपॉज होने के बाद बच्चेदानी में गांठ होने पर महिला को पेट के निचले हिस्से में दर्द और पोस्टमेनोपॉजल ब्लीडिंग हो सकती है। यह सामान्य नहीं है। इसलिए, ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  2. मेनोपॉज के बाद बच्चेदानी में गांठ होने पर पेट के निचले हिस्से पर दबाव महसूस हो सकता है। इससे असहजता बढ़ती है और रोजमर्रा के कामकाज भी प्रभावित होते हैं।
  3. अगर किसी महिला के परिवार में बच्चेदानी गांठ की मेडिकल हिस्ट्री है, तो उन्हें भी मेनोपॉज होने के बावजूद यह समस्या हो सकती है।

मेनोपॉज के बाद बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या करें

वैसे तो मेनोपॉज के बाद बच्चेदानी में गांठ होने की संभावना बहुत कम होती है। अगर किसी महिला को पहले से ही बच्चेदानी में गांठ है, तो मेनोपॉज के कारण वह सिकुड़ जाती हैं। ऐसे में महिला के लिए परेशानियां भी कम खड़ी होती है। इसके बावजूद, अगर किसी महिला को मेनोपॉज के बाद भी बच्चेदानी में गांठ हो जाता है, तो उन्हें डॉक्टर से संपर्क कर उनकी परामर्श की हुई दवा लेनी चाहिए। कुछ मामलों में सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। मरीज की स्थिति देखते हुए डॉक्टर बताते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

All Image Credit: Freepik

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