एक साल तक माहवारी के न होने को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहा जाता है। रजोनिवृत्ति किसी स्त्री के जीवन का वह समय है जब उसके अंडकोष की गतिविधियां समाप्त हो जाती हैं। इस लेख के माध्यम से जानिये रजोनिवृत्ति क्या है, कब होती है, क्यों होती है, और इससे जुड़े ऐसे ही कुछ अन्य आवश्यक पहलू।
मासिक धर्म के स्थायी रूप से बंद हो जाने को रजोनिवृत्ति कहते हैं। लड़कियों को 14 या 15 की उम्र में मासिकधर्म प्रारंभ हो जाता है (ऊष्ण प्रदेशों में इससे पूर्व भी), जिसका अर्थ है कि लड़की गर्भधारण के योग्य हो चुकी है। इस समय से लेकर 45 से 50 वर्ष की आयु तक सामान्यतः हर 28वें दिन मासिक धर्म होता है। इस तरह हर महीने में एक बार डिंबग्रंथि से एक डिंब परिपक्व होकर बाहर निकलता है और डिंबवाहिका नली में शुक्राणु द्वारा संसेचित होकर गर्भाशय में आकर गर्भ बन जाता है।
रजोनिवृत्ति अलग-अलग समय पर हो सकती है। सामान्यतः अधिकांश औरतें 45 और 55 वर्ष की आयु में रजोनिवृत्ति की स्थिति को प्राप्त करती हैं। लेकिन यह आपको 10 से 40 वर्ष की आयु में हो सकती हैं, और यह भी हो सकता है कि 60 की आयु तक भी आपको रजोनिवृत्ति न हो।
मेनोपॉज से जुड़े तथ्य
- रजोनिवृत्ति होने पर महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, कई बार ये समस्याएं बहुत कष्टदायक होती हैं। रजोनिवृत्ति होने पर महिला में शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के परिवर्तन आने लगते हैं।
- रजोनिवृत्ति होने पर सुस्ती आना, नींद न आना, शरीर में शिथिलता रहना शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द रहना, मोटापा बढ़ना इत्यादि समस्याएं भी हो सकती हैं।
- मासिक धर्म के बंद होने यानी रजोनिवृत्ति के लक्षण हर महिला में अलग-अलग होते हैं। किसी में अचानक मासिक धर्म आना बंद हो जाता है तो किसी में धीरे-धीरे या फिर एक-दो साल के भीतर।
- मीनोपोज महिलाओं के वृद्घास्था की ओर जाने के लक्षण है। जैसे हर महिला को माहवारी के कालचक्र से गुजरना पड़ता है वैसे ही हर महिला को मीनोपोज होना भी प्राकृतिक है।
- स्वस्थ रहने वाली महिलाओं को बिना किसी परेशानी के मीनोपोज हो जाता है यानी प्रतिमाह के रक्त स्राव में कमी होते जाना और एक दिन पूरी तरह से बंद हो जाना।
- जो महिलाएं अस्वस्थ हो या फिर जिनकी माहवारी अनियमित हो, प्रसवकाल के समय उचित देखभाल न की गई हो, उन महिलाओं को माहवारी बंद होते समय कई परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है।
- कई महिलाओं में देरी से मेनोपाज होने के पीछे गंभीर कारण हो सकते हैं जैसे- गर्भाशय में सूजन, गांठ होना, कैंसर होना या उसका खतरा होना आदि।
मेनोनॉज के लक्षण
- बहुत अधिक पसीना आना।
- घबराहट होना।
- सिर में दर्द, चक्कर आना।
- स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाना।
- शारीरिक कमजोरी अधिक होना।
- पेट से संबंधित समस्या होना।
- पाचनशक्ति कमजोर हो जाना।
- जी मिचलाना और उल्टियां आना।
- लगातार कब्ज की समस्या होना हो सकती है।
- इस समय में बहुत सी स्त्रियों को मानसिक तनाव होने लगता है।
- कुछ स्त्रियों को तो इस समय के बाद शरीर पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं।
समय से पहले मेनोपॉज के कारण
कुछ दुर्लभ मामलों में, 45 वर्ष की उम्र से पहले महिला में डिम्बग्रंथि विफलता के कारण अंडा का निशेचन बन्द हो जाता है। इसे समयपूर्व डिम्बग्रंथि विफलता कहा जाता है। हालांकि यह कम ही होता है। इनमें सभी महिलाओं में माहवारी बंद हो जाती है। लगभग 5 से 15 प्रतिशत महिलाओं में उनके आंतरायिक डिम्बग्रंथिकार्य के कारण अंडाशय तब भी में अंडे जारी कर सकते हैं, और वे गर्भ धारण करने में सक्षम हो सकती हैं।
मेनोपॉज का इलाज
चिंताजनक बात है कि केवल 10 प्रतिशत के करीब ही महिलायें रजोनिवृत्ति के समय चिकित्सक से सलाह लेती हैं। और कई बार यह बिना के ठीक भी हो जाता है। हालांकि, अगर आपको मीनोपॉज के लक्षण हों, और उनसे आपकी दैनिक दिनचर्या में हस्तक्षेप हो रहा हो, तो इनके उपचार के लिये हार्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा (एचआरटी) की जा सकती है।
एचआरटी- हॉरमोन थैरेपी (एचटी) जिसे कि हॉरमोन पुनर्स्थापन थैरेपी (एचआरटी) या रजोनिवृत्ति उपरान्त हॉरमोन्स थैरेपी (पीएचटी) भी कहा जाता है, में इस्ट्रोजन या इस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का मिश्रण उपयोग होता है।
इसके अलावा रजोनिवृत्ति के इलाज के अन्य विकल्पों तौर पर, मौखिक गर्भनिरोधक पिल्स तथा लगाने के लिए योनि की क्रीम (एन्टी डिप्रैसेंट - अवसाद से मुक्त करने वाली दवाएं भी दीये जा सकते हैं।
रजोनिवृति औरत के जीवन का वह समय है जब अण्डकोश की गतिविधियां समाप्त हो जाती है। ऐसे में रजोनिवृत्ति होने पर तनाव न लेते हुए प्रतिदिन व्यायाम करना और संतुलित भोजन लेना शुरू कर देना चाहिए।
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