दाल भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है और हर घर में रोजाना किसी न किसी रूप में इसका सेवन किया जाता है। प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर दाल न सिर्फ स्वादिष्ट होती है बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद मानी जाती है। आयुर्वेद के अनुसार दाल का पानी (Dal Water) यानी दाल को पकाकर छना हुआ पतला हिस्सा, शरीर को एनर्जेटिक बनाता है। खासकर जब इसे खाली पेट पिया जाए तो यह पाचन तंत्र को मजबूत (khali pet dal pine ke fayde) करता है और कई बीमारियों से बचाव में मदद करता है। आयुर्वेद में दालों को अलग-अलग गुणों के आधार पर बांटा गया है। कुछ दालें लघु (हल्की) होती हैं जो आसानी से पच जाती हैं, जैसे मूंग की दाल। वहीं कुछ दालें थोड़ी गुरु (भारी) होती हैं, जैसे मसूर की दाल, जो शरीर को पोषण देती हैं लेकिन कमजोर पाचन वाले लोगों के लिए थोड़ी कठिनाई पैदा कर सकती हैं। इसलिए आयुर्वेदाचार्य हमेशा सलाह देते हैं कि किस व्यक्ति को कौन सी दाल का पानी पीना चाहिए, यह उसकी सेहत और स्थिति के अनुसार होना चाहिए। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, कौन-कौन सी दाल का पानी खाली पेट पी सकते हैं?
कौन-कौन सी दाल का पानी खाली पेट पी सकते हैं? - Subah Khali Pet Kis Dal Ka Pani Pina Chahiye
आयुर्वेद में दाल को सुपाच्य आहार माना गया है। दाल का पानी यानी दाल उबालकर उसका पतला रस लेना शरीर को हल्का और एनर्जेटिक बनाता है। इसे विशेष रूप से कमजोर पाचन, अतिसार (डायरिया), ग्रहणी रोग (Irritable Bowel Syndrome), प्रवाहिका (डिसेंट्री) और बुखार के बाद रिकवरी में लाभकारी (dal ka pani kab pina chahiye) माना गया है।
1. अरहर की दाल का पानी - Arhar dal ka pani
अरहर (तूर) की दाल भारत के हर घर में प्रयोग की जाती है। इसका पानी हल्का खट्टापन लिए हुए सुपाच्य होता है। सुबह खाली पेट अरहर की दाल का पानी पीने से आंतें साफ रहती हैं और जिन लोगों को भूख कम लगती है, उनके लिए भी यह लाभकारी है।
- शरीर को ऊर्जा और प्रोटीन देता है।
- बुखार के बाद रिकवरी में मददगार।
- कब्ज को दूर करने में सहायक।
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2. मूंग की दाल का पानी - Moong dal ka pani
आयुर्वेद में मूंग को सबसे लघु (हल्की) और सुपाच्य दाल माना गया है। मूंग की दाल का पानी विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए अच्छा है। सुबह खाली पेट लेने पर डाइजेशन (dal ka pani peene ke fayde) मजबूत होता है और शरीर हल्का महसूस करता है। जिन्हें एसिडिटी या पेट में जलन की समस्या होती है, उनके लिए यह बेहद अच्छा है।
- डाइजेशन को मजबूत करता है।
- अतिसार और ग्रहणी रोग में राहत देता है।
- शरीर को ठंडक प्रदान करता है।
- लंबे समय तक कमजोरी में भी उपयोगी।
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3. मसूर की दाल का पानी - Masoor ki dal ka pani
मसूर की दाल थोड़ी गुरु (भारी) मानी जाती है, लेकिन यह पाचन को सुधारने और कमजोरी दूर करने में मदद करती है। सुबह खाली पेट लेने से कब्ज और पाचन से जुड़ी दिक्कतें कम होती हैं। लेकिन जिनका पाचन कमजोर है, उन्हें मसूर की दाल का पानी कम मात्रा में लेना चाहिए।
- पाचन को दुरुस्त करती है।
- शरीर में आयरन और मिनरल्स की पूर्ति करती है।
- कमजोरी, एनीमिया और थकान दूर करने में सहायक।
दाल का पानी कैसे बनाएं? - dal ka pani kaise banaye
दाल का पानी बनाने की प्रक्रिया बहुत सरल है। इसके लिए एक मुट्ठी दाल लें और उसे अच्छे से धो लें। अब इसमें 3–4 कप पानी डालकर उसे हल्की आंच पर मिट्टी के बर्तन में पकाएं। जब दाल गल जाए तो ऊपर से झाग हटा दें और पतला पानी छान लें। इसमें हल्का नमक और हल्दी भी मिला सकते हैं। इसे गुनगुना पीना सबसे लाभकारी है।
निष्कर्ष
खाली पेट दाल का पानी पीना आयुर्वेद के अनुसार एक सरल और असरदार उपाय है, जो शरीर को हल्का, एनर्जेटिक और पाचन को मजबूत बनाता है। हालांकि किस दाल का पानी पीना है, यह आपकी सेहत और समस्या पर निर्भर करता है। मूंग, मसूर और अरहर की दाल का पानी सबसे ज्यादा लाभकारी माना जाता है। सही दाल का चुनाव और सीमित मात्रा में सेवन करके आप सेहतमंद रह सकते हैं।
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FAQ
दाल का पानी कितना पीना चाहिए?
एक स्वस्थ्य वयस्क व्यक्ति को एक दिन में 150 से 200ml पानी पीना (Dal ka pani kitna pina chahiye) चाहिए। लेकिन अगर आपको किडनी से जुड़ी या अन्य लिवर से जुड़ी समस्याएं हैं तो डॉक्टर की सलाह अनुसार इसका सेवन करें।मूंग दाल का पानी पीने से क्या होता है?
मूंग की दाल हल्की होती है तो इसका पानी भी पचाने में आसान होता है और डायरिया जैसी समस्याओं में बेहद लाभकारी होता है। मूंग की दाल का पानी शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है।मसूर की दाल किसे नहीं खानी चाहिए?
मसूर की दाल हल्की गुरु यानी भारी होती है, ऐसे में जिन लोगों का डाइजेशन सही नहीं रहता है या पेट की समस्याएं हैं उन्हें मसूर की दाल का सेवन करने से परहेज करना चाहिए।