
आज के डिजिटल दौर में स्क्रीन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है। चाहे पढ़ाई हो, नौकरी हो या एंटरटेनमेंट, हर जगह स्क्रीन का इस्तेमाल जरूरी लगने लगा है। लेकिन जितना यह हमें सुविधा और मनोरंजन देती है, उतना ही हमारी आंखों की सेहत पर असर भी डालती है। लंबे समय तक स्क्रीन पर नजरें टिकाए रखने से आंखों में सूखापन, जलन, धुंधलापन, सिरदर्द और गर्दन-दर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इसे डिजिटल आई स्ट्रेन या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहा जाता है। लेकिन लोगों के मन में सबसे बड़ा डर यह है कि क्या इससे आंखों की रोशनी हमेशा के लिए कमजोर हो सकती है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने, डॉक्टर .............. से बात की-
क्या ज्यादा स्क्रीन टाइम से आंखों को स्थायी नुकसान हो सकता है? - Can Too Much Screen Time Cause Permanent Eye Damage
डॉक्टर ........ बताते हैं कि केवल स्क्रीन देखने से सीधा और तुरंत आंखों पर स्थायी नुकसान नहीं होता। लेकिन अगर यह आदत लंबे समय तक बनी रहे तो आंखों की रेटिना पर असर पड़ सकता है। लगातार ब्लू लाइट एक्सपोजर से मैक्युलर डिजेनरेशन जैसी गंभीर समस्या का खतरा बढ़ सकता है, जो उम्र बढ़ने पर स्थायी दृष्टि हानि का कारण बन सकती है। यानी स्क्रीन टाइम अपने आप में खतरनाक नहीं है, लेकिन इसकी अति भविष्य में गंभीर दिक्कतें खड़ी कर सकती है।
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बच्चों की आंखें अभी विकसित हो रही होती हैं। ऐसे में लगातार स्क्रीन देखने से उनकी आंखों पर ज्यादा दबाव पड़ता है। ज्यादा स्क्रीन टाइम वाले बच्चों में मायोपिया (नजदीक का चश्मा लगना) तेजी से बढ़ रहा है। यही नहीं, देर तक मोबाइल इस्तेमाल करने से उनकी नींद की क्वालिटी भी प्रभावित होती है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
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स्क्रीन टाइम का आंखों पर असर
डॉक्टर ........ बताते हैं कि लंबे समय तक स्क्रीन पर लगातार देखने से आंखों में सूखापन, जलन, धुंधला दिखना और सिरदर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इसे मेडिकल भाषा में डिजिटल आई स्ट्रेन (Digital Eye Strain) या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहा जाता है। स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों की कोशिकाओं पर दबाव डालती है, जिससे आंखें जल्दी थक जाती हैं।
बचाव के आसान उपाय
- हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें।
- बार-बार पलकें झपकाएं, इससे आंखें सूखने से बचेंगी।
- स्क्रीन की ब्राइटनेस कंट्रोल करें, बहुत ज्यादा रोशनी या अंधेरे में स्क्रीन न देखें।
- एंटी-ग्लेयर ग्लासेस का प्रयोग करें, यह ब्लू लाइट से आंखों को सुरक्षा देता है।
- पर्याप्त नींद लें, इससे आंखों को आराम मिलता है।
डॉक्टर की राय
डॉक्टर ........ का मानना है कि स्क्रीन का इस्तेमाल पूरी तरह बंद करना संभव नहीं है, लेकिन इसके उपयोग को सीमित करना और आंखों की सही देखभाल करना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों में स्क्रीन टाइम 1-2 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
निष्कर्ष
ज्यादा स्क्रीन टाइम तुरंत आंखों को स्थायी नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन यह धीरे-धीरे आंखों की सेहत को कमजोर करता है और भविष्य में गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। इसलिए जरुरी है कि हम स्क्रीन का इस्तेमाल संतुलित तरीके से करें, आंखों को पर्याप्त आराम दें और सही आदतें अपनाएं।
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FAQ
बच्चों में स्क्रीन टाइम कितना होना चाहिए?
बच्चों के लिए 1-2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम की सलाह नहीं देते। छोटे बच्चों को स्क्रीन से दूर रखना सबसे अच्छा है।स्क्रीन देखने से आंखों में जलन और धुंधलापन क्यों होता है?
लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखें कम पलक झपकाती हैं, जिससे सूखापन और थकान बढ़ती है और यही वजह जलन व धुंधलापन बनती है।क्या ब्लू लाइट फिल्टर चश्मा आंखों को बचाता है?
एंटी-ग्लेयर या ब्लू लाइट फिल्टर चश्मा लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करने वालों के लिए मददगार हो सकता है।
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Nov 05, 2025 20:00 IST
Published By : Anurag Gupta