Benefits of Walking Barefoot on Grass During Pregnancy: गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब महिला को अपने साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत का भी खास ख्याल रखना होता है। गर्भावस्था के समय खानपान, नींद, मानसिक स्थिति, भावनात्मक संतुलन और फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान देना जरूरी माना जाता है। गर्भावस्था में आज भी भारतीय महिलाएं मॉर्डन जमाने के नुस्खों की बजाय दादी-नानी की बातों को ही मानना पसंद करती हैं। इन्हीं में से एक है सुबह के समय नंगे पांव घास पर चलना।
गर्भावस्था में घास पर चलना बेशक से एक आम प्रक्रिया लग सकती है, लेकिन ये महिलाओं के शारीरिक और मानसिक विकास को बेहतर बनाती है। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं गर्भावस्था में घास पर चलने के फायदों के बारे में।
घास पर चलने पर क्या कहती है रिसर्च
घास पर चलने पर हुई एक रिसर्च बताती है कि घास पर चलना विशेष रूप से सुबह के समय जब ओस की बूंदें उस पर जमी होती हैं, तब ज्यादा फायदेमंद होता है। घास पर चलने की प्रक्रिया को "ईको थेरेपी", "अर्थिंग" या "ग्राउंडिंग" के नाम से भी जाना जाता है। घास पर चलना बुजुर्गों के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। रिसर्च के अनुसार, घास पर चलने से पैरों के तलों में मौजूद नर्व एंडिंग्स को उत्तेजना मिलती है, जिससे शरीर में एनर्जी को सर्कुलेट करता है। इससे बीमारियों का खतरा कम होता है।
इसे भी पढ़ेंः प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी है Cervix का हेल्दी रहना, डॉ चंचल शर्मा से जानें इसे हेल्दी कैसे रखें
गर्भावस्था में घास पर चलने के फायदे- Benefits of Walking on Grass During Pregnancy
एलांटिस हेल्थकेयर दिल्ली के मैनेजिंग डायरेक्टर, इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट और स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मनन गुप्ता (Dr. Mannan Gupta, Obstetrician, Gynecologist and Infertility Specialist, New delhi) के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन बदलावों के कारण चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, एंग्जाइटी और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं होती हैं। इन समस्याओं से राहत दिलाने में घास पर चलना फायदेमंद होता है।
इसे भी पढ़ें: क्या पीरियड्स के दौरान खट्टा खाने से ज्यादा ब्लीडिंग होती है? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर
1. तनाव को करें कम- Reduce stress by walking on grass
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है। कोर्टिसोल हार्मोन तनाव बढ़ाने वाला हार्मोन माना जाता है। गर्भावस्था में घास पर चलने से सेरोटोनिन जैसे खुशहाली बढ़ाने वाले हार्मोन को बढ़ावा मिलता है। नियमित तौर पर गर्भावस्था में घास पर चलने से मानसिक तनाव कम हो सकता है।
2. नींद की गुणवत्ता में सुधार- Walking on grass improves sleep quality
गर्भावस्था के अंतिम महीनों में नींद न आने की समस्या और अनिद्रा एक सामान्य समस्या है। ऐसे में घास पर चलने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है और हार्मोनल संतुलन बेहतर होता है। जब हार्मोन संतुलित रहते हैं नींद की गुणवत्ता को सुधारते हैं।
इसे भी पढ़ेंः क्या प्रेग्नेंसी में सिर में दर्द रहना सामान्य बात है? डॉक्टर से जानें इसका इलाज और बचाव के उपाय
3. विटामिन डी का अवशोषण बढ़ाए- Walking on grass increases the absorption of vitamin D
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ की मानें तो गर्भावस्था में महिलाओं को विटामिन डी की कमी शिशु की हड्डियों और इम्यून सिस्टम पर असर डाल सकती है। सुबह-सुबह घास पर चलने से महिला का शरीर धूप के संपर्क में आता है। इससे विटामिन डी का अवशोषण बेहतर होता है।
4. ब्रेन फंक्शन में सुधार- Improves brain function
घास पर चलने के दौरान पैरों के तलों में स्थित विशेष बिंदु (जिसे एक्यूप्रेशर पॉइंट्स कहा जाता है) उत्तेजित होते हैं। इन बिंदुओं का संबंध सीधे हमारे दिमाग से होता है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान रोजाना 15 मिनट घास पर चलने से ब्रेन फंक्शन में सुधार आता है।
5. ब्लड प्रेशर को करें मैनेज - Manage blood pressure
गर्भावस्था में हार्मोनल बदलावों के कारण ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल असंतुलित होना आम बात है। गर्भावस्था में ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर अगर ज्यादा हो तो ये मां और शिशु दोनों के लिए नुकसानदेह साबित होता है। नियमित रूप से सुबह घास पर चलने से यह संतुलन बना रहता है।
6. पाचन तंत्र को बनाएं बेहतर- Make the digestive system better
गर्भावस्था के दौरान कब्ज, गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। नंगे पांव घास पर चलने से पाचन अग्नि उत्तेजित होती है। इससे पेट दर्द, कब्ज और अपच को दूर करने में मदद मिलती है।
इसे भी पढ़ेंः प्रेग्नेंसी में दृष्टि धामी ने भारी डंबल्स के साथ किया वर्कआउट, डॉक्टर से जानें क्या ऐसा करना है सेफ?
7. पैरों की सूजन करे कम- Reduce swelling of the feet
गर्भावस्था के दूसरे और तीसरे तिमाही में पैरों की सूजन (Edema) आम समस्या है। घास पर चलने से पैरों की मालिश जैसा एहसास होता है। ये पैरों की सूजन और दर्द को भी कम करता है।
निष्कर्ष
प्रेग्नेंसी में घास पर चलना एक छोटा-सा लेकिन अत्यंत प्रभावशाली कदम है जो मां और बच्चे दोनों की सेहत को बेहतर बनाने में सहायक होता है। अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो रोजाना 15 से 20 मिनट घास पर जरूर चलें।
Pregnancy Month by Month in Hindi: महीने दर महीने गर्भावस्था की संपूर्ण जानकारी के लिया ये यहाँ पढ़े
1 महीने की गर्भावस्था | 2 महीने की गर्भावस्था | 3 महीने की गर्भावस्था | 4 महीने की गर्भावस्था | 5 महीने की गर्भावस्था | 6 महीने की गर्भावस्था | 7 महीने की गर्भावस्था | 8 महीने की गर्भावस्था | 9 महीने की गर्भावस्था
FAQ
गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा चलने से क्या होता है?
गर्भावस्था में बहुत ज्यादा चलने से थकान, पीठ दर्द, पैरों में सूजन और चक्कर आ सकते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट गर्भावस्था के दौरान सिर्फ 15 से 20 मिनट ही चलना फायदेमंद होता है।गर्भवती महिला को कितनी देर तक चलना चाहिए?
गर्भवती महिला को दिन में 20 से 30 मिनट तक सही पोजिशन और हल्के चलना फायदेमंद माना जाता है। डॉक्टर की सलाह अनुसार समय और दूरी कम या ज्यादा की जा सकती है।प्रेगनेंसी में कैसे नहीं बैठना चाहिए?
प्रेगनेंसी में झुककर या पैर मोड़कर ज्यादा देर बैठना नहीं चाहिए। रीढ़ सीधी रखें, पीठ को सहारा दें और लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठें।