भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां आज दुनिया भर में चर्चा का विषय बन चुकी हैं। इन्हीं में से एक है सिद्ध चिकित्सा पद्धति, जिसे आयुष मंत्रालय बढ़ावा दे रहा है। यह पद्धति खासतौर पर दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में प्राचीन काल से प्रचलित है और इसे दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक माना जाता है। 'सिद्ध' शब्द का अर्थ है अनुभवी या एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास ज्ञान है। इस पद्धति की मान्यता है कि रोग सिर्फ शरीर में नहीं, मन और आत्मा के स्तर पर भी होते हैं। सिद्ध चिकित्सा व्यक्ति की शारीरिक ऊर्जा, शरीर के तत्वों, आहार, जीवनशैली और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखकर इलाज करती है। हापुड़ के चरक मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर भारत भूषण और गाजियाबाद के राष्ट्रीय समाज एवम धर्मार्थ सेवा संस्थान के आयुर्वेदाचार्य डॉ राहुल चतुर्वेदी ने बताया कि इस पद्धति में औषधियों के रूप में हर्ब्स, धातु, खनिज, आहार और ध्यान का विशेष इस्तेमाल किया जाता है। यह पद्धति केवल इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों की रोकथाम पर भी जोर देती है। आइए अब विस्तार से जानते हैं कि आयुष मंत्रालय की सिद्ध चिकित्सा क्या है, इसके सिद्धांत क्या हैं और यह कैसे सेहत के लिए फायदेमंद है।
सिद्ध चिकित्सा क्या है?- What is Siddha Medicine
सिद्ध चिकित्सा भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु और दक्षिण भारत में प्रचलित है। इसे ऋषियों ने बनाया था, जिन्होंने प्राकृतिक तत्वों का गहन अध्ययन किया था। सिद्ध चिकित्सा शरीर के तीन दोषों- वात, पित्त और कफ के संतुलन को अहम मानती है।
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सिद्ध चिकित्सा के मूल सिद्धांत- Core Principles of Siddha Medicine
सिद्ध प्रणाली शरीर को पंच पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना मानती है। हर व्यक्ति की प्रकृति, इन तत्वों के अनुपात से बनती है। रोग तब होते हैं जब इनका संतुलन बिगड़ता है। इसका इलाज करने के लिए आहार, औषधि, जीवनशैली और ध्यान, 4 प्रमुख आधार माने जाते हैं।
सिद्ध चिकित्सा की चिकित्सा विधियां- Therapies Used in Siddha Medicine
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय (AYUSH Ministry) पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। इसके अंदर ये सभी विधियां आती हैं-
- इंटरनल मेडिसिन (Internal Medicine): हर्बल औषधियां, खनिज-धातु मिश्रण, रस औषधियां।
- एक्सटर्नल थेरेपी (External Therapies): तेल मालिश, लेप व पोटली थेरेपी।
- योग और ध्यान (Yoga and Meditation): मानसिक संतुलन और रोग दूर करने के लिए।
- डाइटरी गाइडलाइन्स (Dietary Guidelines): भोजन और जीवनशैली में बदलाव करके इलाज करना।
सेहत के लिए सिद्ध चिकित्सा के फायदे- Health Benefits of Siddha System
- डायबिटीज, अस्थमा, गठिया, त्वचा रोग जैसी पुरानी बीमारियों में यह सिद्ध प्रणाली असरदार मानी जाती हैं।
- सिद्ध औषधियां शरीर की इम्यूनिटी को प्राकृतिक रूप से बढ़ाती हैं।
- सिद्ध चिकित्सा, बीमारी के लक्षणों को दबाने के बजाय उसकी जड़ को खत्म करने पर जोर देती है।
- इसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों लेवल पर संतुलन बनाया जा सकता है।
- सही मात्रा और इस्तेमाल के साथ दी गई सिद्ध औषधियां सुरक्षित मानी जाती हैं और इनके दुष्प्रभाव कम होते हैं।
सिद्ध चिकित्सा न केवल एक इलाज की प्रणाली है, बल्कि जीवन जीने की एक पूरी पद्धति है जो शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर व्यक्ति को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।
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FAQ
सिद्धा चिकित्सा पद्धति क्या है?
सिद्धा चिकित्सा एक प्राचीन तमिल चिकित्सा पद्धति है जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर आधारित है। इसमें जड़ी-बूटियों, धातुओं, ध्यान और योग से उपचार किया जाता है।सिद्धा और आयुर्वेद में क्या अंतर है?
सिद्धा दक्षिण भारत में प्रचलित है जबकि आयुर्वेद उत्तर भारत में। सिद्धा में धातुओं और खनिजों का ज्यादा इस्तेमाल होता है, जबकि आयुर्वेद मुख्य रूप से हर्बल आधारित है।सिद्ध चिकित्सा पद्धति के 5 तत्व क्या हैं?
सिद्ध चिकित्सा पांच तत्वों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश पर आधारित है। इनका संतुलन शरीर की सेहत तय करता है और असंतुलन से बीमारियां हो सकती हैं।