
आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों का उपयोग प्राचीन समय से स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता रहा है। इनमें से एक प्रसिद्ध औषधि है मुस्त सिद्ध जल, जिसे नागरमोथा (Cyperus rotundus) से बनाया जाता है। यह एक अद्भुत प्राकृतिक उपाय है, जो शरीर में संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। मुस्त सिद्ध जल शारीरिक विकारों को दूर करता है और शरीर में ठंडक और शांति प्रदान करता है। मुस्त सिद्ध जल का सेवन विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जिनके शरीर में पित्त या कफ दोष की अधिकता होती है। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, मुस्त सिद्ध जल बनाने का तरीका और फायदे क्या हैं?
मुस्त सिद्ध जल के फायदे - Musta Siddha Jal Benefits
1. पित्त और कफ दोष को संतुलित करे
मुस्त सिद्ध जल आयुर्वेद के अनुसार पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने का एक प्रभावी उपाय है। जब शरीर में पित्त की अधिकता होती है, तो यह जल उसे शांत करता है, जिससे शरीर में ठंडक बनी रहती है। इसके अलावा, कफ दोष को कंट्रोल करने में भी यह जल मदद करता है, जो श्वसन तंत्र की समस्याओं को ठीक करने में सहायक होता है। इसके सेवन से पाचन तंत्र में भी सुधार होता है।
इसे भी पढ़ें: Arogya with Ayurveda: सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती है नागरमोथा घास, गर्मियों में इस तरह से करें इसका सेवन
2 बुखार और शरीर दर्द में राहत
नागरमोथा को आयुर्वेद में आमपाचक माना गया है, जो पाचन तंत्र को शांत करता है और शरीर में उत्पन्न होने वाली गर्मी को कम करता है। मुस्त सिद्ध जल का सेवन बुखार और शरीर के दर्द को कम करने में मदद करता है। यह शरीर की अतिरिक्त गर्मी को बाहर निकालता है और शरीर को ठंडक प्रदान करता है, जिससे बुखार में आराम मिलता है और दर्द भी कम होता है।
इसे भी पढ़ें: पानी में नागरमोथा पाउडर डालकर नहाने से मिलते हैं ये अनोखे फायदे, जानें तरीका
3. पेट संबंधी समस्याओं में सुधार
मुस्त सिद्ध जल पेट की समस्याओं में भी बहुत लाभकारी है। यह जल एसिडिटी, ब्लोटिंग और गैस जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और पाचन तंत्र में संतुलन बनाए रखता है। जो लोग पेट संबंधी विकारों जैसे पेट में भारीपन या गैस की समस्या से परेशान रहते हैं, उनके लिए यह एक बेहतरीन उपाय है। हालांकि, जिन लोगों को कब्ज की समस्या है, उन्हें इसका अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह मल को ग्राही करता है।
मुस्त सिद्ध जल बनाने का तरीका
मुस्त सिद्ध जल बनाने की प्रक्रिया बहुत सरल है और यह किसी विशेष सामग्री की जरूरत नहीं होती। इसे घर पर आसानी से तैयार किया जा सकता है। 1 छोटी चम्मच मुस्ता पाउडर (नट घास पाउडर) या नागरमोथा की जड़ को 2 कप पानी के साथ तब तक उबालें जब तक वह आधा न हो जाए, यानी 1 कप रह जाए। जब पानी एक कप रह जाए, तो इसे छान लें। अब आपका मुस्त सिद्ध जल तैयार है। इसे आप गुनगुना या कमरे के तापमान पर पी सकते हैं।
निष्कर्ष
मुस्त सिद्ध जल एक अद्भुत आयुर्वेदिक उपाय है, जो शरीर में ठंडक और संतुलन बनाए रखने के साथ-साथ कई स्वास्थ्य समस्याओं में राहत प्रदान करता है। इसके नियमित सेवन से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है, श्वसन तंत्र में सुधार होता है। यह जल बुखार, पेट की समस्याओं के लिए भी बहुत लाभकारी है।
All Images Credit- Freepik
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version