आज के डिजिटल दौर में देर रात तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी स्क्रीन के सामने समय बिताना बहुत आम हो गया है। ऑफिस का काम हो, सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग हो या फिर वेब सीरीज और गेम्स, लोग रात देर तक स्क्रीन से चिपके रहते हैं। शुरुआत में यह आदत सिर्फ नींद को प्रभावित करती है, लेकिन धीरे-धीरे यह शरीर के हार्मोनल सिस्टम और प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी पर भी असर डाल सकती है। दरअसल, स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट शरीर के मेलाटोनिन (Melatonin) हार्मोन के स्तर को घटा देती है। यह हार्मोन नींद लाने के साथ-साथ फर्टिलिटी के लिए भी जरूरी है। इस लेख में जयपुर के दिवा अस्पताल और आईवीएफ केंद्र की प्रसूति एवं स्त्री रोग की विशेषज्ञ, लेप्रोस्कोपिक सर्जन और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शिखा गुप्ता से जानिए, क्या देर रात तक स्क्रीन देखने से फर्टिलिटी घट सकती है?
देर रात स्क्रीन टाइम का फर्टिलिटी पर असर - Can Late Night Screen Time Affect Fertility
डॉ. शिखा गुप्ता बताती हैं कि देर रात स्क्रीन देखने से आंखों पर पड़ने वाली ब्लू लाइट (Blue Light) शरीर की जैविक घड़ी यानी सर्केडियन रिद्म (Circadian Rhythm) को बिगाड़ देती है। इससे नींद आने में देरी होती है और नींद की क्वालिटी घटती है। खराब नींद हार्मोनल असंतुलन पैदा करती है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है। दरअसल, स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन (Melatonin) नामक हार्मोन के रिलीज को कम कर देती है। यह हार्मोन न केवल नींद को कंट्रोल करता है बल्कि फर्टिलिटी के लिए भी जरूरी है। महिलाओं में मेलाटोनिन अंडों (eggs) को ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाता है, जबकि पुरुषों में यह स्पर्म क्वालिटी को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है। देर रात स्क्रीन टाइम से मेलाटोनिन की कमी फर्टिलिटी को कमजोर कर सकती है।
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- नींद की गड़बड़ी से शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन जैसे प्रमुख हार्मोन प्रभावित होते हैं।
- महिलाओं में यह ओवुलेशन की प्रक्रिया को बाधित कर सकता है, जबकि पुरुषों में स्पर्म काउंट और टेस्टोस्टेरोन लेवल घट सकता है।
- स्क्रीन पर लंबे समय तक एक्टिव रहने से मानसिक तनाव भी बढ़ता है। देर रात सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग, ओवरवर्क या वेब सीरीज देखने से दिमाग ओवरस्टिम्युलेट हो जाता है।
- यह तनाव कॉर्टिसोल (Cortisol) नामक हार्मोन को बढ़ा देता है, जो फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचाता है।
- जो पुरुष देर रात तक मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं, उनमें स्पर्म क्वालिटी प्रभावित हो सकती है।
- स्क्रीन से निकलने वाली रेडिएशन और नींद की कमी मिलकर स्पर्म काउंट और स्पर्म की गतिशीलता (motility) पर नकारात्मक असर डालते हैं।
- महिलाओं में देर रात स्क्रीन टाइम पीरियड साइकिल को प्रभावित कर सकता है।
- ओवुलेशन में गड़बड़ी और हार्मोनल असंतुलन गर्भधारण को मुश्किल बना सकते हैं।
- इसके अलावा, देर रात तक स्क्रीन देखने से नींद पूरी न होने पर शरीर की प्राकृतिक डिटॉक्स प्रक्रिया भी बाधित होती है, जो प्रजनन स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
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बचाव और उपाय
- सोने से कम से कम 1 घंटे पहले मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल बंद करें।
- दिनभर में कुछ घंटे बिना स्क्रीन के बिताएं।
- मोबाइल और लैपटॉप में ब्लू लाइट फिल्टर ऑन करें।
- रोजाना एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें।
निष्कर्ष
देर रात तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी स्क्रीन के सामने समय बिताना सिर्फ नींद को खराब नहीं करता बल्कि यह फर्टिलिटी को भी कम कर सकता है। हार्मोनल असंतुलन, तनाव और मेलाटोनिन की कमी, ये सभी कारण मिलकर फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं। इसलिए जरुरी है कि समय रहते स्क्रीन टाइम को कंट्रोस किया जाए और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाई जाए।
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