
अमूमन लोगों से पैर या शरीर के किसी अंग में सुन्नता की शिकायत सुनने को मिलती है, जिसके बारे में लोगों को बहुत कम ही पता चल पाता है। विशेषज्ञों की मानें तो ये समस्या खून के थक्के (blood clotting) होने के कारण होता है। खून के थक्के ज्यादातर पैरों में यानी पैर की नसों में पाए जाते हैं। चलने में समस्या, सुन्नता, दर्द आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। खून के थक्के की समस्या की अनदेखी करना खतरनाक हो सकता है। पैरों की जब कोई नस काम करना बंद कर देती है तो एक चेन रिएक्शन होता है जिसके अंत में खून के थक्के जमने लगते हैं, जिसके कारण रक्त का बहाव रूक जाता है और शरीर में रक्त को जमाने वाले फार्मेंटर की मात्रा बढ़ जाती है।
खून में थक्के क्या है- What is blood clotting?
हालांकि खून का थक्का यानी ब्लड क्लॉट अपने आप बनता है और यह सामान्य प्रक्रिया में क्षतिग्रस्त नलिकाओं की मरम्मत करने का भी काम करता है। ऐसा न हो तो चोट लगने पर शरीर में खून का बहाव रोकना बहुत ही मुश्किल हो जायेगा। हमारे प्लाज्मा में मौजूद प्लेटलेट्स और प्रोटीन, चोट की जगह पर रक्त के थक्के का निर्माण करके रक्त के बहाव को रोकते हैं। आमतौर पर चोट के ठीक होने पर खून का थक्का अपने आप घुल जाता है। लेकिन खून के थक्के के न घुलने और लंबे समय तक बने रहने पर सेहत के लिए खतरनाक होता है, जिसके लिये सही जांच एवं उपचार की जरूरत होती है। बिना उपचार लंबे समय तक रहने पर रक्त के थक्के धमनियों या नसों में चले जाते हैं और शरीर के किसी भी हिस्से जैसे आंख, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़े और गुर्दे आदि में पहुंच उन अंगों के काम को बाधित कर देते हैं।
इसे भी पढ़ें : शरीर में ब्लड सर्कुलेशन (खून की दौड़ान) को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो जरूर खाएं ये 5 फूड्स
खून में थक्के के कारण- Causes of blood clotting
सारा दिन किसी एक स्थान या दफ्तर में लगातर बैठ कर काम करने से खून में थक्के की समस्या होती है। इसके अलावा इसके स्वभाविक कारणों में बुढ़ापा, मोटापा, धूम्रपान की लत, वैरिकॉज वेन्स (कुछ मामलों में), लंबे समय लेटे रहने पर (हड्डी जोड़ने के लिये प्लास्टर लगने के कारण, कोई ऑप्रेशन होने के कारण, लंबे सफर में, इत्यादि) तथा हार्मोंन असंतुलन के कारण (कुछ मामलों में) भी खून में थक्के की समस्या हो सकती है। एक नए शोध के अनुसार, जो लोग लगातार 10 घंटे तक काम करते हैं और इस दौरान कोई विराम नहीं लेते तो उनमें खून के थक्के जमने का खतरा दोगुना हो जाता है। यह अध्ययन काम के बीच लिए जाने वाले विराम के महत्त्व को दिखाता है।
खून के थक्के के लक्षण-Symptoms of blood clotting
शुरुआत में तो इसके लक्षण पता भी नहीं चलते। पैरों में हल्का दर्द और प्रभावित हिस्से का लाल पड़ना, ऐसी कई निशानियां हैं जिन्हें लोग आम समझकर अनदेखा कर देते हैं। लेकिन अब सावधान हो जाएं क्योंकि यह खून में थक्के के लक्षण हो सकते हैं।
- अचानक कमजोरी या चेहरे, हाथ या पैर, विशेष रूप से शरीर के एक तरफ सुन्नता
- मस्तिष्क पर असर जैसे भम्र और समझने में परेशानी
- अचानक चक्कर आना
- चलने में समस्या
- संतुलन में नुकसान
- बिना कारण के अचानक तेज सिरदर्द
- प्रभावित क्षेत्र में सूजन, लाली दिखना, गरमाई का एहसास और दर्द आदि।
खून के थक्के का उपचार
खून के थक्के के उपचार के लिए आपका डॉक्टर आपको थक्कों को बनने से रोकने वाली या थक्कों को घोलने वाली दवाएं देता है। साथ ही यह ऐसी प्रक्रिया, जिसमें कैथेटर नामक एक लंबी टय़ूब को सर्जरी से अंदर डाला जाता है और रक्त के थक्के के पास ले जाया जाता है, जहां यह थक्के को घोलने वाली दवा छोड़ती है, से इलाज किया जाता है। इसके अलावा सर्जरी से थक्कों को हटाया जाता है।
इसे भी पढ़ें : पीरियड्स के दौरान खून के थक्के आने से हैं परेशान, तों जानिए क्या हैं इसके कारण और उपाय
खून के थक्के की रोकथाम के उपाय-Prevention Tips
- काली चाय यानी ब्लैक टी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि काली चाय खून को गाढ़ा बनने से रोकती है जिस वजह से धमनियों में खून का थक्का जमने से रूकता है। यह नसों में खून के प्रभाव को सरल बनाती है जिस वजह से ब्लडप्रेशर भी नियंत्रित रहता है।
- अगर आप रोजाना एक सेब या संतरा खाते हैं तो भी आपको खून के थक्के जमने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- वजन को नियंत्रित करें।
- फल, सब्जियों और अनाज का सेवन अधिक और नमक और फैट का सेवन कम करें।
- धूम्रपान छोड़े और कम मात्रा में शराब का सेवन करें।
- ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करवायें।
तो दोस्तों अगर आप इस बीमारी के शिकार नहीं होना चाहते तो आराम की ज़िंदगी छोड़ दीजिए और रोजाना सवेरे दौड़ लगाइये। दफ्तर में अगर आपको ज़्यादा लंबे समय के लिए बैठना पड़ता है तो कोशिश करें कि थोड़ी थोड़ी देर में चलें। इससे पैरों में खून का बहाव सामान्य रहेगा और खून में थक्के की समस्या को रोका जा सकता है।
Read More Articles on Other Diseases in Hindi