
हम सभी ने बचपन में सुना है कि बड़े लोग रोते नहीं या रोना कमजोरी की निशानी है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह कहावत आपकी सेहत पर कितना भारी पड़ सकती है? आयुर्वेद के अनुसार, आंसू केवल भावनाओं का इजहार नहीं हैं, बल्कि यह हमारे शरीर और दिमाग के लिए एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो तनाव और टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करती है। आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि रोना हमारी भावनाओं और शरीर के बीच संतुलन बनाए रखने का एक तरीका है। जब हम रोते हैं, तो शरीर से भावनात्मक टॉक्सिन्स निकलते हैं और मन तथा दिल दोनों शांत होते हैं, लेकिन अगर हम आंसू रोकते हैं, तो इसके गंभीर नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। इस लेख में सिरसा के रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, आंसुओं को दबाने से क्या होता है?
आंसुओं को दबाने से क्या होता है? - What Happens If You Hold Back Tears
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, ''अश्रु वेग को कभी भी रोकना नहीं चाहिए। रोने से हमारे शरीर से इमोशनल टॉक्सिन्स निकलते हैं और मन तथा दिल दोनों शांत होते हैं।'' आयुर्वेद के अनुसार, जब हम रोते हैं तो शरीर का तनाव कम होता है और दिल को आराम मिलता है। रोना सिर्फ भावनाओं की राहत नहीं देता, बल्कि यह शरीर के लिए एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफिकेशन की तरह काम करता है। आंसू के माध्यम से शरीर से निकलने वाले विषैले तत्वों को आयुर्वेद में 'भावनात्मक आम' कहा गया है। यह आम मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के तनाव को कम करने में मदद करता है, लेकिन अगर आप अश्रु वेग को रोकते हैं तो कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
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डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, ''अगर आप आंसुओं को दबाते हैं, तो दिमाग में भारीपन महसूस होता है, आंखों की समस्याएं बढ़ सकती हैं और दिल से जुड़ी दिक्कतें भी हो सकती हैं।'' आयुर्वेद में इसे वात, पित्त और कफ के असंतुलन से जोड़ा गया है। भावनाओं को दबाने से वात और पित्त दोष असंतुलित होते हैं, जिससे सिर में भारीपन, नींद में खलल, आंखों में जलन या दृष्टि संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं। साथ ही, दिल पर भी दबाव बढ़ सकता है और दिल की धड़कन असामान्य हो सकती है।
1. मानसिक स्वास्थ्य पर असर
आंसू रोकने से मानसिक तनाव बढ़ता है, रोना मानसिक तनाव को कम करने का सबसे आसान तरीका है। भावनाओं को भीतर दबाने की बजाय उन्हें बाहर निकालना, शरीर और मन दोनों के लिए लाभकारी होता है। यदि बार-बार गुस्सा, उदासी या चिंता महसूस होती है, तो रोना उन भावनाओं को कंट्रोल करने और शरीर को शांत रखने में मदद करता है।
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2. शरीर में स्ट्रेस हार्मोन का बढ़ना
आंसू रोकने से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन बढ़ सकते हैं। इससे न सिर्फ मूड पर असर पड़ता है बल्कि इम्यूनिटी भी कम हो जाती है। डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि रोना न केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, बल्कि फिजिकल हेल्थ के लिए भी जरूरी है। यह दिल को आराम देता है, दिमाग को हल्का करता है और शरीर को तनावमुक्त बनाता है।
निष्कर्ष
आयुर्वेद हमेशा यही सलाह देता है कि भावनाओं को दबाने की बजाय उन्हें स्वस्थ तरीके से व्यक्त किया जाए। आंसू रोकना आपके दिल, दिमाग और आंखों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। रोना शरीर का प्राकृतिक डिटॉक्सिफिकेशन और मन का आराम है, अगली बार जब आप भावुक हों, तो आंसू रोकने के बजाय उन्हें निकलने दें। इससे आपका मन हल्का होगा, तनाव कम होगा और आंखों व दिल दोनों स्वस्थ रहेंगे।
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Oct 14, 2025 17:17 IST
Modified By : Akanksha TiwariOct 14, 2025 17:17 IST
Published By : Akanksha Tiwari