Insulin Resistance Symptoms in Females: डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस खानपान में गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण होने वाली गंभीर समस्या है। इंसुलिन रेजिस्टेंस का खतरा पुरुष और महिला दोनों में ही होता है। डायबिटीज में समस्याओं और परेशानियों के बढ़ने के पीछे इंसुलिन रेजिस्टेंस सबसे बड़ा कारण होता है। टाइप 2 डायबिटीज में मरीजों को इंसुलिन के शॉट्स लेने पड़ते हैं। शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध या इंसुलिन रेजिस्टेंस खराब होने के कारण इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है। इंसुलिन रेजिस्टेंस के लक्षणों को सही समय पर पहचान कर उचित कदम उठाने से इसे जल्दी ठीक किया जा सकता है। महिलाओं में मोटापा, हार्मोनल बदलाव और जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भावस्था में होने वाली डायबिटीज) के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस का खतरा बढ़ जाता है।
महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस के लक्षण- Insulin Resistance Symptoms in Females in Hindi
इंसुलिन, अग्नाशय में बन्ने वाला एक हॉर्मोन है, जो पाचन से लेकर शरीर को हेल्दी रखने में कई तरह से मदद करता है। जब आप भोजन करते हैं, तो पाचन तंत्र इससे ग्लूकोज बनाता है। इंसुलिन का काम ग्लूकोज को शुगर में कन्वर्ट करने में मदद करना होता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस होने पर शरीर शरीर में ब्लड शुगर बढ़ने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ समीर कहते है, "इंसुलिन रेजिस्टेंस के लक्षण डायबिटीज में दिखने वाले लक्षणों जैसे ही होते हैं। महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस होने पर टाइप 2 डायबिटीज का खतरा रहता है। इसके लक्षणों को सही समय पर पहचानकर डाइट और लाइफस्टाइल में सुधार करने और इलाज लेने से सही समय पर इसे ठीक किया जा सकता है।"
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महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस के लक्षण इस तरह से दिखते हैं-
- तेजी से वजन बढ़ना
- शारीरिक थकान और कमजोरी
- बार-बार पेशाब आना
- स्किन का काला पड़ना
- भूख न लगना
- बाल झड़ने की समस्या
- हाथ और पैर कमजोर होना
- पीसीओएस की समस्या
- हाई ब्लड प्रेशर
कितना होना चाहिए इंसुलिन लेवल?
शरीर में इंसुलिन का स्तर उम्र, लिंग और शारीरिक स्थिति के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। सामान्य रूप से फास्टिंग इंसुलिन का लेवल शरीर में 5-15 μU/mL के बीच हो, तो इसे सामान्य माना जाता है। लेकिन संवेदनशील लोगों में इसकी मात्रा 12 μU/mL होनी चाहिए। सामान्य बॉडी मास इंडेक्स वाले लोगों में इंसुलिन की मात्रा 5 से कम और 12 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। शरीर में ब्लड शुगर बढ़ने पर इंसुलिन का लेवल भी बढ़ जाता है। ऐसे में कोशिकाएं इंसुलिन हॉर्मोन के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं, इसकी वजह से ब्लड शुगर और ग्लूकोज को कंट्रोल करने के लिए शरीर को ज्यादा इंसुलिन का उत्पादन करने की जरूरत पड़ती है।
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इंसुलिन लेवल कंट्रोल में रखने से शरीर को हेल्दी और बीमारियों से मुक्त रखने में मदद मिलती है। आमतौर पर डॉक्टर इंसुलिन की जांच नहीं करते हैं, लेकिन डायबिटीज के मरीजों और प्री-डायबिटीज वाले लोगों को इसकी समय-समय पर जांच जरूरी करानी चाहिए। इसकी मात्रा बढ़ने पर डायबिटीज के अलावा शरीर में कैंसर सेल्स की ग्रोथ का खतरा रहता है।
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