आज की तेज जीवनशैली और असंतुलित भोजन ने एक नई स्वास्थ्य समस्या को जन्म दिया है, जिसे डायबेसिटी (Diabesity) कहा जाता है। यह शब्द डायबिटीज और ओबेसिटी के खतरनाक मेल को दर्शाता है। बढ़ता मोटापा सिर्फ शरीर के आकार को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह इंसुलिन रेजिस्टेंस, हाई ब्लड प्रेशर, फैटी लिवर और हार्ट डिज़ीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ाता है। खासकर पेट की अंदरूनी चर्बी (Visceral Fat) डायबिटीज को जन्म देती है। Dr. Vidya Tickoo, Consultant Endocrinologist & Diabetologist, Yashoda Hospitals, Hyderabad ने बताया कि डायबेसिटी के पीछे डायबिटीज और मोटापे के अलावा हर समय बैठे रहने की जीवनशैली को फॉलो करना, खराब भोजन करना और शारीरिक निष्क्रियता भी शामिल है। आइए जानते हैं डायबेसिटी के लक्षण, कारण और इलाज।
डायबेसिटी क्या है?- What Is Diabesity
Dr. Vidya Tickoo ने बताया कि टाइप 2 डायबिटीज और मोटापा (ओबेसिटी) का एक करीबी और नुकसानदायक संबंध है। शरीर में ज्यादा चर्बी, डायबिटीज के विकास में सीधे योगदान देती है। इस स्थिति को डायबेसिटी (Diabesity) कहा जाता है। यह शब्द बताता है कि ये दोनों बीमारियां अक्सर साथ में होती हैं और एक-दूसरे को बढ़ाती हैं, जो एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन जाती है। डायबेसिटी 2 शब्दों से बना शब्द है- डायबिटीज और ओबेसिटी।
डायबेसिटी के लक्षण- Symptoms Of Diabesity
- बढ़ा हुआ पेट और वजन
- थकान और सुस्ती
- बार-बार पेशाब आना और ज्यादा प्यास लगना
- ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव होना
- हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ना
मोटापे और डायबिटीज से होता है डायबेसिटी- Obesity And Diabetes Cause Diabesity
Dr. Vidya Tickoo ने बताया कि मोटापा, खासकर पेट की अंदरूनी चर्बी (विसरल फैट), इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) पैदा करता है। इसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन, जो कि ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है, के प्रति सेंसिटिव नहीं रहतीं। इसके कारण पैंक्रियास ज्यादा इंसुलिन बनाता है, लेकिन समय के साथ यह शरीर के लिए पर्याप्त नहीं बन पाता है और ब्लड शुगर बढ़ जाता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज होती है। इसलिए ज्यादा वजन, डायबिटीज बढ़ने का एक मुख्य कारण है। डायबेसिटी के पीछे, डायबिटीज और मोटापा 2 मुख्य कारण हैं।
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डायबेसिटी का इलाज क्या है?- Treatment For Diabesity
डायबेसिटी को कंट्रोल करने के लिए एक व्यापक रणनीति की जरूरत है, जो ब्लड शुगर कंट्रोल और वेट लॉस दोनों पर ध्यान दे। इसका आधार जीवनशैली में बदलाव है। नियमित एक्सरसाइज और संतुलित कैलोरी व हेल्दी डाइट जिसमें साबुत अनाज, सब्जियां, लीन मीट और हेल्दी फैट्स हों, इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ा सकते हैं और वजन कम कर सकते हैं। सिर्फ 5-10 % वजन कम करने से भी डायबिटीज और इसके गंभीर परिणामों का जोखिम काफी कम हो सकता है।
विसरल फैट से बचें- Avoid Visceral Fat
मोटापा, डायबिटीज या डायबेसिटी जैसी बीमारियों के लिए विसरल फैट (अंदरूनी चर्बी) भी काफी हद तक जिम्मेदार है। अगर इस फैट को कम किया जाए, तो डायबिटीज और इससे जुड़ी अन्य समस्याएं जैसे हाई ब्लड प्रेशर, फैटी लिवर, हार्ट अटैक अपने आप बेहतर हो सकती हैं। बहुत ज्यादा मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए सर्जिकल विकल्प जैसे बेरीएट्रिक सर्जरी भी मौजूद हैं, जो डायबिटीज को ठीक करने में मदद कर सकती है।
निष्कर्ष:
डायबेसिटी के बारे में जन जागरूकता जरूरी है, ताकि मोटापे और डायबिटीज के संयुक्त खतरे को रोका जा सके। उच्च जोखिम वाले मरीजों की पहचान, जीवनशैली बदलने की सलाह और व्यक्तिगत इलाज की मदद से इस बीमारी से बचना संभव है।
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FAQ
डायबेसिटी क्या है?
डायबेसिटी मोटापा (Obesity) और डायबिटीज (Diabetes) का खतरनाक मेल है। शरीर में ज्यादा फैट खासकर पेट की चर्बी इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ाती है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल बिगड़ता है और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।डायबेसिटी से कैसे बचें?
संतुलित और हेल्दी आहार, नियमित एक्सरसाइज, वेट लॉस, पर्याप्त नींद और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच करवाकर डायबेसिटी से बचा जा सकता है।डायबेसिटी को कैसे पहचानें?
अगर पेट की चर्बी ज्यादा हो, वजन तेजी से बढ़े, बार-बार प्यास लगे और पेशाब आए, थकान और ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव दिखे, तो यह डायबेसिटी के लक्षण हो सकते हैं। समय पर डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है।
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Sep 29, 2025 16:35 IST
Published By : Yashaswi Mathur