Dehydration Risk With High Blood Sugar: टाइप 2 डायबिटीज एक तरह की क्रॉनिक डिजीज है। इस अवस्था में शरीर इंसुलिन को सही तरह से इस्तेमाल नहीं करता है। ऐसे में ब्लड शुगर का स्तर हाई जाता है, ब्लड वेसल्स डैमेज हो जाती हैं, आंखों पर इसका प्रभाव पड़ता है और किडनी फंक्शन भी इफेक्ट होने लगती है। नतीजतन, इंसुलिन रेजिस्टेंस की दिक्कत हो सकती है और समय के साथ-साथ इंसुलिन प्रोडक्शन में कमी आने लगती है, जिस वजह से ब्लड में शुगर की मात्रा बनी रहती है। आमतौर पर मोटापे से ग्रस्त लोगों में टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क ज्यादा रहता है। बहरहाल, आपने सुना होगा कि टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को बहुत ज्यादा प्यास लगती है, क्योंकि ब्लड शुगर के स्तर के कारण उन्हें बार-बार पेशाब आता है। आपको बता दें कि कभी-कभी पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने के कारण टाइप 2 डायबिटीज के मरीज डिहाइड्रेट हो जाते हैं। सवाल है, ऐसे में उनके शरीर पर क्या असर पड़ता है? जानें, डिहाइड्रेशन टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक क्यों है? इस बारे में जानने के लिए हमने नोएडा सेक्टर 71 स्थित कैलाश अस्पताल में Consultant - Paediatrics डॉ. अनुराधा मित्तल से बात की है।
टाइप 2 डायबिटीज में डिहाइड्रेशन खतरनाक क्यों है?- Effects Of Dehydration In Type 2 Diabetes
किडनी पर अतिरिक्त दबाव
जब ब्लड शुगर का स्तर हाई हो जाता है, तो ऐसे में किडनी पर अतिरिक्त दबाव बनने लगता है। ऐसा इसलिए, क्यांकि किडनी को बॉडी में बने एक्स्ट्रा ग्लूकोज को निकालने के लिए अतिरिक्त मेहतन करनी पड़ती है। ऐसे में टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को बार-बार पेशाब आता है। नतीजतन, शरीर से काफी मात्रा में वॉटर लॉस हो जाता है, जो कि बॉडी को फिर से डिहाइट्रेट कर देता है।
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हार्मोनल बदलाव
डॉ. अनुराधा मित्तल बताती हैं, "टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए डिहाइड्रेट रहना बिल्कुल सही नहीं है। जब वे पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं, तो ऐसे में उनके शरीर में स्ट्रेस हार्मोन, जैसे कोर्टिसोल रिलीज होने लगता है। ऐसे में लिवर अतिरिक्त मात्रा में ब्लड शुगर प्रोड्यूस करने लगता है। नतीजतन, शरीर में ग्लूकोज के स्तर में बदलाव होने लगता है। टाइप 2 डायबिटीज के मरीज के लिए यह स्थिति सही नहीं है।"
इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस
अगर टाइप 2 डायबिटीज के मरीज पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं, जिससे बॉडी डिहाइड्रेट हो जाती है, तो ऐसे में उनके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस भी हो सकता है। असल में, हाई ब्लउ शुगर के कारण किडनी अतिरिक्त ग्लूकोज को शरीर से बाहर निकालने के लिए ओवर वर्क करता है। ऐसे में टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को बार-बार पेशाब आता है, जिससे शरीर से काफी मात्रा में फ्लूइड बाहर निकल जाता है। इसके साथ ही इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस भी हो जाता है।
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टाइप 2 डायबिटीज के मरीज कैसे रहें हाइड्रेटेड
फ्लूइड इनटेक बढ़ाएंः टाइप 2 डायबिटीज होने पर जरूरी है कि व्यक्ति अपने फ्लूइड इनटेक पर नजर रखें। उन्हें दिन भर में बार-बार पानी पीते रहना चाहिए। इससे न सिर्फ ब्लड शुगर का स्तर संतुलित रहने में मदद मिलती है, बल्कि इसकी वजह से शरीर में फ्लूइड भी बैलेंस्ड रहता है।
संकेतों को पहचानेंः टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को शरीर में दिख रहे डिहाइड्रेशन के संकेतों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। अगर जरा भी प्यास लगे, तो तुरंत पानी पीना चाहिए।
निष्कर्ष
टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के शरीर पर डिहाड्रेशन का बहुत बुरा असर पड़ता है। अगर मरीज इनकी अनेदखी करते हैं, तो एक समय बाद ऑर्गन फेल हो सकते हैं। ऐसा किसी के साथ नहीं होना चाहिए। इसलिए, यहां बताए गए लक्षणों पर गौर करें और खुद को हाइड्रेट रखने के टिप्स को फॉलो जरूर करें। इसके अलावा, यह भी ध्यान रखें कि अगर टाइप 2 डायबिटीज से संबंधित किसी भी तरह की समस्या हो, तो उसे इग्नोर न करें। तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
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Sep 24, 2025 09:03 IST
Published By : Meera Tagore