स्पाइनल इंफेक्शन एक दुर्लभ बीमारी है, जो मरीज की रीढ़ को स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है। इसमें इंटरवर्टिब्रल डिस्क स्पेस, इंटरवर्टिब्रल हड्डियां, स्पाइनल कैनल या रीढ़ के नाज़ुक उत्तक शामिल हैं। आमतौर पर, यह संक्रमण बैक्टीरिया, फंगल जीवों और विभिन्न प्रकार के वायरस के कारण होता है, जो शरीर के मुख्य रक्त प्रवाह के माध्यम रीढ़ तक पहुंच जाते हैं। यह संक्रमण हड्डी को कमज़ोर करता है और उन्हे तोड़ भी सकता है, जो स्पाइनल विकृति का कारण बनता है।
स्पाइनल संक्रमण के लक्षण
इस संक्रमण की एक पूरी लिस्ट है जो हर व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। लक्षण एक व्यक्ति में हल्के तो दूसरे में गंभीर हो सकते हैं। संक्रमण के कुछ आम संकेतों और लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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- रीढ़ के आसपास अचानक दर्द, जिसकी गंभीरता में दिनभर बदलाव आते हैं।
- मरीज के हाथों और पैरों में असामान्य दर्द।
- कुछ मामलों में पैरालिसिस की समस्या, लेकिन ऐसा बहुत ही कम मामलों में होता है।
- मल-मूत्र पर कम या बिल्कुल नियंत्रण न रहना।
- बीमारी के दौरान मरीज को हमेशा बुखार रहता है।
संक्रमण से छुटकारा कैसे पाएं?
सामान्य तौर पर, अधिकतर डॉक्टर निदान की शुरुआत में एक्स-रे की सलाह देते हैं, जो संक्रमण के पहले 2 या 4 हफ्तों के लिए सामान्य होता है। जांच का अन्य तरीका एमआरआई है, जो संक्रमण का स्थान और गंभीरता को दिखाता है।
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स्पाइनल संक्रमण के विभिन्न प्रकार
स्पाइनल संक्रमण 6 प्रकार के होते हैं जो कारण और प्रभावित स्थान पर निर्भर करते हैं:
- वर्टिब्रल ओस्टियोमायलिटिस
- डिस्किटीज़
- स्पाइनल एपिड्योरल एब्सेस
- स्पाइनल सब्ड्योरल एंपियेमा
- मेनिनगिटिस
- स्पाइनल कॉर्ड एब्सेस
रीढ़ में संक्रमण के जोखिम कारक
- जो लोग ड्रग्स लेते हैं उनमें इस संक्रमण का खतरा रहता है।
- डायबिटीज इस संक्रमण के मुख्य कारणों में से एक है।
- हेमोडायलिसिस या किडनी फेलियर भी संक्रमण का कारण बन सकती है।
- इम्यूनो-सप्रेशन, जो शराब और स्टेरॉयड के सेवन के अलावा कैंसर या एड्स से होता है।
- रीढ़ की सर्जरी या इनवेसिव प्रक्रिया के कारण संक्रमण होता है।
- संक्रामक एंडोकार्डाइटिस
- वृद्धावस्था भी इस संक्रमण का कारण बन सकता है।
स्पाइनल संक्रमण का इलाज
स्पाइनल संक्रमण का सबसे सामान्य उपचार इंट्रावीनस एंटीबायोटिक दवाइयों के सेवन, ब्रेसिंग और शरीर को पूरी तरह आराम देने के साथ शुरू होता है। वर्टिब्रल डिस्क में रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है इसलिए जब बैक्टीरिया अटैक करता है तो शरीर की इम्यून कोशिकाओं और एंटीबायोटिक दवाइयों को संक्रमण के स्थान तक पहुंचने में मुश्किल होती है। वहीं, ब्रेसिंग संक्रमण के उपचार के दौरान रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती है।
6-8 हफ्तों के लिए एंटीबायोटिक्स का सेवन करने के लिए कहा जाता है। साथ ही ब्रेसिंग की जाती है, जो संक्रमण के ठीक होने तक रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती है। इसका अन्य इलाज सर्जरी है, जिसकी सलाह तब दी जाती है जब संक्रमण पर मेडिकेशन का कोई असर नहीं पड़ता है। सर्जरी संक्रमण का इलाज करती है, दर्द को खत्म करती है, रीढ़ के आकार को खराब होने से बचाती है और किसी भी न्यूरोलॉजिकल दबाव से राहत देती है।
ये लेख न्यूरोसर्जरी विभाग, सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली के डॉक्टर सतनाम सिंह छाबड़ा से बातचीत पर आधारित है।
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