
गर्मियों की छुट्टियां बच्चों के लिए मस्ती और आराम का समय होता है, लेकिन आज के डिजिटल युग में बच्चे छुट्टियों में स्क्रीन पर समय बिताना पसंद करते हैं। जब स्कूल बंद होते हैं और दिन भर का कोई तय रूटीन नहीं होता, तो बच्चे टीवी, मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट पर समय बिताने लगते हैं। कई माता-पिता भी बच्चों को व्यस्त रखने के लिए स्क्रीन का सहारा लेते हैं ताकि वे अपने काम निपटा सकें। यही आदत धीरे-धीरे स्क्रीन की लत में बदल जाती है। छुट्टियों में माता-पिता गर्मी के कारण बच्चों को बाहर खेलने नहीं भेजते, जिससे बच्चों के पास स्क्रीन के अलावा मनोरंजन का दूसरा जरिया नहीं बचता। कुछ बच्चे गेम्स, यूट्यूब वीडियो या सोशल मीडिया पर समय बिताने लगते हैं। देखने में यह आदत भले ही आपको सामान्य लगे, लेकिन लंबे समय तक बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम बच्चों की सेहत पर गंभीर असर डाल सकता है। इससे बच्चों की नींद, आंखों की सेहत, मानसिक स्थिति और व्यवहार प्रभावित होने लगता है। इस लेख में जानेंगे बच्चों की सेहत के लिए स्क्रीन टाइम बढ़ने के नुकसान और बचाव के तरीके। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
शारीरिक सेहत पर असर- Impact on Physical Health
लंबे समय तक मोबाइल या टीवी देखने से बच्चों की आंखें थकने लगती हैं, सिर दर्द और धुंधलापन जैसे लक्षण दिख सकते हैं। लगातार बैठकर स्क्रीन देखने से उनकी शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं, जिससे मोटापा, कमर दर्द और खराब पॉश्चर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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मानसिक विकास पर प्रभाव- Effect on Mental Development
बच्चों का दिमाग तेजी से विकसित होता है और अगर वह दिनभर स्क्रीन पर डटा रहेगा, तो उसकी सोचने-समझने और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता पर असर पड़ता है। ज्यादा स्क्रीन टाइम, चिड़चिड़ापन, बेचैनी और सोशल डिसकनेक्शन की वजह बन सकता है।
नींद और व्यवहार पर असर- Effect on Sleep and Behaviour
स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट बच्चों की नींद की क्वालिटी को प्रभावित करती है। रात में देर तक मोबाइल या टीवी देखने से नींद देर से आती है या टूट-टूट कर आती है। इसके अलावा, बच्चे ज्यादा जिद्दी और हिंसक व्यवहार दिखा सकते हैं।
स्क्रीन टाइम बढ़ने से सामाजिक कौशल कम हो जाता है- Decline in Social Skills
स्क्रीन की आदत से बच्चे दूसरों से बातचीत और मेलजोल से दूर हो जाते हैं। वे परिवार या दोस्तों के साथ समय बिताने के बजाय वर्चुअल दुनिया में खोए रहते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास और बातचीत की क्षमता घट सकती है।
स्क्रीन टाइम को कम करने के उपाय- Ways to Reduce Screen Time

हर स्क्रीन टाइम बुरा नहीं होता। एजुकेशनल वीडियोज, बच्चों के लिए हेल्दी गेम्स और इंटरएक्टिव लर्निंग ऐप्स उनके दिमाग को एक्टिव रखने में मदद कर सकते हैं, बशर्ते बच्चों के लिए स्क्रीन देखने का समय सीमित हो और पैरेंट्स समय पर निगरानी रखें। इसके साथ ही बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं-
- बच्चों के लिए एक फिक्स रूटीन बनाएं जिसमें पढ़ाई, खेल और रेस्ट का संतुलन हो।
- घर में स्क्रीन-फ्री टाइम तय करें जैसे रात का डिनर समय या सोने से एक घंटा पहले।
- उन्हें इंडोर और क्रिएटिव गेम्स जैसे पजल्स, ड्रॉइंग, डांस आदि में व्यस्त रखें।
- पैरेंट्स खुद भी स्क्रीन यूज को कम करें ताकि बच्चे अच्छी आदत सीखें।
- बच्चों को आउटडोर एक्सपोजर दें जैसे सुबह की वॉक, टेरेस एक्टिविटी या गार्डनिंग।
छुट्टियों में बच्चों का स्क्रीन टाइम अचानक बढ़ जाना स्वाभाविक है, लेकिन इसकी आदत से होने वाले नुकसान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर समय रहते सावधानी न बरती जाए, तो यह उनके विकास को प्रभावित कर सकता है।
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FAQ
बच्चों का स्क्रीन टाइम कितना होना चाहिए?
2 से 5 साल के बच्चों को दिनभर में 1 घंटे से ज्यादा का स्क्रीन टाइम नहीं मिलना चाहिए। 6 साल और उससे बड़े बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम के संतुलन के साथ पढ़ाई, नींद और खेल का संतुलन भी बनाए रखना जरूरी है।बच्चों की सेहत के लिए स्क्रीन टाइम के नुकसान
स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों की आंखों पर दबाव पड़ता है, नींद की गुणवत्ता खराब होती है, मोटापा बढ़ सकता है और मानसिक विकास में रुकावट आती है। ज्यादा समय मोबाइल में रहने से सामाजिक दूरी भी बढ़ने लगती है।बच्चे के फोन की लत को कैसे रोकें?
बच्चों के स्क्रीन टाइम के लिए नियम बनाएं, उन्हें आउटडोर गेम्स और क्रिएटिव एक्टिविटीज में व्यस्त रखें। फोन केवल पढ़ाई या सीमित मनोरंजन के लिए दें और दिन में नो स्क्रीन टाइम तय करें।
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