शारदीय नवरात्रि के समय कई लोग नौ दिनों का उपवास रखते हैं, जो न सिर्फ अध्यात्मक और भक्ति दिखाने का एक तरीका है, बल्कि ये व्रत आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। इस दौरान गर्म मौसम से हम सर्दी के मौसम में प्रवेश करते हैं, जिसका असर हमारी सेहत पर पड़ता है। आयुर्वेद में बदलते इस मौसम में अपने खान-पान और सेहत का खास ध्यान रखना बेहद जरूरी है। रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) बताते हैं कि मौसम में बदलाव के कारण आपके शरीर में कफ, पित्त और वात असंतुलित हो सकते हैं, जिससे शरीर में अग्नि और वायु का स्तर बढ़ जाता है। पित्त और वात दोष बढ़ने से पाचन से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती है। इसलिए, अगर आप नवरात्रि का व्रत रख रहे हैं तो दोषों को संतुलित करने के लिए आप आयुर्वेदिक टिप्स को फॉलो कर सकते हैं।
नवरात्रि व्रत में दोषों को संतुलित करने के आयुर्वेदिक टिप्स
1. तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें
तले हुए खाद्य पदार्थ आपके शरीर में तीनों दोषों को बढ़ा सकते हैं, खास तौर पर पित्त (जिससे एसिडिटी होती है) और कफ (जिससे सुस्ती और पाचन क्रिया धीमी होती है)। आप अपने व्रत के खाने को तलने के बजाय, कम से कम घी का उपयोग करके भाप में पकाए, उबले या हल्के से भूने।
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2. अनाज कम मात्रा में खाएं
बहुत अधिक अनाज, यहां तक कि ग्लूटेन-मुक्त अनाज भी आप में भारीपन पैदा कर सकते हैं और पाचन को प्रभावित कर सकते हैं, खास तौर पर कफ दोष में। इसलिए, अपने भोजन को हल्का और सादा रखें। अनाज जैसे कि कुट्टू या सामक चावल की थोड़ी मात्रा शामिल करें, जो हल्के और पचाने में आसान होते हैं। ये अनाज वात और पित्त को संतुलित करने के लिए बेहतर होते हैं।
3. ग्लूटेन वाले खाद्य पदार्थों से बचें
ग्लूटेन तीनों दोषों, खास तौर पर वात और कफ के लिए भारी और पचाने में मुश्किल हो सकता है, जिससे पेट फूल सकता है या पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। कुट्टू का आटा, सिंघाड़ा का आटा और राजगिरा जैसे नेचुरल रूप से ग्लूटेन-फ्री विकल्पों का सेवन करें, जो तीनों दोषों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं।
4. कुट्टू का आटा खाएं
कुट्टू का आटा हल्का और संतुलित होता है, खास तौर पर कफ और वात दोषों के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि यह गर्म होता है और बहुत भारी हुए बिना पाचन में मदद करता है। कुट्टू का आटा कम से कम तेल या घी का उपयोग करके पैनकेक या रोटी बनाकर खाएं, ताकि पाचन संतुलन बनाए रखने में मदद मिल सके।
5. अधिक फल खाएं
फल ठंडे और हाइड्रेटिंग होते हैं, पित्त दोष को संतुलित करते हैं और पचाने में आसान होते हैं, जो वात दोष को संतुलित करने में मदद करते हैं। ये खाने में हल्के भी होते हैं, जिससे कफ संतुलन को बेहतर बनाने का काम करता है। सेब, अनार, केला और पपीता जैसे मौसमी फलों का सेवन करें। ये आपके शरीर को प्राकृतिक मिठास देने और उपवास के दौरान पेट को साफ करने में मदद करते हैं।
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निष्कर्ष
नवरात्रि के व्रत के दौरान दोषों को संतुलित करने के लिए आप इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं। इसके अलावा, गर्म और ताजा पका हुआ भोजन ही करें, जो पचने में आसान होता है और वात और कफ को संतुलित करने में मदद करता है। साथ ही, फ्रिज में रखें बासी खाद्य पदार्थों को खाने से बचें, क्योंकि यह आपके पाचन को प्रभावित कर सकता है। इन आयुर्वेदिक उपायों को फॉलो करके, आप नवरात्रि के उपवास के दौरान तीनों दोषों को संतुलित कर सकते हैं और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रख सकते हैं।
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