What Is Spinal Stroke In Hindi: आमतौर पर स्ट्रोक शब्द सुनते ही हम हार्ट स्ट्रोक या ब्रेन स्ट्रोक के बारे में सोचने लगते हैं। क्या आप जानते हैं कि स्पाइनल स्ट्रोक भी एक किस्म की बीमारी है। जब स्पाइन तक सही तरह से ब्लड सर्कुलेशन नहीं होता है, जिस वजह से ऑक्सीजन और पोषक तत्व वहां तक नहीं पहुंच पाते हैं, तो इस स्थिति को स्पाइनल स्ट्रोन के नाम से जाना जाता है। इस तरह की स्थिति होने पर मरीज को काफी गंभीर समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। शारदा अस्पताल में न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के हेड एंड सीनियर कंसलटेंट डॉ. विकास भारद्वाज से स्पाइनल स्ट्रोक के बारे में विस्तार से जानते हैं।
स्पाइनल स्ट्रोक क्या है (What is Spinal Stroke)
स्पाइन में जब सही तरह के ब्लड सर्कुलेशन नहीं होता है, तो इस कारण स्पाइनल स्ट्रोक हो सकता है। आमतौर पर यह बीमारी तब होती है, जब स्पाइन में मौजूद टिश्यू डैमेज हो जाती हैं या फिर यहां चोट लग जाती है। दरअसल, चोट लगने के कारण स्पाइनल कॉर्ड में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। इसके अलावा, कई स्पाइन में ब्लड सर्कुलेशन की रुकावट की वजह कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, हार्ट डिजीज या डायबिटीज के कारण भी हो सकता है। यहीं नहीं, जो लोग स्मोकिंग या शराब काी जयादा पीते हैं, उन्हें भी स्पाइनल स्ट्रोक होने का रिस्क काफी ज्यादा होता है।
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स्पाइनल स्ट्रोक के लक्षण (Symptoms Of Spinal Stroke)
स्पाइनल स्ट्रोक के लक्षण जानने के लिए यह जान लेना जरूरी है कि स्पाइन की हड्डी का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है। इसके अलावा, मरीज की स्थिति कितनी गंभीर है, यह हड्डी को हुए नुकसान के बारे में जानकर पता लगाया जा सकता है। जहां तक इसके सामान्य लक्षणों की बात है, तो वे इस प्रकार हैं-
- स्पाइनल स्ट्रोक होने पर मरीज को अचानक और तीव्र गर्दन तथा पीठ में दर्द उठ सकता है।
- मरीज के पैरों की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं और शरीर के निचले हिस्से में सेंसेशन में बदलाव महसूस कर सकते हैं। साथ ही, ब्लैडर में भी प्रॉब्लम हो सकती है।
- स्पाइनल स्ट्रोक के लक्षण अचानक देखने को मिलते हैं और इसके लक्षण उभरने पर मरीज काफी असहज महसूस कर सकता है। उसे लग सकता है, जैसे उसे किसी ने बांध लिया हो या जकड़ लिया हो। असल में, इसी दौरान उसकी स्पाइनल में ब्लड सर्कुलेशन बाधित होने लगती है, जिस कारण अन्य समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
- कई बार स्पाइनल स्ट्रोक होने के कारण मरीज के पैरों की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि व्यक्ति सही से खड़ा नहीं हो पाता। यहां तक कि उसे पैरेलाइसिस भी हो सकता है।
- पैरों में झनझनाहट, सुन्नपन और पानी या अन्य चीजों को हाथ लगाकर यह बताने में परेशानी महसूस करना कि वह गर्म है या ठंडा।
स्पाइनल स्ट्रोक का इलाज (Treatment Of Spinal Stroke)
मरीज के लक्षणों पर उसका ट्रीटमेंट निर्भर करता है। अगर किसी तरह के ब्लॉकेज के कारण स्पाइनल स्ट्रोक हुआ है, तो डॉक्टर सबसे पहले ब्लड को पतला करने और ब्लड क्लॉटिंग यानी रक्त के थक्के जमने के रिस्क को कम करने की दवा दे सकते हैं। इसके अलावा, अगर मरीज को हाई ब्लड प्रेशर या हाई कोलेस्ट्रॉल है, तो उसे कंट्रोल करने के लिए भी मेडिसिंस प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।
स्पाइनल स्ट्रोक का बचाव (Prevention Of Spinal Stroke)
वैसे, तो स्पाइनल स्ट्रोक से बचाव स्पाइन से जुड़ी बीमारियां, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल से बचकर किया जा सकता है। इसके अलावा, आप अपनी लाइफस्टाइल को बैलेंस रखकर, हेल्दी हैबिट्स अपनाकर भी इस तरह की बीमारी का रिस्क कम कर सकते हैं। यही नहीं, लोगों को चाहिए कि वे स्मोकिंग न करें, बैलेंस्ड डाइट लें और अगर किसी तरह की बीमारी है, तो उसे मैनेज करने के लिए प्रिस्क्राइब्ड दवाई समय पर लें। इस तरह आप स्पाइनल स्ट्रोक से बचाव कर सकते हैं।