रोजाना वॉक करना सेहत के लिए लाभकारी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बसंत ऋतु (फरवरी से अप्रैल) में नंगे पैर चलना आपके शरीर और मन दोनों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है? आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में नंगे पैर चलने से शरीर का संतुलन बना रहता है और कई बीमारियों से बचाव होता है। नंगे पैर चलने से पैरों के तलवों में स्थित मर्म बिंदु सक्रिय होते हैं, जिससे शरीर की ऊर्जा प्रवाहित होती है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। इस लेख में आयुर्वेदिक डॉक्टर मनीषा मिश्रा से जानिए, बसंत ऋतु में नंगे पैर चलने के फायदे क्या हैं?
बसंत ऋतु में नंगे पैर चलने के फायदे - Walk Bare Foot In Spring Season Benefits
आयुर्वेदिक डॉक्टर मनीषा मिश्रा बताती हैं कि बसंत ऋतु में नंगे पैर चलने की प्रक्रिया को आयुर्वेद में एक जरूरी अभ्यास माना जाता है, जो शरीर को शुद्ध करने और ताजगी लाने में मदद करता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से नंगे पैर चलने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, और कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान भी मिलता है।
1. पॉश्चर में सुधार
जब हम नंगे पैर चलते हैं, तो हमारे पैरों के मर्म स्थान एक्टिव हो जाते हैं। इन मर्म स्थानों को दबाने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह तेजी से होता है। इससे न केवल पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, बल्कि शरीर के पॉश्चर में भी सुधार आता है। बसंत ऋतु में नंगे पैर चलने से शरीर में लचीलापन बढ़ता है और गलत पॉश्चर के कारण होने वाली समस्याएं जैसे पीठ दर्द और घुटनों के दर्द से राहत मिलती है।
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2. एड़ी के दर्द और सूजन को कम करे
नंगे पैर चलने से शरीर के कई बिंदुओं पर दबाव पड़ता है, जो खासकर पैरों की एड़ी में दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है। बसंत ऋतु में जब हम गीली घास, मिट्टी या रेत पर चलते हैं, तो यह पैरों के तलवों पर प्राकृतिक दबाव डालता है, जिससे सूजन और दर्द में राहत मिलती है। यह प्रक्रिया ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देती है, जिससे शरीर में सूजन घटती है और दर्द की समस्याओं से निजात मिलती है।
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3. नींद की क्वालिटी में सुधार
बसंत ऋतु में नंगे पैर चलने का एक और लाभ है नींद की क्वालिटी में सुधार। आयुर्वेद के अनुसार, नंगे पैर चलने से शरीर में शीतलता का संतुलन बनता है और मानसिक तनाव कम होता है। जब आप पैरों को ठंडी मिट्टी या घास पर रखते हैं, तो यह आपके शरीर के भीतर से अतिरिक्त गर्मी को बाहर निकालता है और ठंडक पहुंचाता है, जिससे नींद में सुधार होता है।
4. शरीर को शांत करे
आयुर्वेद के अनुसार, नंगे पैर चलने से शरीर की शीतलता बढ़ती है, जो सूजन और गर्मी को कंट्रोल करती है। खासकर उन लोगों के लिए, जिनके शरीर में पित्त की अधिकता होती है, नंगे पैर चलने से बहुत लाभ होता है। यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है और सूजन को कम करता है। बसंत ऋतु में नंगे पैर चलने से शरीर में गर्मी कम होती है और शरीर को प्राकृतिक शीतलता मिलती है।
किस तरह से नंगे पैर चलना चाहिए?
नंगे पैर चलने का सही तरीका भी जरूरी है। नंगे पैर चलने के लिए मिट्टी, रेत और घास सबसे उपयुक्त सतह होती है। इन सतहों पर चलने से पैरों के तलवों के मर्म स्थानों पर प्राकृतिक दबाव पड़ता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और शारीरिक विकार दूर होते हैं। बसंत ऋतु में रोजाना 10 से 15 मिनट नंगे पैर चलने से बेहतर परिणाम मिलते हैं। कंक्रीट की सख्त सतह पर नंगे पैर चलना हानिकारक हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह पैरों पर ज्यादा दबाव डालता है और दर्द का कारण बन सकता है।
किन लोगों को नंगे पैर चलने से बचना चाहिए? - Who Should Avoid Walking Barefoot
रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, जिन लोगों की शरीर की तासीर ठंडी होती है, उन्हें नंगे पैर चलने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे शरीर में शीत गुण बढ़ सकता है। इससे जुकाम, खांसी और जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। वहीं, ज्यादा ठंडी जगहों में नंगे पैर चलने से बचना चाहिए क्योंकि इससे पैरों में सूजन और सुन्नपन हो सकता है।
निष्कर्ष
आयुर्वेद के अनुसार, बसंत ऋतु में नंगे पैर चलना एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। इससे न केवल पैरों को मजबूती मिलती है, बल्कि शरीर में ऊर्जा का प्रवाह भी बेहतर होता है। यह सूजन कम करने, नींद की क्वालिटी सुधारने और शारीरिक दर्द से राहत पाने में मदद करता है।
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