Arogya with Ayurveda: आयुर्वेद 5000 साल पुरानी प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसमें शरीर में वात, पित्त और कफ के संतुलन पर जोर दिया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, सेहतमंद होने का मतलब सिर्फ व्यक्ति का रोगमुक्त होना नहीं है, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन को बनाए रखना है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर तीन दोषों वात, पित्त और कफ से बना है और प्रत्येक व्यक्ति में इन दोषों का अनुपात अलग-अलग होता है। आयुर्वेदाचार्य व्यक्ति के शरीर में इन्ही दोषों के अनुपात की जांच करके व्यक्ति के शरीर की प्रकृति को पहचानते हैं और उचित इलाज करते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, आहार, योग, ध्यान और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से बीमारियों और सेहत से जुड़ी समस्याओं का इलाज किया जाता है। इन दिनों गर्मियों का मौसम है और ऐसे में उन जड़ी बूटियों के बारे में आम जनता का जानना बहुत जरूरी है जिनकी तासीर ठंडी हो। इसी क्रम में आज हम मुस्तक जिसे नागरमोथा भी कहते हैं, इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। इस हर्ब के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से बातचीत की है, जिसमें उन्होंने नागरमोथा के फायदों (What is the benefit of nagarmotha herb) और इसके सेवन के तरीकों के बारे में बताया है।
आयुर्वेद एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिसमें सिर्फ बीमारी का इलाज नहीं होता है बल्कि बीमारी की जड़ के बारे में पता लगाकर इसे खत्म किया जाता है। जिससे व्यक्ति को अनेक लाभ मिलते हैं। आयुर्वेद के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों तक जानकारी पहुंचाने के उद्देश्य से ओन्लीमायहेल्थ ने 'आरोग्य विद आयुर्वेद' (Arogya with Ayurveda) स्पेशल सीरीज शुरू की है। इस सीरीज में हम अपने पाठकों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों और जड़ी-बूटियों के बारे में विस्तार से जानकारी देगें और इसके साथ ही रियल लाइफ स्टोरीज भी शेयर करेंगे, जिससे लोगों का रुझान आयुर्वेद के प्रति बढ़े। 'आरोग्य विद आयुर्वेद' सीरीज के तहत हम आयुर्वेदाचार्य से जुड़कर अलग-अलग मौसम के अनुसार जड़ी-बूटियों और आहार के बारे में भी बताएंगे।
आयुर्वेद में मुस्तक क्या है? - What Is Mustak
मुस्तक (नागरमोथा) का वैज्ञानिक नाम 'Cyperus Rotundus है, यह एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसे 'मुथा', 'मोथा', मुस्तक और नागरमोथा आदि नामों से भी जाना जाता है। नागरमोथा एक घास है जो कि भारत में बहुतायत में पाई जाती है और इसके कंद (tubers) और जड़ का उपयोग औषधीय गुणों के लिए किया जाता है। आयुर्वेदाचार्य ने बताया कि नागरमोथा आसानी से आपको पार्क या सड़क के किनारे दिख जाएगी। यह देखने में हरी और लंबी होती है, खासकर बारिश के मौसम में यह तेजी से बढ़ती है।
नागरमोथा की तासीर क्या होती है? - What Is The Effect Of Nagarmotha
नागरमोथा (मुस्तक) की तासीर ठंडी होती है और यह ग्राही यानी मल को बांधने वाली होती है। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में पाचन अग्नि मंद हो गई है तो मुस्तक का सेवन करने से पाचन अग्नि बढ़ सकती है।
इसे भी पढ़ें: आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए सुबह के रूटीन में करें ये 5 बदलाव, नहीं पड़ेंगे बीमार
नागरमोथा के क्या-क्या फायदे हैं? - What Is The Benefit Of Nagarmotha Herb
1. जिन व्यक्तियों को भूख कम लगती है या भोजन करने की इच्छा नहीं होती है उनके लिए भी मुस्तक का सेवन लाभदायक होता है। इसके सेवन से भूख बढ़ती है, आयुर्वेद में इसे रुचिकर बताया गया है।
2. नागरमोथा की जड़ का इस्तेमाल कई स्वास्थ्य समस्याओं में किया जाता है। इसकी जड़ सुगंधित होती है और दस्त को रोकने में कारगर साबित होती है।
3. जिन व्यक्तियों को दस्त की शिकायत रहती है उनके लिए नागरमोथा की जड़ का सेवन बेहद लाभकारी हो सकता है।
4. बदहजमी की समस्या के लिए भी मुस्तक का इस्तेमाल लाभदायक होता है, इससे पाचन संबंधी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
5. नागरमोथा का इस्तेमाल वात दोषों को दूर करने के लिए भी किया जाता है।
6. नागरमोथा मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करता है और मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभकारी होता है।
बालों के लिए नागरमोथा का उपयोग कैसे करें? - How To Use Nagarmotha For Hair
नागरमोथा का बालों पर कुछ खास असर नहीं होता है। लेकिन अगर आप इसका सेवन करना चाहते हैं तो भोजन करने के 1 घंटे बाद 1 ग्राम नागरमोथा पाउडर का सेवन करने से आपको कुछ लाभ मिल सकता है।
वजन घटाने के लिए नागरमोथा का उपयोग कैसे करें? - How To Use Nagarmotha For Weight Loss
आयुर्वेदाचार्य का कहना है कि नागरमोथा का उपयोग वजन कम करने में सहायक नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह ग्राही होता है।
प्रेग्नेंसी में नागरमोथा का उपयोग - Nagarmotha In Pregnancy
आयुर्वेदाचार्य ने बताया कि चूंकि नागरमोथा की तासीर शीत यानी ठंडी होती है, ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान इसका सेवन किया जा सकता है। गर्भवती महिला को अगर गर्मी ज्यादा लगती है या मल पतला आता है तो इसका सेवन शरीर के अनुसार 1 से 3 ग्राम तक किया जा सकता है।
इसे भी पढ़ें: आयुर्वेद के अनुसार घर पर नेचुरल तरीके से बुखार कैसे ठीक करें? आयुर्वेदाचार्य से जानें
नागरमोथा का इस्तेमाल कैसे करें? - How To Use Nagarmotha
आयुर्वेदाचार्य ने बताया कि नागरमोथा (मुस्तक) का इस्तेमाल पशु-पक्षी से लेकर मनुष्य तक कर सकते हैं और यह सभी के लिए बेहद लाभदायक होती है। लेकिन इसे ताजा तोड़ने से पहले यह जरूर जाचें कि यह साफ जगह पर लगी हो यानी किसी प्रदूषित भूमि से आप इसे लेकर सेवन न करें।
इसे भी पढ़ें: अंडरआर्म की बदबू दूर करने के लिए अपनाएं ये 3 आयुर्वेदिक उपाय, खुजली और इरिटेशन भी होगी दूर
1. दस्त रोकने के लिए नागरमोथा की जड़ का इस्तेमाल किया जा सकता है। यूं तो बाजार में नागरमोथा की जड़ सूखे रूप में आसानी से मिल जाती है लेकिन आप ताजी जड़ का उपयोग भी दस्त रोकने के लिए कर सकते हैं।
2. आयुर्वेद के अनुसार नागरमोथा में ग्राही का गुण पाया जाता है जो कि दस्त को कंट्रोल करता है। इसे आप आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर शहद और अदरक के साथ ले सकते हैं।
3. पित्त के कारण जिन व्यक्तियों को सिरदर्द की समस्या होती है, उन्हें नागरमोथा के चूर्ण का सेवन करने से लाभ हो सकता है, यह सिरदर्द को कम करने में सहायक है।
4. पाचन समस्याओं से राहत पाने के लिए नागरमोथा की जड़ को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार किया जा सकता है। इससे अपच जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
5. नागरमोथा की जड़ का इस्तेमाल मासिक धर्म यानी पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जा सकता है। इसके लिए आप नागरमोथा की ताजी जड़ का पेस्ट बनाकर पानी के साथ सेवन कर सकते हैं।
आयुर्वेद में नागरमोथा के अनेक फायदे बताए गए हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति और प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर करें, जिससे आपको इसका भरपूर लाभ प्राप्त हो।
All Images Credit- Freepik