
आज जब दुनिया मॉडर्न लाइफस्टाइल और फास्ट-फूड कल्चर की गिरफ्त में है, ऐसे समय में आयुर्वेद जैसे प्राचीन विज्ञान की ओर लोगों का झुकाव अपने आप में एक बड़ी क्रांति है। कुछ समय पहले जब देश में कोरोना वायरस ने दस्तक दी थी, तब लोगों के बीच हर्बल प्रोडक्ट्स एकदम से पॉपुलर हो गए थे। अगर हम भारत में आयुर्वेद की वापसी की बात करें, तो 'पतंजलि' का नाम हाल के कुछ वर्षों में सबसे पहले आता है। पतंजलि ने आयुर्वेद को न सिर्फ फिर से जीवंत किया, बल्कि इसे आम आदमी की दिनचर्या का हिस्सा बनाया। आज आयुर्वेदिक फॉर्मेुलेशन से बने पतंजलि के सैकड़ों प्रोडक्ट्स लोगों के रोजमर्रा की दिनचर्या का हिस्सा हैं, जिनमें मंजन, साबुन से लेकर काढ़े और पाउडर तक शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर प्रोडक्ट्स आयुर्वेद में बताई गई जड़ी-बूटियों जैसे- तुलसी, लौंग, गिलोय, अश्वगंधा, नीम, एलोवेरा आदि से बनाए गए हैं। इसलिए ये नेचुरल होने के साथ-साथ प्रभावी भी हैं। आइए समझते हैं पतंजलि ने आयुर्वेद को आम आदमी के साथ कैसे जोड़ा।
आयुर्वद को प्रचार से नहीं, प्रयोग से जोड़ा
कभी ऐसा समय था जब आयुर्वेद को केवल बुजुर्गों की दवाओं तक सीमित समझा जाता था – खांसी, जुकाम या पेट की समस्या में इस्तेमाल होने वाले काढ़े या चूर्ण तक। लेकिन पतंजलि ने इसे एक सीमित ज्ञान नहीं, बल्कि पूर्ण जीवनशैली के रूप में प्रस्तुत किया। पतंजलि के उत्पाद जैसे – च्यवनप्राश, काढ़ा, अश्वगंधा कैप्सूल, शतावरी चूर्ण, और एलोवेरा जूस – लोगों की रोज़मर्रा की जरूरतों में शामिल हो गए। अब आयुर्वेद सिर्फ बीमारी के इलाज तक नहीं, बल्कि रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, स्टैमिना बढ़ाने, शुगर और कब्ज जैसी बीमारियों को कंट्रोल करने और तनाव कम करने तक में कारगर माना जा रहा है।
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उपलब्धता और पहुंच
पतंजलि ने देशभर में हजारों स्टोर्स और मेगा मार्ट्स खोलकर यह सुनिश्चित किया कि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बने हर्बल उत्पाद केवल कुछ खास लोगों तक न रहे, बल्कि हर शहर, कस्बे और गांव तक पहुंचे। यही कारण है कि पतंजलि के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स आज देशभर में कहीं भी आसानी से मिल सकते हैं।
कीमतें आम आदमी की जेब के अनुकूल
पारंपरिक जड़ी-बूटियों से बने प्रोडक्ट्स की कीमतें पहले बहुत ज्यादा हुआ करती थीं, जो एक आम व्यक्ति की पहुंच से बाहर थीं। पतंजलि ने आयुर्वेद को सस्ती, सुरक्षित और असरदार दवाओं के रूप में पेश किया। यही वजह है कि ये प्रोडक्ट्स आम आदमी के किचन से लेकर दूसरी जरूरतों तक दैनिक जीवन का हिस्सा बने।
विज्ञान और परंपरा का संतुलन
पतंजलि ने आयुर्वेद को केवल परंपरा के आधार पर नहीं बेचा, बल्कि उसमें आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर भी खरा उतरने की कोशिश की। हरिद्वार में स्थित पतंजलि का आधुनिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर इस बात का प्रमाण है कि ये संस्था पुरानी परंपराओं को आज के समय की जरूरतों के मुताबिक ढालने में भरोसा रखती है। इससे आम जनता को यह भरोसा मिला कि वे कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और प्रमाणिक समाधान अपना रहे हैं।
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योग और जीवनशैली के जरिए आयुर्वेद को जोड़ा
आयुर्वेद सिर्फ दवाओं तक सीमित नहीं, यह एक सम्पूर्ण जीवन दर्शन है – जिसमें खानपान, दिनचर्या, और मन की स्थिरता का भी उतना ही महत्व है। पतंजलि ने योग, प्राणायाम, और सात्विक आहार को प्रोमोट करके आयुर्वेद को एक होलिस्टिक हेल्थ सिस्टम की तरह लोगों के सामने रखा। इसका प्रभाव ये हुआ कि आज हजारों लोग सुबह उठकर न सिर्फ योग करते हैं, बल्कि चाय-कॉफी के बजाय काढ़े, हर्बल जूस, आयुर्वेदिक पाउडर आदि से दिन की शुरुआत करते हैं।
कुल मिलाकर पतंजलि ने आयुर्वेद को नए जमाने की जरूरतों के अनुसार ढालकर, उसपर रिसर्च और स्टडीज के द्वारा विज्ञान की मुहर लगाकर लोगों के सामने ले आया, जिसकी वजह से कुछ समय में ही यह आम आदमी के जीवन का हिस्सा बनने में कामयाब रहा।
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