आज के डिजिटल युग में बच्चे भी मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप और टीवी जैसी स्क्रीन डिवाइसों से जुड़े हुए हैं। ऑनलाइन क्लासेज, गेम्स और वीडियो देखने की आदत ने बच्चों के स्क्रीन टाइम को काफी बढ़ा दिया है। लेकिन ज्यादा स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों की आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जिन बच्चों का ज्यादा समय स्क्रीन के सामने बीतता है उन बच्चों में आंखों की कमजोरी, आंखों में जलन, सूखापन और कमजोर नजर जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि माता-पिता बच्चों के स्क्रीन टाइम को कंट्रोल करें और उनकी आंखों की देखभाल के लिए खास उपाय करें।
दरअसल, जब बच्चे लगातार स्क्रीन पर देखते रहते हैं तो उनकी आंखों को लगातार फोकस बनाए रखना पड़ता है। इससे आंखों की मांसपेशियां थक जाती हैं और आंखों की पलकें कम झपकती हैं, जिससे आंखों में ड्राईनेस और जलन हो जाती है। इसके अलावा ब्लू लाइट एक्सपोजर भी बच्चों की आंखों के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। इससे न केवल नजर कमजोर होती है बल्कि माइग्रेन, सिर दर्द जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इस लेख में एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज (Dr. Sudhir Kumar Bhardwaj, General Physician, Sant Bhagat Singh Maharaj Charitable Hospital, NIT Faridabad) से जानिए, स्क्रीन टाइम से बच्चों की आंखें सुरक्षित रखने के तरीके क्या हैं?
स्क्रीन टाइम से बच्चों की आंखें सुरक्षित रखने के तरीके - Tips To Avoid Screen Time Effect On Kids Eyes
माता-पिता अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम को कंट्रोल करें और उन्हें आउटडोर खेलों और पढ़ाई की तरफ प्रेरित करें। बच्चों को मोबाइल या टीवी पर बिना जरूरत के ज्यादा समय बिताने से रोकें। साथ ही, बच्चों को नियमित रूप से आंखों की जांच के लिए डॉक्टर के पास लेकर जाएं। अगर कोई समस्या नजर आए तो तुरंत इलाज शुरू करवाएं। स्क्रीन टाइम से बच्चों की आंखों में धीरे-धीरे समस्या बढ़ सकती है, जो शुरुआत में दिखाई नहीं देती। इससे शुरुआती लक्षणों को पकड़कर समय रहते सही उपचार किया जा सकता है। अगर बच्चे डिजिटल डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं तो स्क्रीन की ब्राइटनेस कम रखें, ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग करें और स्क्रीन को साफ-सुथरा रखें। इससे आंखों पर दबाव कम होगा।
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1. स्क्रीन टाइम को कम करें
बच्चों के लिए रोजाना स्क्रीन टाइम 1 से 2 घंटे तक ही सीमित करें। छोटे बच्चों के लिए तो इससे भी कम समय बेहतर है। 2 घंटे के बाद आंखों को आराम देना जरूरी है।
2. 20-20-20 नियम अपनाएं
हर 20 मिनट में बच्चे को स्क्रीन से दूर 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड तक देखने को कहें। इससे आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है और थकावट कम (baccho ki eyes sahi kaise kare) होती है।
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3. पर्याप्त रोशनी का ध्यान रखें
स्क्रीन देखने के दौरान कमरे में अच्छी रोशनी होनी चाहिए। बहुत ज्यादा या बहुत कम रोशनी दोनों ही आंखों के लिए हानिकारक हैं।
4. सही दूरी बनाए रखें
बच्चों को सिखाएं कि वे स्क्रीन को कम से कम 25-30 इंच (लगभग एक हाथ की दूरी) पर रखें। स्क्रीन आंखों के बिलकुल सामने या बहुत करीब न हो।
5. आंखों के लिए सही डाइट
आंखों की सेहत के लिए गाजर, पालक, टमाटर, नट्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले फूड्स जरूर शामिल करें। विटामिन A, C और E आंखों की रोशनी सुधारने में मदद करते हैं। अखरोट और किशमिश जैसी नेचुरल चीजें दें, ये नेचुरल फूड्स आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक होते हैं और आंखों को मजबूत बनाते हैं।
निष्कर्ष
ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों की आंखें कमजोर होना एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। सही समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह समस्या बच्चों के पूरे जीवन को प्रभावित कर सकती है। इसलिए स्क्रीन टाइम पर कंट्रोल, नियमित ब्रेक, सही पोषण और आंखों की नियमित जांच बेहद जरूरी है। माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की आंखों की सेहत का पूरा ध्यान रखें ताकि वे हेल्दी और एक्टिव रह सकें।
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FAQ
बच्चों का स्क्रीन टाइम कितना होना चाहिए?
बच्चों के स्क्रीन टाइम को लेकर डॉक्टर की सलाह है कि 2 साल से छोटे बच्चों को स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए। 2 से 5 साल तक के बच्चों के लिए प्रतिदिन अधिकतम 1 घंटे तक ही स्क्रीन टाइम उपयुक्त माना जाता है, वह भी केवल क्रिएटिव कंटेंट के लिए। 6 साल से बड़े बच्चों के लिए भी स्क्रीन टाइम सीमित होना चाहिए और उसे फिजिकल एक्टिविटी, नींद और पढ़ाई के संतुलन में रखा जाना जरूरी है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के स्क्रीन उपयोग पर निगरानी रखें और उन्हें आउटडोर एक्टिविटी के लिए प्रोत्साहित करें।बच्चों की आंखें कैसे खराब हो रही हैं?
आज के समय में मोबाइल, लैपटॉप और टीवी जैसे डिजिटल डिवाइस का ज्यादा उपयोग बच्चों की आंखों पर बुरा असर डाल रहा है। लंबे समय तक स्क्रीन पर देखने से बच्चों की आंखों में ड्राईनेस, जलन, धुंधलापन और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। स्क्रीन की तेज रोशनी और लगातार फोकस करने से आंखों की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है, जिससे नजर कमजोर हो सकती है। इसके अलावा, बच्चों की झपकने की दर भी स्क्रीन देखते समय कम हो जाती है, जिससे ड्राई आई की समस्या बढ़ सकती है।बच्चों की आंखें कमजोर होने के क्या लक्षण हैं?
बच्चों की आंखें कमजोर होने के कई लक्षण हो सकते हैं जिन्हें माता-पिता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जैसे टीवी या किताब बहुत पास से देखना, बार-बार आंखें मिचमिचाना, आंखों को मलना, सिरदर्द की शिकायत करना, क्लास में बोर्ड साफ न दिखना या पढ़ाई में रुचि कम होना। इसके अलावा कुछ बच्चे एक आंख बंद करके चीजें देखते हैं या चलने-फिरने में असहज महसूस करते हैं। आंखों में पानी आना या बार-बार लाल होना भी नजर कमजोर होने के संकेत हो सकते हैं। अगर ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत आंखों के डॉक्टर से सलाह लें।